
National Doctor's Day: गुजरात के जामनगर के रहने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ गौरव गांधी की पिछले महीने 41 साल की उम्र में नींद में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. गौरव जामनगर के जाने माने युवा डॉक्टर थे. उन्होंने अपने करियर में 16 हजार से अधिक सर्जरी की थीं. अब इस घटना को लेकर चिकित्सा जगत हैरान है कि कैसे लोगों के दिल का इलाज करने वाले को ही दिल का दौरा पड़ गया. ये केवल एक उदाहरण है, जब इतनी कम उम्र में एक डॉक्टर की मौत हो गई. भारत में रोजाना कई डॉक्टरों के साथ ऐसा हो रहा है. आज, 01 जुलाई 2023 को डॉक्टर दिवस (Doctor's Day 2023) के मौके पर एक ऐसी जानकारी साझा करने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
वैसे तो डॉक्टरों को हमारे समाज में भगवान समान माना जाता है. आप यह जानकर शायद हैरान रह जाएंगे कि जो डॉक्टर हमारी सेहत का ख्याल रखते हैं. हमें फिट एंड फाइन रखने में मदद करते हैं, उनकी औसत आयु एक आम भारतीय नागरिक के मुकाबले बेहद कम है. जहां एक आम भारतीय नागरिक की औसत उम्र 68 से 75 साल है. वहीं एक भारतीय डॉक्टर की औसत उम्र 61-62 साल है. यानी सामान्य आबादी की तुलना में डॉक्टर की औसत आयु 7-14 साल तक कम है. मरीजों से तुलना की जाए तो डॉक्टर्स उनसे भी कम जीते हैं. यह खुलासा IMA (Indian Medical Association) ने रिसर्च सेल ने 2017 में केरल में किए गए एक स्टडी के आधार पर किया था. IMA ने पाया कि ज्यादातर डॉक्टरों की मौत हृदय संबंधी बीमारियों और कैंसर के कारण हो रही है.
10 हजार डॉक्टरों पर हुई रिसर्च
दरअसल, IMA ने अपनी स्टडी के लिए सोशल सिक्योरिटी स्कीम (SSS) के तहत 10 हजार डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन कराया था. 2007 से 2017 यानी 10 साल तक इनके मृत्यु के पैटर्न को समझने की कोशिश की. IMA के लिए यह खुलासा काफी चौंकाने वाला था. इस खुलासे के बाद रिसर्च सेल के संयोजक डॉ. विनयन केपी ने इन आंकड़ों को लेकर हैरानी जताई थी. रिसर्च सेल का अनुमान था कि डॉक्टरों की औसत आयु आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा होगी क्योंकि वे जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है.

IMA के पूर्व अध्यक्ष डॉ वीजी प्रदीप कुमार ने सरकारी डॉक्टर हो या निजी तनाव में काम करने और बहुत ज्यादा देर तक काम करने को इसका मुख्य कारण बताया. उन्होंने सरकार से डॉक्टरों के काम के को फिक्स करने की मांग की. "सरकारी या निजी नौकरी के बावजूद डॉक्टर आम तौर पर बहुत तनाव में काम कर रहे हैं. काम के बढ़ते घंटे, जिन मरीजों को वे देखते हैं और उनकी उम्मीदें इस बढ़ते तनाव में योगदान करती हैं. सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजना के अलावा, उनके काम के घंटे तय करने की जरूरत है. आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ वीजी प्रदीप कुमार ने कहा, डॉक्टरों को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच के लिए तैयार रहना चाहिए.
डॉक्टर की औसत आयु हो रही कम
इससे पहले भी IMA ने एक ऐसा ही खुलासा किया था. 2010 में, IMA पुणे चैप्टर ने भी खुलासा किया था कि एक भारतीय डॉक्टर की औसत आयु किसी सामान्य की तुलना में 10 साल कम है. बता दें कि IMA ने उस दौरान महाराष्ट्र के 5500 समेत देश के 11 हजार डॉक्टरों को सोशल सिक्योरिटी स्कीम (SSS) के तहत शोध के लिए शामिल किया था. विश्लेषण के लिए इन डॉक्टरों को 5 साल तक निगरानी में रखा गया था. उस वक्त IMA पुणे चैप्टर के अध्यक्ष डॉ दिलीप शारदा ने डीएनए के हवाले से कहा था, “एक औसत भारतीय 69-72 वर्ष तक जीवित रहता है जबकि एक डॉक्टर 55 से 59 वर्ष तक ही जीवित रहता है जो कि बेहद चौंकाने वाली बात है. यह देखा गया कि ज्यादातर मौतें हार्ट अटैक से ही हुई हैं.”

क्यों घट रही डॉक्टर्स की उम्र
उन्होंने आगे बताया कि हर साल महाराष्ट्र में 12 से 15 डॉक्टर और देशभर में करीब 30 डॉक्टर इस आयु वर्ग में अपनी जान गंवाते हैं. भोपाल के डॉ सत्यकांत त्रिवेदी इस मुद्दे को लेकर कहते हैं कि तनाव भरी जिंदगी, ज्यादातर समय बैठकर बिताने और व्यायाम की कमी डॉक्टरों के कम उम्र में मौत का एक बड़ा कारण है. वहीं लखनऊ के डॉक्टर डॉ कौसर उस्मान कहते हैं कि खराब लाइफस्टाइल की वजह से आजकल डॉक्टर भी मोटापे, बीपी, शुगर जैसी बीमरियों का शिकार हो रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह एक ऐसा फील्ड है जहां बराबर तनाव बना रहता है. इसकी वजह से खानपान गड़बड़ हो जाती है. डॉक्टर समय से या उचित मात्रा में खाना नहीं खाते जिसका असर उनके जीवन पर पड़ता है.
नेशनल डॉक्टर डे का इतिहास
पहली बार डॉक्टर डे बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ बीसी रॉय के सम्मान में साल 1991 में मनाया गया था. बीसी रॉय प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक होने के साथ-साथ एक सम्मानित डॉक्टर भी थे, जिन्हें 4 फरवरी, 1961 को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. डॉ बीसी रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 में हुआ था. इनका निधन भी 1 जुलाई, 1962 में हुआ था. इसलिए 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाते हैं.

डॉक्टर्स डे थीम 2023
हर साल एक नई थीम के साथ डॉक्टर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल 'सेलिब्रेटिंग रेजिलिएंस एंड हीलिंग हैंड' (Celebrating Resilience and Healing Hands) तय की गई है. कोरोना काल के दौरान डॉक्टर्स की हिम्मत, निष्ठा और अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात मरीजों की सेवा करने के लिए उन्हें सम्मान देने पर यह थीम रखी गई है.