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Google Doodle: कौन हैं मारियो मोलीना जिन्‍होंने लगाया था ओज़ोन में छेद का पता, जानिए

Mario Molina: डॉ मोलिना जब छोटे थे, तो उन्होंने अपने खिलौना माइक्रोस्कोप के माध्यम से छोटे सूक्ष्मजीवों का अध्ययन करने के लिए अपने बाथरूम को साइंस लैब में बदल दिया था. उन्‍हें पृथ्‍वी पर ग्‍लोबल वार्मिंग का पता लगाने के लिए नो‍बेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया.

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Google Doodle Today
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Mario Molina Google Doodle Today: गूगल ने आज, 19 मार्च को अपने खास डूडल के माध्यम से महान रसायन विशेषज्ञ डॉ मारियो मोलिना के कार्यों और विरासत को सम्‍मान दिया है. आज, 19 मार्च 2023 को उनकी 80वीं जयंती है. डॉ मोलिना ने पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

डॉ मारियो मोलिना ने ओजोन परत में हुए छेद की खोज और इससे होने वाले नुकसान का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी जिसके लिए उन्‍हें 1995 में नोबेल पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया. वह पृथ्वी पर क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के प्रभावों का पता लगाने वाले पहले लोगों में से एक थे.

कौन थे डॉ मारियो मोलिना?
मारियो जोस मोलिना हेनरिकेज़, जिन्हें मारियो मोलिना के नाम से जाना जाता है, मेक्सिको के एक रसायनज्ञ थे जिन्होंने पृथ्‍वी पर पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के बारे में कई खोज कीं. इसमें ओजोन परत में छेद की खोज भी शामिल थी, जो क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसों का प्रभाव है.

डॉ मोलिना उन शोधकर्ताओं में से एक थे जो यह पता लगाने में सफल रहे कि ओजोन परत में छेद कैसे हो गया. उन्‍होंने पता लगाया कि इसका कारण क्‍लोरोफ्लोरो कार्बन गैस है जो एयर कंडीशनर, एयरोसोल स्‍प्रे और रेफ्रिजरेटर आदि में इस्‍तेमाल होती है.

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इस शोध ने ग्लोबल वार्मिंग की भयावहता को उजागर किया जिसके चलते मॉन्ट्रियल संधि हुई. इस अंतरराष्ट्रीय संधि के चलते लगभग 100 ओजोन-क्षयकारी रसायनों के उत्पादन पर सफलतापूर्वक प्रतिबंध लगा दिया गया.

 

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