जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव का शंखनाद हो चुका है. इस बार 48 छात्रों ने अध्यक्ष पद के लिए पर्चा भरा है. लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद हो रहे चुनाव में इस बार एक शख्स ऐसा भी है, जो पहले अग्निवीर था और अब जेएनयू से चुनाव लड़ रहा है. राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले इस शख्स का नाम है अजयपाल सिंह, जिन्होंने काउंसलर पद पर अपना नामांकन दाखिल किया है. अजयपाल सिंह स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के बैनर तले छात्र राजनीति में कदम रख रहे हैं.
उन्होंने आजतक को बताया कि वे साल 2023 में अग्निवीर के रुप में एयर फोर्स में शामिल हुए थे. हालांकि, ट्रेनिंग के दौरान ही वे वापस आ गए थे और उन्होंने जेएनयू में पढ़ाई शुरू की. अजयपाल अभी जेएनयू में फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हैं और लैंग्वेज की पढ़ाई कर रहे हैं. उनकी नेट हो चुकी है और पॉलीटिकल साइंस से एमए की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे जेएनयू की पहचान माने जाने वाली प्रोसेसिव पॉलीटिक्स को बचाने और फीस बढ़ोतरी से जुड़े मुद्दों को लेकर छात्र राजनीति में उतरे हैं.
किन मुद्दों पर लड़ रहे हैं चुनाव?
किसान परिवार में जन्मे अजयपाल ने नामांकन के बाद कहा, 'मैंने वायुसेना में अग्निवीर के रूप में देश की सेवा की, और अब एसएफआई के माध्यम से छात्रों की आवाज बनकर जेएनयू के लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं.' उन्होंने बताया कि जेएनयू प्रोग्रेसिव पॉलीटिक्स के लिए जाना जाता है और वो अब धीरे धीरे खत्म हो रही है, उसे बचाने के लिए हम लड़ रहे हैं.
वहीं, उन्होंने कहा, 'जेएनयू में एक सेमेस्टर की फीस मात्र 268 रुपये है, जिसके कारण गरीब परिवारों के बच्चे भी यहां पढ़ सकते हैं. लेकिन सरकार इसे खत्म करने पर तुली है. आपने देखा होगा कि आईआईटी और जेएनयू साथ साथ शुरू हुए थे, लेकिन आईआईटी में छात्र आंदोलन नहीं था तो वहां फीस बढ़ गई. लेकिन जेएनयू में ऐसा नहीं हो पाया. ऐसे में हम उस लैगेसी को जिंदा रखना चाहते हैं. सरकार चुनाव को खत्म करना चाहती है.' साथ ही उन्होंने बताया कि इस बार भी लेफ्ट एबीवीपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगा.
अग्निवीर बीच में क्यों छोड़ा?
अग्निवीर को लेकर अजयपाल ने कहा, 'अग्निवीर के जरिए समाज के बड़े वर्ग को अधर में छोड़ दिया और अग्निवीर में हिस्सा लेने वाले लोगों को ये भी पता नहीं रहता है कि चार साल बाद क्या होगा. जैसे मैंने यहां नेट की है और अगर मैं जेआरएफ करता हूं तो पीएचडी तक 40-45 हजार मिलेगा, ये उससे ज्यादा है और पीएचडी के बाद कई स्कोप भी रहेंगे. अग्निवीर में चार साल बाद जहां से शुरुआत की थी, वहां पहुंच जाएंगे.'