Infantry Day या पैदल सेना दिवस हर साल 27 अक्टूबर को देश की पैदल सेना के अभूतपूर्व शौर्य के सम्मान में मनाया जाता है. आजादी मिलने के फौरन बाद जम्मू और कश्मीर में भारतीय पैदल सेना के पहले मिलिट्री ऑपरेशन को याद करने के लिए ये दिन मनाया जाता है, जिन्होंने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों से भारतीय क्षेत्र की रक्षा की थी. कश्मीर को जबरन हथियाने के पाकिस्तान के इरादों से भारतीय सेना ने डटकर लोहा लिया था, जिसके सम्मान में 27 अक्टूबर को पैदल सेना दिवस मनाया जाता है.
क्या है इस दिन का इतिहास
इस दिन सिख रेजीमेंट की पहली बटालियन श्रीनगर एयरबेस पहुंची और लड़ाई में असाधारण साहस और दृढ़ संकल्प दिखाया. उस समय, पाकिस्तानी रेंजरों को रोकने के लिए भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट एक दीवार बन गई, जिन्होंने कबायली हमलावरों की मदद से कश्मीर में प्रवेश किया था. पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ रहे थे. लिंक रोड के माध्यम से सैनिकों को भेजने में समय लगता और घाटी पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के हाथों में आ जाती.
ऐसे में 26 अक्टूबर की रात को एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सिख रेजीमेंट को वायुसेना की मदद से सीधे जंग के मैदान में उतारने का फैसला किया. 27 अक्टूबर को तड़के भारतीय वायु सेना के दो विमानों की मदद से सैनिकों के एक हिस्से को एयरलिफ्ट किया गया और शेष को निजी एयरलाइन उड़ानों द्वारा जंग के मैदान में उतार दिया गया. उसी दिन लेफ्टिनेंट कर्नल दीवान रंजीत राय की कमान में बटालियन श्रीनगर में उतरी. तब से, हर साल पैदल सेना के हजारों सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए इन्फैंट्री दिवस मनाया जाता है, जो ड्यूटी के दौरान शहीद हुए थे.