Gen Z और Millennial दो अलग-अलग जनरेशन हैं. जो लोग 1981 से साल 1996 तक पैदा हुए हैं, उन्हें जनरेशन Millennial कहा जाता है. वहीं, जो लोग 1997–2012 के बीच पैदा हुए हैं, वे जनरेशन Z कहलाते हैं. यहां सिर्फ नामों का फर्क नहीं बल्कि दोनों जनरेशन की सोच, समझ और हाव-भाव में भी फर्क है. आइए आपको बताते हैं कि Gen Z और Millennial एक दूसरे से कैसे अलग है.
कौन हैं Millennial?
1981 से साल 1996 तक पैदा हुए लोग यानी मिलेनियल्स ने करीब से दुनिया को बदलते देखा है. इस पीढ़ी ने बचपन में लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल किया और रेडियो-कैसेट टेप पर गाने सुने. यही पीढ़ी आज लैंडलाइन की जगह स्मार्टफोन चला रही है. रेडियो और कैसेट की जगह होम थिएयर, स्पॉटिफाई का इस्तेमाल कर रही है. वक्त बदलने के साथ-साथ इस जनरेशन ने भी खुद को स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और डिजिटल टेक्नोलॉजी की तेज़ रफ्तार दुनिया में ढाल लिया है.
मिलेनियल्स के बचपन से जवानी तक का सफर तकनीक के इवोल्यूशन की कहानी है. अगर किसी मिलेनियल्स से टेक्नोलॉजी के बारे पूछा जाए तो वो सीधा-सीधा बता देंगे कि पहले तो हम चिट्ठी लिखा करते थे, पड़ोस में एक ही घर में डिश टीवी लगा होता है, यहां तक कि घुमाने वाला फोन भी हर किसी के पास नहीं था या फिर नोकिया के टच वाले फोन मार्केट में आना शुरू हो गए थे, लेकिन आज हर बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन है और सबकी प्राइवेसी है.
मजेदार बात यह है कि मिलेनियल्स में पुरानी और नई दोनों सोच का अनोखा मिश्रण है. ये नॉस्टैल्जिया में पुराने गानों की प्लेलिस्ट बनाते हैं, लेकिन साथ ही क्रिप्टोकरेंसी और AI जैसी नई चीजों को भी अपनाने से पीछे नहीं हटते.
कौन हैं Gen Z?
जनरेशन Z यानी कि वो लोग जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं. यह पीढ़ी पूरी तरह इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में पली बढ़ी है. यही वजह है कि तकनीक का इस्तेमाल करने में यह मिलेनियल्स से कहीं बेहतर हैं. बचपन से ही ऑनलाइन जानकारी, ऐप्स और टेक्नोलॉजी से जुड़े रहने के कारण ये तेज़ी से बदलती दुनिया में खुद को आसानी से ढाल लेते हैं और हमेशा अपडेटेड रहते हैं.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह पीढ़ी अपने फैसले लेना खुद पसंद करती है. इसके अलावा दूसरे के साथ-साथ खुदकी जरूरतें और इच्छा को भी महत्व देती है. करियर के मामले में यह लोग सोच-समझकर फैसला लेते हैं. डॉक्टर, इंजीनियर की रेस से दूर टैलेंट और अपनी पसंद का करियर चुनने की स्वतंत्रता पर बात करते हैं. यह जनरेशन मानती है कि लोगों से घुलने-मिलने या दोस्ती करने में वाइब्स मैच होना जरूरी है. अगर वाइब्स मैच हों, तो बातें आसानी से जम जाती हैं, माहौल अच्छा लगता है और रिश्ते में नेचुरल कंफर्ट आता है.
ऑफिस वर्क को लेकर क्या कहते हैं Gen Z?
एक सर्वे के अनुसार, 47 प्रतिशत GEN Z युवा दो साल के बाद नौकरी छोड़ देते हैं, जबकि उतने ही लोग (46 प्रतिशत) नौकरी के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता देते हैं. 'Gen Z at Workplace' टाइटल वाली यह रिपोर्ट 5350 से अधिक जनरेशन जेड और 500 एचआर प्रोफेशनल्स युवाओं के सर्वे से तैयार की गई है.
Gen Z मानते हैं कि ऑफिस में कूल माहौल होना चाहिए टॉक्सिक नहीं. ये जनरेशन मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देती है. ऑफिस ऐसा होना चाहिए जहां लोग अपनी वर्क-लाइफ को अच्छे से बैलेंस कर सकें. जनरेशन Z ऑफिस में फेवरेटिज्म (पक्षपात) के सख़्त खिलाफ मानी जाती है, इस पीढ़ी का मानना है कि हर कर्मचारी का आकलन उसकी मेहनत, प्रदर्शन और कौशल के आधार पर होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत संबंधों या पसंद-नापसंद पर. अगर ऑफिस में प्रमोशन, अवसर या जिम्मेदारियां सिर्फ कुछ “फेवरेट” लोगों को मिलती हैं, तो Gen Z इसे न केवल गलत मानती है बल्कि खुलकर सवाल भी उठाती है.
जेन जेड के 78 प्रतिशत लोग करियर ग्रोथ के लिए नौकरी बदलने में विश्वास रखते हैं. एचआर प्रोफेशनल्स के 71 प्रतिशत युवा मानते हैं कि यह मुख्य रूप से अच्छी सैलरी के लिए है, नई पीढ़ी में 25 फीसदी ऐसे लोग हैं जो नौकरी बदलते समय मोटिवेशन से ज्यादा सैलरी को अहमियत देते हैं.
खर्चा करने में विश्वास रखती है ये जनरेशन
जेनरेशन जेड के बारे में एक रिपोर्ट यह भी बताती है कि यह जनरेशन सेविंग से ज्यादा खर्च करने में विश्वास रखती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनरेशन जेड आबादी के खर्च के रुझान से पता चलता है कि 2035 तक यह 2 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा. स्नैप इंक के मुताबिक 37.7 करोड़ से ज्यादा जेनरेशन जेड आबादी के साथ भारत एक युवा राष्ट्र है.
ये आबादी खपत के जरिये अगले दो दशकों में भारत के विकास के भविष्य को आकार देगी. अनुमान है कि 2025 तक जेनरेशन जेड आबादी सीधे तौर पर 250 अरब डॉलर खर्च करेगी, और 2035 तक ये आंकड़ा 1.8 लाख करोड़ डॉलर पहुंच जाएगा.
दोनों जनरेशन की बॉडी लैंग्वेज में क्या फर्क है?
मिलेनियल्स और जेन जेड की बॉडी लैंग्वेज में भी काफी फर्क है. मिलेनियल्स में पुराने समय की विनम्रता और नए दौर की आत्मविश्वास भरी ऊर्जा का मिश्रण दिखाई देते हैं. यह किसी से बात करते हुए सिर हिलाकर ध्यान से सुनते हैं और फिर अपनी बात रखते हैं. मिलेनियल्स कभी-कभी अपनी बात सामने वाले से नहीं कहते यह सोचकर कि कहीं उसका बुरा ना लगे या फिर वो हमें जज ना करें या फिर ये सोच लेते हैं कि अगर इसे कुछ कह दिया तो आगे हमारे लिए दिक्कत होगी, लेकिन जेन जेड के साथ ऐसा नहीं है.
जेन जेड जनरेशन अपने व्यूज खुलकर सामने रखने में विश्वास रखती है. यह बातचीत में जल्दी-जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं, चेहरों के एक्सप्रेशन ज़्यादा बदलते हैं और हाथों का इस्तेमाल खुलकर करते हैं.
इसके अलावा जेन जेड मिलेनियल्स के मुकाबले कैमरा के सामने ज्यादा कॉन्फिडेंट रहते हैं. वीडियो कॉल, सेल्फी और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने की आदत से इनकी बॉडी लैंग्वेज में कैमरा-कॉन्फिडेंस साफ़ झलकता है. इसके अलावा कपड़ों के मामले में यह हर ट्रेंड सेट भी करते हैं और ट्रेंड को तुरंत अपना भी लेते हैं.