जब बात सऊदी अरब, इराक, ईरान या इजरायल की आती है तो इन्हें मिडिल ईस्ट देशों के नाम से जाना जाता है. लोगों के मन में अक्सर ये सवाल पैदा होता है कि मिडिल ईस्ट तो मिडिल में नहीं तो फिर इसे मिडिल नाम क्यों दिया गया. इसके पीछे क्या कहानी है, आइए जानते हैं. सबसे पहले तो यह समझिए कि मिडिल ईस्ट कोई एक देश नहीं है बल्कि कई देशों का समूह है. मिडिल ईस्ट के अंदर सऊदी अरब, इराक, सीरिया, लेबनान, इज़राइल, जॉर्डन, ईरान, तुर्की, कुवैत, बहरीन, क़तर, ओमान, यमन, लीबिया, साइप्रस, इजिप्ट और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश आते हैं.
मिडिल ईस्ट सुनकर इसके नाम पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि इसके लिए आपको पुरानी दुनिया को समझना होगा. जैसा कि सभी को मालूम है कि एक लंबे वक्त तक दुनिया पर इंग्लैंड का ही राज़ रहा है, इंग्लैंड यूरोप में ही है. ऐसे में दुनिया का पूरा नक्शा और उसका इतिहास अंग्रेज़ों के हिसाब से ही चला. जो यूरोप के ईस्ट में है वो ईस्टर्न देश हो गए और जो पश्चिम में वो वेस्टर्न कंट्री बन गए. अब इसी तरह मिडिल ईस्ट भी है, क्योंकि फार ईस्ट यानी चीन और जापान और नियर ईस्ट के बीच में इन देशों का समूह पड़ता था, इसलिए ये सब मिडिल ईस्ट हो गए.
अब ये शब्द भी 20वीं सदी की शुरुआत में ज़्यादा चलन में आया, खासकर ब्रिटिश सरकार ने इसे अपनाया, क्योंकि यह क्षेत्र व्यापार मार्गों और एशिया में प्रभाव बनाए रखने के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम था. हालांकि अगर भूगोल के नजरिए से देखा जाए तो ईराक, ईरान जैसे देश मिडिल में नहीं आते हैं. कन्फ्यूजन सिर्फ मिडिल ईस्ट को लेकर ही नहीं, बल्कि गल्फ यानी खाड़ी देशों को लेकर भी है. आइए जानते हैं कुछ देशों को गल्फ कंट्री क्यों कहा गया है.
खाड़ी देश क्या होते हैं और इन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है?
सबसे पहले यह समझिए कि खाड़ी उस जगह को बोला जाता है जहां समुद्री पानी सागर या महासागर से तो जुड़ी हो लेकिन जिसके इर्द-गिर्द काफ़ी हद तक धरती का घेरा हो. पश्चिमी एशिया में स्थित देशों को खाड़ी देश कहा गया है जिनकी समुद्री सीमा खाड़ी से लगती है, इसलिए इन्हें "खाड़ी देश" कहा जाता है. खाड़ी (Gulf) देश उन देशों को कहा गया है जो फारस की खाड़ी (Persian Gulf) के आसपास बसे हुए हैं. इन देशों में प्रमुख रूप से सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कुवैत, बहरीन, कतर, ओमान शामिल हैं.
ये देश खाड़ी क्षेत्र में होने के कारण रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. यहां पर तेल और गैस के बड़े भंडार हैं, जिस वजह से ये देश पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाते हैं. 'खाड़ी' शब्द का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है जो समुद्र से जुड़ा हुआ है और जिसके चारों ओर ये देश स्थित हैं.
देखा जाए तो ईरान भी खाड़ी देशों में गिना जा सकता है, लेकिन कुछ राजनैतिक और भूगोलिक कारणों की वजह से वह खाड़ी देशों में शामिल नहीं है. ईरान खाड़ी देशों के समूह खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) का भी हिस्सा नहीं है.
यह तो आप समझ गए कि कुछ देशों को मिडिल ईस्ट और कुछ देशों को गल्फ कंट्री क्यों कहा जाता है लेकिन कन्फ्यूजन अभी भी दूर नहीं हुई है. अब बात आती है अरब देशों की. सवाल उठता है कि नॉर्थ अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में आने वाले कुछ देशों को अलग से अरब देश क्यों कहकर बुलाया जाता है. आइए आपको बताते हैं.
कुछ देशों को अरब देश क्यों कहा गया?
असल में इसका कनेक्शन अरबी भाषा से है. वो देश अरब देश कहलाए गए हैं, जिनकी मुख्य भाषा अरबी है. इन देशों की पहचान अरब सभ्यता से होती है. रही बात शब्द की तो यह शब्द अरब प्रायद्वीप (Arabian Peninsula) से आया है. यह पश्चिमी एशिया में स्थित है. कहा जाता है कि यहीं से अरब सभ्यता की शुरुआत हुई थी. आज जिन देशों को 'अरब देश' कहा जाता है, वे मुख्य रूप से मध्य पूर्व (Middle East) और उत्तर अफ्रीका (North Africa) में स्थित हैं.
कहां स्थित हैं अरब देश?
अरब देश मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में स्थित 19 देश हैं, जिनमें से अधिकांश आबादी जातीय अरब मूल की है या अरबी भाषा बोलती है. मूल रूप से अरब प्रायद्वीप तक सीमित, अरब लोग उन क्षेत्रों पर मुस्लिम विजय के बाद और उत्तरी अफ्रीका में चले गए. सदियों से, जो आज दुनिया के अरब देशों का गठन करते हैं, उन पर विदेशी शासकों का नियंत्रण था. हालांकि, 20वीं सदी के मध्य तक, अरब दुनिया के अधिकांश हिस्से स्वतंत्र राज्यों से मिलकर बने थे. आज, दुनिया के अरब देशों में 450 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं.
इनमें सऊदी अरब, इराक, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, कुवैत, बहरीन, कतर, ओमान, यमन, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, लीबिया, ट्यूनिशिया, अल्जीरिया, मोरक्को, सूडान जैसे देश शामिल हैं.