पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसा भड़क रही है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, प्रदर्शनकारियों की बड़ी संख्या प्रधानमंत्री आवास में घुस चुकी है. चुनावों के बहिष्कार के कारण विपक्षी दलों ने राजनीतिक स्थिति को अस्थिर कर दिया है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश फिर से सेना के नियंत्रण में जाएगा.इस वक्त सबकी निगाहें बांग्लादेश की सेना पर हैं, जो या तो खुद सत्ता संभालेगी या किसी और सरकार का समर्थन करेगी.आइए जानते हैं कि बांग्लादेश की सेना कितनी सशक्त है और उसे देश की सुरक्षा के अलावा सरकार चलाने का कितना अनुभव है.
कितनी शक्तिशाली है बांग्लादेश की सेना
ग्लोबल फायरपावर मिलिट्री स्ट्रेंथ रैंकिंग के मुताबिक, यह दुनिया की 37वीं सबसे शक्तिशाली सेना है. ग्लोबल फायरपावर एक ऐसी वेबसाइट है है जो दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं पर नजर रखती है, इसी वेबसाइट के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें लगभग 175,000 सक्रिय सैनिक हैं, और उनके पास 281 टैंक, 13,100 बख्तरबंद वाहन, 30 स्व-चालित तोपखाने, 370 टो आर्टिलरी और 70 रॉकेट आर्टिलरी हैं. नौसेना के लगभग 30,000 सदस्य भी इसमें शामिल हैं.
क्या है बांग्लादेश का रक्षा बजट
बांग्लादेश का रक्षा बजट दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है, और यह सालाना 3.8 बिलियन डॉलर खर्च करता है. ग्लोबल फायरपावर मिलिट्री स्ट्रेंथ की नवीनतम रैंकिंग के अनुसार, दक्षिण एशिया में बांग्लादेश की सेना तीसरी सबसे शक्तिशाली है.
सेना में कितने हैं सैनिक
रिपोर्ट कहती है बांग्लादेश की सेना में 160,000 सक्रिय सैनिक हैं और इसमें बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और तटरक्षक बल जैसे अर्धसैनिक बल भी शामिल हैं. बांग्लादेश का रक्षा बजट भी लगातार आधुनिकीकरण और विस्तार की ओर अग्रसर है. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में बांग्लादेश की सेना का महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे उसने दुनिया भर में 7,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है.
बांग्लादेश के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल वेकर-उज़-ज़मान हैं, जिन्होंने 23 जून 2024 को पदभार ग्रहण किया. सेना का सरकार के साथ जटिल संबंध है और ऐसा इतिहास है सेना ने राजनीतिक संकटों के दौरान सेना ने दखल भी दिया है.
बांग्लादेश में कब-कब हुआ तख्तारपलट, सेना ने कब संभाली कमान
1975 के बाद से बांग्लादेश की सेना ने कई बार तख्तापलट किया है.1975 में पहली बार तख्तापलट के जरिए मुजीब सरकार को हटाया गया था, और 1990 तक सेना का शासन रहा. 2009 में शेख हसीना के सत्ता संभालने के समय भी सेना का समर्थन प्राप्त था. फिलहाल, बांग्लादेश में स्थिति अस्थिर है और सेना का संभावित हस्तक्षेप सत्ता के संतुलन को बदल सकता है.