आज दुनिया के हर एक कोने में आइसक्रीम आसानी से उपलब्ध है और अधिकतर लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं. लेकिन, कुछ दशक पहले तक आइसक्रीम क्या चीज होती है, इसका लोगों को पता नहीं था. ऐसे में जानते हैं आखिर पहली बार किन लोगों ने इसका स्वाद चखा था और ये कहां से प्रचलन में आया?
कई पुराने इतिहासकारों के संस्मरण में उल्लेख मिलता है कि आइसक्रीम जैसी चीज का आविष्कार प्राचीन चीनी लोगों ने किया था. इसे मार्को पोलो इटली लेकर आए. फिर कैथरीन डे मेडिसी फ्रांस और वहां थॉमस जेफरसन अमेरिका लेकर आए. वैसे बर्फ से बने पेय और मिठाइयां कम से कम 4000 ईसा पूर्व से ही प्रचलन में हैं, जब यूफ्रेट्स नदी के किनारे रहने वाले रईस लोग मेसोपोटामिया की गर्मी से राहत पाने के लिए बर्फ के घर बनाए थे.
रोमन सम्राट भी खाते थे आइसक्रीम से मिलती-जुलती चीज
पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में एथेंस की गलियों में बर्फ बेचे जाने का भी पता चलता है. इसका इस्तेमाल संभवतः शराब को ठंडा करने के लिए किया जाता था, जबकि रोमन सम्राट नीरो (37-67 ई.) शहद से सने बर्फ से बने पेय का लुत्फ उठाते थे. वहीं चीन में तांग राजवंश के इतिहास में बर्फ और भैंस के दूध से बने मीठे पेय का वर्णन मिलता है.
भारत में मुगल सम्राट उठाते थे कुल्फी का लुत्फ
आज हम जो आधुनिक आइसक्रीम खाते हैं. इससे काफी हद तक मिलती जुलती ठंडी मीठी कुल्फी से भारत मुगल काल से ही परिचित था. भारत में मुगल सम्राट सांचों में गाढ़े दूध को बर्फ के साथ मिलाकर जमा देते थे और ऐसे कुल्फी तैयार होता था. मुगलकाल में कुल्फी के इस्तेमाल का कई जगह जिक्र हुआ है. कुल्फी आज के आइसक्रीम से काफी मिलती-जुलती है और आज भी भारत में लोग इसका खूब इस्तेमाल करते हैं.
भारत और यूरोप में एक समय आइसक्रीम बनाने के शुरुआती सबूत मिले
दरअसल, कुल्फी के पहले सत्यापित अभिलेख यूरोप में जमे हुए शर्बत और आइसक्रीम के सबसे पुराने साक्ष्य के लगभग समकालीन हैं. दोनों मामलों में एक बात एक समान थी कि बर्फ में नमक मिलाने से एक एक्सोथर्मिक रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हुई, जिससे एक गर्मी-चूसने वाला घोल बना. जिसका हिमांक सामान्य पानी से कहीं कम था. एक्सोथर्मिक नमकीन पानी में डूबे रहने पर, विभिन्न तरह के तरल (दूध, शहद या फलों के रस) मिश्रण आसानी से बर्फ के क्रिस्टल में बदल गए.
यूरोप में आइसक्रीम का इतिहास
वैसे पहली यूरोपीय आइसक्रीम संभवतः 1600 के दशक की शुरुआत में इटली में बनाई गई थी. बर्फ की मिठाइयों का वर्णन 1620 के दशक से मिलता है और मध्य शताब्दी तक वे पेरिस, फ्लोरेंस, नेपल्स और स्पेन में होने वाली दावतों का विशेष आकर्षण होते थे. 1672 में अंग्रेज एलियास एशमोल ने दर्ज किया कि पिछले साल एक भोज में राजा चार्ल्स द्वितीय को आइसक्रीम की एक प्लेट परोसी गई थी. 1694 में एंटोनियो लैटिनी नाम के एक नेपल्स के मैनेजर ने कद्दू के साथ दूध के शर्बत के लिए एक नुस्खा प्रकाशित किया. ये भी आइसक्रीम बनाने की एक विधि थी.
ऐसे अमेरिका तक पहुंची आइसक्रीम
आइसक्रीम यूरोपीय उपनिवेशवादियों के साथ अटलांटिक पार कर गई और 1744 की शुरुआत में औपनिवेशिक मैरीलैंड की पहली महिला ने इसे परोसा था. जॉर्ज वाशिंगटन ने 1784 में माउंट वर्नोन में अपनी प्रॉपर्टी के लिए आइसक्रीम बनाने वाला यंत्र खरीदा था. उसी वर्ष थॉमस जेफरसन ने पेरिस में एक राजनयिक के रूप में सेवा करते हुए संभवतः फ्रांसीसी आइसक्रीम का स्वाद लिया. राष्ट्रपति रहते हुए, जेफरसन ने कम से कम छह बार अपनी हवेली में मेहमानों को आइसक्रीम परोसी. जेफरसन ने अपने जीवनकाल में केवल दस व्यंजनों के बारे में नोट्स लिखा, जिनमें से एक फ्रांसीसी शैली की वेनिला आइसक्रीम के लिए था, जिसे अंडे की जर्दी मिलाकर बनाया जाता था.
1880 में कराया गया आइसक्रीम का पेटेंट
19वीं सदी के अंत तक, अमेरिका आइसक्रीम के आविष्कार का केंद्र बन चुका था. फिलाडेल्फिया के एक फार्मासिस्ट ने 1874 में पहली आइसक्रीम सोडा बनाई थी. पहली खाद्य आइसक्रीम कप का पेटेंट 1880 के दशक में कराया गया था, लगभग उसी समय जब मिल्कशेक - जिसे मूल रूप से स्वास्थ्यवर्धक पेय के रूप में प्रचारित किया जाता था - लोकप्रिय हुआ था.
ऐसे सामने आया आधुनिक आइसक्रीम
1904 के सेंट लुईस विश्व मेले में जब वफल कोन को पेश किया गया तो यह प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच गया और 1923 में पॉप्सिकल का पेटेंट कराया गया. डेयरी क्वीन और कार्वेल कंपनी दोनों ने 1930 के दशक के मध्य में पहली सॉफ्ट-सर्व आइसक्रीम विकसित करने का दावा किया, जबकि फ्रोजन योगर्ट को बाद में 1970 के दशक में पेश किया गया.