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क्यों किसी कंपनी के फैक्ट्री आउटलेट पर शोरूम से सस्ता मिलता है सामान? ये है इसकी वजह

फैक्ट्री आउटलेट्स, ऐसे प्रतिष्ठान होते हैं, जहां ज्यादा छूट और कम कीमत पर ब्रांडेड उत्पाद मिल जाते हैं. अब सवाल ये उठता है कि इन फैक्ट्री आउटलेट्स में मिलने वाले कपड़े, जूते, कॉस्मेटिक के सामान, एक्सेसरीज जैसे उत्पादों के दाम इन्हीं के शोरूम से भिन्न क्यों होते हैं?

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फैक्ट्री आउटलेट्स में ज्यादा सस्ते मिलते हैं ब्रांडेड सामान (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)
फैक्ट्री आउटलेट्स में ज्यादा सस्ते मिलते हैं ब्रांडेड सामान (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)

फैक्ट्री आउटलेट्स में मिलने वाले ब्रांडेड उत्पादों की कीमत शोरूम से कम होती है. इसकी एक सीधी वजह ये है कि यहां सीधे फैक्ट्री से माल आता है और ये एक तरह से स्टॉक क्लीयरेंस का जरिया है. इनमें से कुछ स्टॉक मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट उत्पाद के भी होते हैं. इसके अलावा भी कई ऐसी कारण हैं, जिस वजह से आउटलेट्स में मिलने वाले उत्पादों की कीमत कम होती है.  

किसी जूते या जींस के शोरूम में उस ब्रांड के विभिन्न उत्पादों की कीमत पर अगर 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है, तो फैक्ट्री आउटलेट में वही सामान एमआरपी से 50% कम पर उपलब्ध होते हैं. सबसे बड़ी बात फैक्ट्री आउटलेट्स की ये होती है कि यहां महंगे ब्रांड के उत्पाद भी काफी कम कीमतों पर लोगों को उपलब्ध हो जाते हैं. इसके पीछे कई वजह हैं, जिसका रिटेल सेक्टर के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में भी जिक्र किया है. 

आउटलेट्स में पुराने और नए स्टॉक का फर्क नहीं होता
फैक्ट्री आउटलेट्स में कई बार पुराने और नए स्टॉक जैसा कोई अंतर नहीं होता है. कई बार यहां ऐसे भी उत्पाद बेचे जाते हैं, जिनका स्टॉक शोरूम के माध्यम से खत्म नहीं हो पाता है. ऐसे में फैक्ट्रियों से सीधे ये स्टॉक क्लीयरेंस के लिए आउटलेट्स में भेज दिए जाते हैं और यहां डायरेक्ट फैक्ट्री प्राइस पर बिकते हैं. इस वजह से इनकी कीमत शोरूम या अन्य रिटेल शॉप से काफी कम या आधी होती है. वहीं कई बार आउटलेट्स में नए स्टॉक भी आ जाते हैं. वो भी फैक्ट्री प्राइस पर ही बिकते हैं. आउटलेट्स एक तरह से फैक्ट्री के ब्रांडेड उत्पादों के स्टॉक क्लीयरेंस का जरिया है.

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आउटलेट्स में नहीं होता है होलसेलर्स और रिटेलर्स के बीच का झंझट
किसी भी बड़े ब्रांड के शोरूम में स्टॉक आमतौर पर बड़े थोक व्यापारियों के माध्यम से आते हैं. यहां एक डिस्ट्रिब्यूशन चैनल होता है. फैक्ट्री से पहले होलसेलर्स, फिर रिटेलर्स. इसके अलावा इसकी मार्केटिंग. इस वजह से उत्पादों की फैक्ट्री प्राइस शोरूम आते-आते बढ़ जाती है. वहीं फैक्ट्री आउटलेट्स में स्टॉक सीधे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से आते हैं. डिस्ट्रिब्यूटर और होलसेलर जैसे बीच के लिंक नहीं होते हैं. थोक और  रिटेलर्स की भूमिका भी खत्म हो जाती है. यही वजह है कि आउटलेट्स में काफी ज्यादा छूट पर सामान बिकते हैं. 

आउटलेट्स में  मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट भी चलता है
किसी भी ब्रांडेड कपड़े, जूते या अन्य सामान के शोरूम में ब्रांड की क्वालिटी मेंटेन रहती है. यहां आने वाले उत्पादों के स्टॉक एकदम नए और फ्रैश रहते हैं. साथ ही मौजूदा ट्रेंड, फैशन और सीजन को ध्यान में रखते हुए स्टॉक मंगाए जाते हैं. इस वजह से इन्हें कम प्राइस या ज्यादा छूट पर बेचे जाने का सवाल नहीं उठता. वहीं आउटलेट्स में स्टॉक पुराना है या नया मायने नहीं रखता. यहां तक कि कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट भी हो तो भी चलता है. इसे सीधे फैक्ट्री लागत से कुछ ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है, जो शोरूम प्राइस से काफी कम होता है और ग्राहकों को ये इसके वास्तविक बाजार  एमआरपी से 60 से 70 प्रतिशत कम पर मिल जाता है.

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फैक्ट्री आउटलेट्स की कम लागत 
फैक्ट्री आउटलेट्स में एक तो सभी ब्रांडेड उत्पाद मिल जाते हैं. वहीं यहां शोरूम की तरह बहुत ज्यादा स्टाफ नहीं होते हैं. साथ ही आउटलेट्स अधिकतर शहर से दूर या वैसी जगहों पर होते हैं, जो कम खर्चीले हो. अक्सर आउटलेट्स महंगे मॉल या मार्केटिंग प्लेस से दूर हाईवे पर या किसी इंडिपेंडेंट जगह पर होता है. इस वजह से इनका किराया भी महंगे मॉल में खुले शोरूम से काफी कम होता है. आउटलेट्स में ज्यादा ताम-झाम भी नहीं होते न ही यहां ज्यादा स्टाफ होते हैं. इस वजह से फैक्ट्री आउटलेट्स में मार्केटिंग लागत काफी कम होती है. यहां आने वाले ब्रांडेड उत्पाद चूंकि सीधे फैक्ट्री से आते हैं, इसलिए  कम परिचालन लागत, लिमिटेड सर्विस, कम किराया और डिस्ट्रिब्यूशन चेन या रिटेलर्स कॉस्ट कम होता है और प्रोडक्ट की प्राइस पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता है. 
 
आउटलेट्स से ब्रांड निर्माता और ग्राहक दोनों को फायदा
फैक्ट्री आउटलेट कस्टमर के साथ-साथ मैन्युफैक्चरर्स के लिए भी फायदेमंद है. फैक्ट्री आउटलेट से उपभोक्ताओं को कम कीमत पर ब्रांडेड सामान मिल जाते हैं वहीं  निर्माताओं के पास अपने आउटलेट पर आउटलेट पर अपना नियंत्रण होता है. वो स्टोर को अपने तरीके से चला सकते हैं. अपने पुराने स्टॉक को अपनी कीमत पर यहां खपाते हैं. उन्हें इंवेंट्री या डिस्ट्रिब्यूशन पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है. साथ ही निर्माता अपने तरीके से नए फैशन और पुराने स्टॉक के मिश्रण को यहां खपा पाते हैं. 

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आउटलेट्स में मिलने वाले उत्पादों की क्वालिटी शोरूम से कमतर 
आउटलेट्स की बढ़ती अवधारणा के कारण भारत में कुछ जगहों पर और विदेशों में कुछ बड़े ब्रांड ने अपने उत्पादों की ऐसी श्रृंखला भी शुरू कर दी है, जो सिर्फ फैक्ट्री आउटलेट्स के लिए ही है. CBC मार्केटप्लेस के एक सर्वे के अनुसार  आउटलेट्स अबतक पिछले सीजन में नहीं बिक पाने वाले स्टॉक और हल्की मैन्युफेक्चरिंग डिफेक्ट वाले स्टॉक को क्लीयर करने वाली जगह थी. लेकिन, कुछ कंपनियों ने अपने आउटलेट्स के लिए एक विशिष्ट श्रृंखला पेश करते हैं, जो उनके शोरूम के उत्पाद से गुणवत्ता में कम होती है. इस वजह से भी आउटलेट्स में मिलने वाले उत्पादों की कीमत शोरूम से कम होती है.

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