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2025 अभी आधा भी नहीं बीता और चली गईं 1 लाख नौकरियां, क्यों हो रही है इतनी छंटनी?

इस साल बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जा रही है. अब तक एक लाख से ज्यादा लोग छंटनी के शिकार हो गए हैं. वो भी ऐसी कंपनियों में जहां लोगों का मानना है कि जॉब सिक्योरिटी होती है. इसके पीछे की वजह AI का तेजी से विस्तार, आर्थिक दबाव और रणनीतिक बदलाव जैसे फैसले हैं.

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2025 में बड़े पैमाने पर हो रहे ले-ऑफ (फोटो - Pexels)
2025 में बड़े पैमाने पर हो रहे ले-ऑफ (फोटो - Pexels)

2025 अभी आधा ही बीता है और एक लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गई. खासकर बड़ी टेक कंपनियों में ज्यादा ले-ऑफ हुआ है. इनमें माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन और मेटा जैसी कंपनियां भी शामिल हैं. इन कंपनियों ने बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों की छंटनी की है. 

टेक कंपनियों के अलावा गैर टेक कंपनियों ने भी काफी छंटनी की है. इनमें भी निसान, पोर्श, स्टारबक्स जैसी बड़ी कंपनियां शामिल है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार स्टार्टअप्स से लेकर कई दिग्गज कंपनियां अभी बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. इसमें AI अहम है. एआई की वजह से कई बड़ी टेक कंपनियों में लोगों की नौकरियां गई है. 

इन कंपनियों ने की सबसे ज्यादा छंटनी
इस वर्ष छंटनी करने वाली प्रमुख टेक कम्पनियों में सबसे आगे इंटेल है. इंटेल ने  25000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की योजना बनाई है. इंटेल के नए CEO लिप-बू टैन ने यह घोषणा की है. इंटेल में इस पैमाने पर ले-ऑफ वहां के वर्कफोर्स का 20 प्रतिशत है. दिसंबर 2024 तक इंटेल में 109000 लोग काम कर रहे हैं. इनमें से 25 हजार लोगों को जुलाई से निकालने की तैयारी है.  मतलब पूरे कार्यबल से 15 - 20 प्रतिशत कटौती की जाएगी.

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अमेजन
अमेजन  ने भी अपने वर्कफोर्स में कटौती को जारी रखा है. अमेजन ने लगभग 14,000 प्रबंधन स्तर पदों में कटौती की है. साथ ही अपने डिवाइस और सेवा विभाग में भी 100 लोगों को निकाल दिया है. सीईओ एंडी जेसी ने प्रबंधक- कर्मचारी अनुपात को कम करने और 3.5 बिलियन डॉलर की वार्षिक बचत का लक्ष्य रखा है. 

पैनासोनिक 
पैनासोनिक ने भी  10,000 कर्मचारियों को निकाल दिया है.  यह कंपनी भी ग्लोबल रिस्ट्रक्चर कर रही है. इसके तहत अपने वर्कफोर्स में 4% की कटौती का निर्णय लिया है. इनमें से लगभग आधी छंटनी जापान में होगी. वहीं बाकी विदेशों में लोग हटाए जाएंगे.

आईबीएम 
आईबीएम ने अपने 8,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला दिया है. क्योंकि यहां एआई ने कई विभागों में जगह ले ली है. जिन लोगों की नौकरियां गई, उनमें से ज्यादातर एचआर में हैं.करीब 200 एचआर भूमिकाओं को सीधे ऑटोमेशन में बदल दिया गया. 

माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपने कार्यबल में 6,500 से अधिक नौकरियों में कटौती की है.  यहां कई चरणों में ले-ऑफ हो रहा है. मई में 6,500 से अधिक लोगों को निकाल दिया गया, जो कंपनी के ग्लोबल वर्कफोर्स का लगभग 3% है. जुलाई में फिर से छंटनी होने की संभावना है.

एचपी  
एचपी ने फ्यूचर नॉउ रिस्ट्रक्चर के तहत 6,000 लोगों की छंटनी की है. ऐसा करके 1.4 बिलियन डॉलर बचाना इनका लक्ष्य  है.

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मेटा
मेटा ने भी अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले 5% वर्कफोर्स कटौती का निर्णय लिया है. इसके तहत  3,600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. यहां फरवरी से ले-ऑफ शुरू हुआ था. इसका सबसे ज्यादा असर फेसबुक पर पड़ा है. 

गूगल 
गूगल ने भी कई डिपार्टमेंट से लोगों को निकाला है. गूगल में इस साल कई बार छंटनी हुई है. करीब 200 कर्मचारियों की नौकरी यहां जा चुकी है. 

ब्लू ओरिजिन
ब्लू ओरिजिन अंतरिक्ष उद्योग की कंपनी है. इसने अपने 10% कर्मचारियों की कटौती की है. ब्लू ओरिजिन से 1,000 से अधिक कर्मचारी निकाल दिए गए. 

गैर-तकनीकी कंपनियां भी कर रही है ले-ऑफ
इसके अलावा गैर-तकनीकी कंपनियों ने भी काफी कार्यबल घटाया है. इनमें निसान ने 20,000 लोगों को हटाने की योजना बनाई है. कंपनी घाटे से जूझ रही है. यही वजह है कि ये ले-ऑफ कर रही है. इसके अलावा स्टारबक्स ने 1,100 कॉर्पोरेट कर्मियों की नौकरियां छीन ली है. हालांकि, इसका असर बरिस्ता या स्टोर के कर्मियों पर नहीं पड़ा है. इस ले-ऑफ ने सिर्फ प्रबंधन लेवल के वर्कफोर्स को प्रभावित किया है. वहीं  पोर्श ने भी 1900 नौकरियों को खत्म करने की योजना बनाई है. 2029 तक यहां से 1,900 लोगों की नौकरियों खत्म हो जाएगी. 

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