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क्या वाकई में 'मिठाई' खिलाकर तिहाड़ से भाग गया था 'बिकिनी किलर' चार्ल्स शोभराज? ये है सच्चाई

चार्ल्स शोभराज, जिसे 'बिकिनी किलर' और 'द सर्पेंट' के नाम से जाना जाता है, 1986 में तिहाड़ जेल से नशीली मिठाइयों की मदद से भाग निकला था? नेटफ्लिक्स पर हाल में रिलीज हुई वेब सीरीज़ 'ब्लैक वारंट' में इस घटना को दर्शाया गया है.

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कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की तस्वीर
कुख्यात सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की तस्वीर

16 मार्च 1986 को फ्रांसीसी इंटरनेशनल क्रिमिनल चार्ल्स शोभराज तिहाड़ जेल के स्टाफ और कैदियों को मिठाई खिलाकर भाग निकला? नेटफ्लिक्स पर हाल में रिलीज हुई वेब सीरीज़ 'ब्लैक वारंट' में तो कुछ ऐसा ही दिखाया गया है. सीरीज के आखिरी एपिसोड चार्ल्स शोभराज के भागने के सीन के साथ खत्म हो जाता है. इस सीन में जेल के एंट्री गेट से लेकर चार्ल्स शोभराज के बैरक तक सभी जेल सुरक्षाकर्मी और कैदी बेसुध गिरे हुए नजर आते हैं जिनके पास मिठाई के डब्बे रखे हैं. यानी शोभराज सभी को नशीली मिठाई खिलाकर जेल से भागने में कामयाब हो गया, लेकिन क्या असलियत में ऐसा ही हुआ? क्या शोभराज मिठाई खिलाकर तिहाड़ जेल से भाग निकला था? उसके बाद क्या हुआ? अगर आपने यह सीरीज देखी है या सुना है तो आपके मन में भी ऐसे बहुत से सवाल होंगे.

दरअसल, नेटफ्लिक्स की सीरीज 'ब्लैक वारंट' दिल्ली के तिहाड़ जेल में पूर्व जेलर रह चुके सुनील गुप्ता की कहानी है. जिन्होंने वहां अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी बतौर जेलर गुजारी है. सीरीज की शुरुआत से ही उनका तिहाड़ जेल में स्ट्रगल दिखाया जाता है. विक्रमादित्य मोटवानी द्वारा निर्देशित इस सीरीज में दिखाया गया है कि एक जेल के अंदर बंद हुए कैदी अपना जीवन कैसे जीते हैं, जेलर और सिपाहियों को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है? इस सीरीज में 'बिकिनी किलर' के नाम से मशहूर चार्ल्स शोभराज की कहानी को भी दिखाया गया है, जो नशीली मिठाई की बदौलत तिहाड़ जेल से भागने में कामयाब हो गया. इस सीरीज में चार्ल्स शोभराज की भूमिका अभिनेता सिद्धांत गुप्ता ने निभाई है.

यह भी पढ़ें: Black Warrant Review: तिहाड़ जेल के अनदेखे राज खोलती है 'ब्लैक वारंट', दमदार है सुनील गुप्ता की कहानी

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असल में कौन है चार्ल्स शोभराज?

चार्ल्स शोभराज, जिसे "बिकिनी किलर" और "द सर्पेंट" के नाम से भी जाना जाता है, एक कुख्यात अपराधी और सीरियल किलर है. चार्ल्स शोभराज का पूरा नाम Hatchand Bhaonani Gurumukh Charles Sobhraj है, जिसका जन्म 6 अप्रैल 1944, साइगॉन (अब वियतनाम में हो ची मिन्ह सिटी) में हुआ था. चार्ल्स की मां वियतनामी और पिता भारतीय मूल के थे. उसके जन्म के वक्त वियतनाम पर फ्रांस का कब्जा था. फ्रांस के कब्जे वाले देश में पैदा होने के कारण शोभराज के पास फ्रांस की नागरिकता है.

अपराध की दुनिया में रखा कदम

चार्ल्स शोभराज ने 1970 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा था. उसने दक्षिण एशिया में अपराधों की शुरुआत की. वह अक्सर विदेशी पर्यटकों और खासकर विदेशी लड़कियों को अपना शिकार बनाता था. अपने लग्जरी लाइफस्टाइल, पहनावे, बॉडी लैंग्वेज और फर्राटेदार इंग्लिश एक्सेंट से वह घूमने आए विदेशी लोगों का पहले विश्वास जीतता था. इसके बाद मौका मिलते ही नशीला पदार्थ खिलाकर उन्हें लूटता और उनकी हत्या-रेज जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देता था.

चार्ल्स शोभराज को क्यों कहा जाता है 'बिकिनी किलर'?

चार्ल्स शोभराज अपनी लुभावनी पर्सनैलिटी के चलते पर्यटक लड़कियों से आसानी से दोस्ती कर लेता था. फिर उन्हें ड्रग देकर उनका सामान लूटकर हत्या कर देता था. "बिकिनी किलर" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि कई मृत पाई गई महिलाओं ने बिकिनी पहनी हुई थी. इसी तरह उसे 'द सर्पेंट' नाम इसलिए मिला क्योंकि वह कानून से बचने में बहुत माहिर माना जाता था.

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तिहाड़ जेल से कैसे भागा था चार्ल्स शोभराज?

तिहाड़ जेल के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, 'उन दिनों जेल में मिलने आने वाले लोगों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं थी और सभी तरह के लोग जेल आकर उससे मिल सकते थे. शोभराज को 1976 में तिहाड़ जेल लाया गया था. 16 मार्च 1986 को शोभराज ने जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए शानदार दावत की. उसने अपने दोस्त डेविड हॉल की मदद से ‘लारपोस’ नामक नशीला पदार्थ मंगवा लिया था और उसे मिठाई, अंगूर और कस्टर्ड में मिला दिया. फिर चीजें जेल कर्मियों में को बांटीं, खासकर, गेट पर पहरा देने वालों कर्मियों को, साथ में उसने उन्हें 50-50 रुपये भी दिए. इसके बाद वह द्वारपाल के दफ्तर में गया जो वहां बेहोश पड़े थे और उसने उनकी कमर से चाबी निकाली और फिर दरवाज़ा खोल कर कुछ अन्य कैदियों के साथ जेल से भाग गया.'

उन्होंने बताया था कि 22 दिन बाद ही उसे गोवा के कसीनो से फिर गिरफ्तार कर लिया गया. शोभराज को उस समय किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया था. 1997 में उसे तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया था.

बता दें कि नेपाल में 2003 में उसे फिर से गिरफ्तार किया गया और 1975 में हुए दोहरे हत्याकांड के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. दिसंबर 2022 में, 78 साल की उम्र में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया था. शोभराज ने जेल से रिहा होने के लिए याचिका दायर की थी. उसका कहना था कि वह निर्धारित समय (सिर्फ 20 साल तक) से ज्यादा समय तक जेल में बंद है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार कर ली थी और इसी आधार पर चार्ल्स शोभराज को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया गया.

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