बिहार विधानसभा चुनाव में कौन जीतेगा, इसका फैसला कुछ ही घंटों के बाद होने वाला है. ऐसे में हर कोई चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे वोटर्स भी हैं, जिनके वोटों की गिनती शुक्रवार को होने वाली काउंटिंग में नहीं की जाएगी. तो जानते हैं वो वोट कौनसे हैं, जिनकी गिनती नहीं की जाएगी.
किन वोटों की नहीं होगी गिनती?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, काउंटिंग में टेंडर वोट्स की गिनती नहीं की जाती है. टेंडर वोट, खास तरह के वोट होते हैं, जिन्हें सामान्य काउंटिंग में शामिल नहीं किया जाता है और उनकी गिनती नहीं होती है. कई बार कोर्ट के आदेश के बाद कुछ खास परिस्थितियों में इनकी गिनती की जाती है और इन्हें सिर्फ सील रखा जाता है. तो जानते हैं ये वोट कौन देता है और ये क्या होते हैं.
क्या होते हैं टेंडर वोट?
दरअसल, कई बार होता है कि वोटर जब मतदान केंद्र पर जाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनकी ओर से पहले ही कोई और मतदान कर चुका है. ऐसे मामले में मतदाता को बैलेट पेपर पर मत डालने का अधिकार होता है- ये ही टेंडर वोट कहलाता है. यह विशेष बैलेट पेपर सीलबंद सुरक्षित रखे जाते हैं. इनकी गिनती नियमित तौर पर नहीं की जाती, लेकिन अगर टाई या मामूली अंतर की स्थिति बने, तो न्यायालय के निर्देश पर ये खोले जा सकते हैं.
चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 49P कहती है कि अगर मतदाता यह देखता है कि उसके नाम से पहले ही वोट डल चुका है, तो वह प्रिसाइडिंग ऑफिसर को सूचित कर सकता है. पहचान प्रमाणित होने पर उसे टेंडर वोट डालने की अनुमति दी जाती है. यह मत फिर सीलबंद बॉक्स में रखा जाता है और केवल अदालत के आदेश पर ही खोला जाता है.
कब होती है गिनती?
कुछ खास परिस्थितियों में कोर्ट की ओर से इन्हें गिनने का आदेश दिया जाता है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में, कांग्रेस के सी.पी. जोशी और भाजपा के कल्याण सिंह चौहान के बीच एक वोट का अंतर था. अदालत के निर्देश पर ही टेंडर वोट की गिनती कराई गई. कोर्ट का हस्तक्षेप न होता, तो ये मत गिने भी नहीं जाते. चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 56 बताती है कि टेंडर वोट सामान्य गिनती में नहीं जोड़े जाते और ये सीलबंद ही रहते हैं.
14 फीसदी हो जाए तो वापस होती है वोटिंग?
दरअसल, कई बार ये सूचना फैलाई जाती है कि अगर 14 फीसदी से ज्यादा टेंडर वोट हो तो दोबारा वोटिंग करवानी होती है. लेकिन चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, 14 फीसदी या उससे अधिक टेंडर वोट पड़ने पर पुनर्मतदान की कोई वैधानिक व्यवस्था नहीं है.