अहमदाबाद प्लेन हादसे के 28 घंटे बाद ब्लैक बॉक्स मिल गया है. जिसके बाद दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में आसानी होगी. ऐसे में सवाल है कि आखिर ये Black Box होता क्या है और इसके मिलने से किन-किन तरह की जानकारी सामने आ सकती है. आइए बताते हैं कि ये Black Box किस तरह से काम करता है.
जांच एजेंसियों ने अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए एअर इंडिया के विमान के मलबे से एक Black Box बरामद किया है. सूत्रों के अनुसार, यह ब्लैक बॉक्स एक इमारत की छत पर पाया गया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए एक वीडियो रिकॉर्डर वायरल हो रहा है, वो DFDR (डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) नहीं है.
जैसे ही ब्लैक बॉक्स मिला, AAIB (एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) ने तुरंत अपनी जांच की प्रक्रिया तेज कर दी. घटना स्थल पर राज्य सरकार के 40 से ज्यादा कर्मचारियों ने मौके पर मौजूद MoCA टीम के साथ मिलकर जांच प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाना शुरू कर दिया.
क्या होता है Black Box?
अब सभी की नजर इस विमान के ब्लैक बॉक्स पर हैं, जो इस हादसे की गुत्थी सुलझाएगा. आखिर Black Box होता क्या है? चमकदार नारंगी रंग का एक डिवाइस होता है, जिसमें विमान के कॉकपिट में होने वाली हर बातचीत रिकॉर्ड होती है. इसमें पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच होने वाली बातचीत के अलावा, दोनों पायलटों के बीच होने वाली बातचीत भी शामिल है. ये Black Box विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है. यानी विमान की Tail के पास फिट किया जाता है. अहमदाबाद में क्रैश हुए विमान का पिछला हिस्सा एक बिल्डिंग में फंसा हुआ दिखाई दिया था. इसी हिस्से के पास Black Box होता है.
Black Box विमान की सबसे मजबूत चीज होती है. ये 1,100 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी झेल सकता है. पानी में लंबे समय तक खराब नहीं होता और इसमें टूट फूट नहीं होती. यही नहीं, इसमें Under Water Beacon लगा होता है ताकि समंदर में गिरने पर इसको ढूंढा जा सके. Black Box के अंदर कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर होता है. CVR में पायलट, को-पायलट, क्रू मेंबर्स और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से हुई बातचीत रिकॉर्ड होती है और FDR में विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन का व्यवहार और विमान में फ्यूल के स्तर से जुड़ी जानकारी रिकॉर्ड होती है.
फिलहाल, अब इसके डेटा का ऐनालिसिस किया जाएगा और ये पता लगाया जाएगा कि हादसे की वजह क्या थी. इसमें वॉयस रिकॉर्डिंग में दर्ज आवाजों को डीकोड किया जाएगा, फिर FDR से मिले विमान के डेटा के साथ उसका मिलान करते हुए हादसे के कारण तलाशे जाएंगे. जांच एजेंसियां कई तरह की जानकारियां इकट्ठा करेंगी, जैसे विमान का राडार डेटा, ATC से हुई बातचीत, विमान की Trajectory... विमान के मेंटेनेंस का पूरा इतिहास, पायलट्स की काबिलियत और ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी और इसके अलावा एयर इंडिया के काम करने की पूरी प्रक्रिया का भी विश्लेषण किया जाएगा.
यही नहीं जांच एजेंसियां विमान के मलबे की जांच करेंगी. एटीसी के अधिकारियों से पूछताछ होगी. विमान का मेंटेनेंस देखने वाले क्रू से पूछताछ होगी. ये पता लगाया जाएगा कि हादसे के वक्त अहमदाबाद का मौसम कैसा था, पायलट की सेहत कैसी थी और सुरक्षा से जुड़े सीसीटीवी फुटेज का भी देखे जाएंगे. सारी प्रक्रिया के बाद विमान हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट 30 दिनों के अंदर दी जाएगी और फिर फाइनल रिपोर्ट 12 महीने के अंदर पेश करनी होगी. रिपोर्ट में हादसे की वजह तो बताई ही जाएगी, इसके अलावा इन हादसों से कैसे बचा जाए, इसके बारे में भी बताया जाएगा.