
क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी घटना है जो लगभग हर 75-76 साल में घटित होती है और कई सदियों से घटित होती आ रही है? इस बात की अत्यधिक संभावना है कि आपके माता-पिता या दादा-दादी ने इसे देखा होगा, और इस बात की अच्छी संभावना है कि आप भी अपने जीवनकाल में एक बार इसे देखेंगे. तो, यह घटना क्या है और पूरी दुनिया इसका बेसब्री से इंतजार क्यों करती है? हम बात कर रहे हैं मशहूर हैली धूमकेतु की, जिसे हैली धूमकेतु के नाम से भी जाना जाता है. आइये जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें
क्या है हैली धूमकेतु?
इसे कॉमेट हैली के नाम से भी जाना जाता है. NASA के मुताबिक ये कॉमेट सबसे गहरा है और इसकी प्रतिबिंब बनाने की शक्ति बहुत ही कम होती है. इस कॉमेट का नाम एक इंग्लिश एस्ट्रोनोमर एडमंड हैली के नाम पर रखा गया. जिन्होंने इसके पिरयोडिक नेचर को पहचानकर इसकी वापसी की भविष्यवाणी की थी.
एडमंड हैली और हैली कॉमेट
इस धूमकेतु क बारे में एडमंड ने ये ऑबजर्व किया था कि 1531, 1607 और 1682 में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले कॉमेट्स एक ही थे. इसके बाद उन्होंने प्रिडिक्शन की कि ये सन् 1758 में पृथ्वी के पास से दोबारा गुजरेगा. इसके बाद एडमंड उन्हीं के नाम पर इस कॉमेट का नाम रख दिया गया.
आखिरी बार कब आया था हैली कॉमेट?
आखिरी बार पृथ्वी से ये कॉमेट सन् 1986 में आखिरी बार आसमान में दिखाई दिया था. उस वक्त इसके पास से कुल 5 स्पेसक्राफ्ट गुजरे थे. इनमें से दो जापान के अंतरिक्ष यान, दो सोवियत यूनियन के और एक यूरोपियन स्पेस एजेंसी का स्पेसक्राफ्ट तो सिर्फ 596 कि.मी. की दूरी से गुजरा.

अभी कहां है हैली कॉमेट?
फिलहाल ये धूमकेतु हाइड्रा के कॉन्सटेलेशन में मौजूद है. ये अभी क्षितिज से 19 डिग्री की ऊंचाई पर पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में मौजूद है. इसकी मौजूदा चमक की वजह से इसे बस लॉन्ग एक्सपोजर फोटोग्राफी के माध्यम से देखा जा सकता है. फिलहाल पृथ्वी से इसकी दूरी 5,335,754,983 किलोमीटर है. लाइट को इस कॉमेट से गुजरकर हम तक आने में 4 घंटे, 56 मिनट और 38.1628 सेकंड लगते हैं.
भारत में कब देखने को मिलेगा हैली कॉमेट?
ये धूमकेतु अगली बार सन् 2062 में आकाश में देखने को मिलेगा. ये हर 75-76 सालों में सूर्य की परिक्रमा करता है. ये सभी दूसरे कॉमेट्स से ज्यादा फेमस है. इसकी विजिट 467 ईसा पूर्व में दर्ज की गई थी.

क्या है इस धूमकेतु का साइज?
इस कॉमेट का डायमेंशन लगभग 9.3 गुणा मील है. यह सोलर सिस्टम की सबसे गहरी वस्तुओं में से एक है. इसका अल्बेडो 0.03 है, जिसका मतलब है कि यह अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश का केवल 3% ही रिफ्लेक्ट करता है.
ऑरबिट
धूमकेतु हैली पृथ्वी की कक्षा से 18 डिग्री झुके हुए विमान में सूर्य के चारों ओर पीछे की ओर चलता है. छोटी अवधि के धूमकेतुओं के बीच हैली की पिछड़ी या प्रतिगामी गति असामान्य है, क्योंकि सूर्य से इसकी सबसे बड़ी दूरी (एफ़ेलियन) नेप्च्यून की कक्षा से परे है.