इन दिनों 'गॉड के अस्तित्व' पर हुए बहस काफी चर्चा में है. इसमें लेखक और गीतकार जावेद अख्तर और इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल ने हिस्सा लिया था. इस दौरान मुफ्ती शमाइल ने अपने तर्कों को मजबूत तरीके से रखने के लिए कुछ विशेष फिलॉसिफिकल शब्दों और टर्म्स का इस्तेमाल किया. ऐसे में समझते हैं इन जटिल दार्शनिक शब्दों का मतलब क्या होता है और किन संदर्भों में विद्वानों ने इनका इस्तेमाल किया.
कई बार कुछ विशेष फिलॉसिफिकल टर्म कुछ बड़ी चीजों को परिभाषित करने के लिए गढ़े जाते हैं. कई बार इन शब्दावलियों की व्याख्या अलग-अलग संदर्भ में विशेषज्ञों द्वारा अलग-अलग तरीके से की जाती है. वहीं कुछ शब्द अपने विशेष दार्शनिक मतलब के साथ आते हैं और किसी खास टर्म को सटीक तरीके से परिभाषित करते हैं. ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल मुफ्ती शमाइल 'ईश्वर के अस्तित्व'के पक्ष में अपना तर्क रखने के लिए किया.
Contingency Argument का मतलब
कंटिजेंसी उस स्थिति को कहते हैं जहां किसी चीज़ का अपना अस्तित्व किसी और चीज़ पर निर्भर होता है और वह अपने आप में पूर्ण नहीं होती. इसका मतलब है कि कोई भी वस्तु (जैसे इंसान, पेड़) खुद से नहीं, बल्कि किसी अन्य कारण की वजह से ही अस्तित्व में हैं (जैसे इंसान जीने के लिए खाना-पानी-हवा वगैरह पर निर्भर).
मुफ्ती शमाइल ने भी समझाया कि ब्रह्मांड की हर चीज़ 'कंटिंजेंट' है, यानी उसका होना किसी अन्य चीज पर निर्भर करता है. बहस में तर्क यह था कि यदि पूरी दुनिया 'कंटिंजेंट' यानी की अपने अस्तित्व के लिए किसी अन्य चीज पर (निर्भर) है - जैसे कि धरती सूर्य के चक्कर लगाती है और यही वजह है कि धरती अस्तित्व में है. तो इसे शुरू करने के लिए कोई ऐसी सत्ता होनी चाहिए जो किसी पर निर्भर न हो, जिसे मुफ्ती साहब ने 'नेसेसरी बींग' कहा था.
क्या होता है Necessary being
मुफ्ती शमाइल बार-बार जावेद अख्तर से ये कहते दिखे कि आपने Contingency का अब तक जवाब नहीं दिया है. इसी तरह Necessary being टर्म का इस्तेमाल किया. यह शब्दावली अक्सर ईश्वर और सर्वव्यापी चीजों के लिए इस्तेमाल होता है. यह एक दार्शनिक शब्दावली है, जिसकी व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जाती है. Necessary being का मतलब जो शुरू से हर जगह मौजूद है भी और हमेशा इसकी मौजूदगी रहेगी. वैसी चीज जिसका अस्तित्व हमेशा से रहा है, लेकिन उसकी मौजूदगी का प्रत्यक्ष अहसास नहीं होता है. इसलिए ऐसा भी लगता है कि उसका अस्तित्व न हो.
ये है Infinite Regress का अर्थ
इसी तरह मुफ्ती शमाइल ने Infinite Regress का भी इस्तेमाल ईश्वर की मौजूदगी को पुष्ट करने के तर्क देने में किया. यह भी दो शब्दों से मिलकर बना है. Infinite का मतलब सबको पता है. इसका अर्थ होता है अनंत. वहीं कैंब्रिज डिक्शनरी के मुताबिक Regress का मतलब होता है पीछे के क्रम में फिर से लौट जाना या फिर से पहली वाली स्थिति पा लेना.
इन दोनों शब्दों के मिलने से यह एक फिलोसॉफिकल टर्म बन जाता है. इसका अर्थ होता है. एक ऐसी श्रृंखला जो न तो कभी शुरू हुई और न कभी खत्म होगी. यानी जो बस चल रही है. यह श्रृंखला ऐसी है जिसकी प्रत्येक घटना की वजह उसकी पिछली घटना है. यह आध्यातमिक संदर्भ में सर्वशक्तिमान सत्ता को संदर्भित करती है जो निरंतर चल रही है.