scorecardresearch
 

20 साल बाद ध्वस्‍त होना था Eiffel Tower, फ्रांस सरकार ने इस कारण बदला था फैसला

Gustave Eiffel: टॉवर को गुस्तावे आइफिल की सिविल इंजीनियरिंग फर्म द्वारा 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में 7,500 टन लोहे और 2.5 मिलियन रिवेट्स का उपयोग करके बनाया गया था. उनकी आज ही के दिन यानी 28 दिसंबर को वर्ष 1923 में मौत हो गई.

Advertisement
X
Facts about Eiffle Tower
Facts about Eiffle Tower

Gustave Eiffel Death Anniversary: आइफिल टॉवर या ला टूर आइफिल (La Tour Eiffel) दुनिया के सबसे लोकप्रिय टूरिस्‍ट स्‍पॉट में से एक है. इस टॉवर को पेरिस में 1889 के विश्व मेले के केंद्रबिंदु के रूप में डिजाइन किया गया था और इसका उद्देश्य फ्रांसीसी क्रांति के शताब्दी वर्ष को मनाने और वैश्विक मंच पर फ्रांस की आधुनिक मकैनिकल पॉवर को दिखाना था. टॉवर को गुस्तावे आइफिल की सिविल इंजीनियरिंग फर्म द्वारा 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में 7,500 टन लोहे और 2.5 मिलियन रिवेट्स का उपयोग करके बनाया गया था. इसके डिज़ाइनर गुस्‍तावे की आज ही के दिन यानी 28 दिसंबर को वर्ष 1923 में मौत हो गई. आइये जानते हैं आइफिल टॉवर से जुड़े कुछ रोचक फैक्‍ट्स-

- जब गुस्तावे आइफिल ने टावर को डिजाइन किया, तो उन्होंने चतुराई से अपने लिए एक पर्सनल अपार्टमेंट इसमें शामिल कर लिया. इसी अपार्टमेंट में उन्होंने थॉमस एडिसन जैसे प्रसिद्ध मेहमानों की मेजबानी की. अपार्टमेंट अब लोगों के घूमने के लिए खुला है.

- फ़्रांस के औद्योगिक कौशल को दुनिया को दिखाने के इरादे से इस टॉवर का निर्माण किया गया था, लेकिन 20 साल बाद इसे गिराने की योजना थी. हालांकि, गुस्‍तावे ने चतुराई से टॉवर में एक रेडियो एंटीना और वायरलेस टेलीग्राफ ट्रांसमीटर लगाया था जिसने इसे बहुत उपयोगी बना दिया. ऐसे में फ्रांस सरकार ने फैसला किया कि इसे ध्वस्त नहीं किया जाएगा. 

- दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया, तो हिटलर ने आइफिल टॉवर को गिराने का आदेश दिया, लेकिन आदेश का कभी पालन नहीं किया गया. फ्रांसीसियों ने जानबूझकर टॉवर की लिफ्ट केबल काट दीं ताकि नाजियों को अपना झंडा फहराने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ने के लिए मजबूर होना पड़े.

Advertisement

- टॉवर की पहली मंजिल पर गिफ्ट शॉप्‍स के बगल में ही एक छोटा डाकघर भी है. आप अगर इस पोस्‍ट ऑफिस से कोई डाक भेजते हैं तो वह यूनीक पोस्टमार्क के साथ डिलीवर किया जाएगा.

- गुस्‍तावे ने टॉवर की तीसरी मंजिल पर एक मौसम विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की जहां उन्होंने भौतिकी, वायुगतिकी में स्‍टडी की और एक विंड टनल का निर्माण किया. उन्‍होंने प्रयोग के लिए अन्य वैज्ञानिकों के लिए भी प्रयोगशाला के दरवाजे खोल दिए, और यहीं पर कॉस्मिक रेज़ (cosmic rays) की खोज की गई.

- हर सात साल में टावर पर करीब 60 टन पेंट लगाया जाता है. यह न केवल इसे सुंदर बनाकर रखता है, बल्कि यह लोहे को जंग लगने से बचाने में भी मदद करता है.

 

Advertisement
Advertisement