Akbar Allahabadi: उर्दू के जाने-माने कवि अकबर इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 को यूपी इलाहाबाद में हुआ था. उनका असली नाम अकबर हुसैन रिज़वी था. उनकी रचनाएं इतनी मशहूर हुईं कि वह आगे चलकर अकबर इलाहाबादी के नाम से बुलाए जाने लगे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा मदरसों से ही हुई थी. प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे आगे लॉ की पढ़ाई के लिए कॉलेज गए. उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की और कानून के क्षेत्र से ही जुड़े रहे. वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेशन जज भी बने. आज उनकी जयंती के मौके पर आइये पढ़ते हैं उनकी कुछ खास नज़्में.
हंगामा है क्यूं बरपा थोड़ी सी जो पी ली है,
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है.
ना-तजरबा-कारी से वाइ'ज़ की ये हैं बातें,
इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है.
उस मय से नहीं मतलब दिल जिस से है बेगाना,
मक़्सूद है उस मय से दिल ही में जो खिंचती है.
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूं,
बाज़ार से गुज़रा हूं ख़रीदार नहीं हूं.
ज़िंदा हूं मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी,
हर-चंद कि हूं होश में हुश्यार नहीं हूं.
इस ख़ाना-ए-हस्ती से गुज़र जाऊंगा बे-लौस,
साया हूं फ़क़त नक़्श-ब-दीवार नहीं हूं.
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता.
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद,
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता.