Baisakhi 2022 Date, History & Significance: बैसाखी का त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. इसे वैसाखी या बैसाखी कहा जाता है भारत के 'फसल के मौसम' के रूप में भी जाना जाता है. बैसाखी हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है. इस साल यानी साल 2022 में बैसाखी 14 अप्रैल को मनाई जाएगी. त्योहार को पंजाब और हरियाणा राज्य में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह दिन एक नए साल की शुरुआत का भी प्रतीक है. मान्यताओं के मुताबिक, कहा जाता है कि बैसाखी हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल का पहला दिन है. हालांकि, यह एक पूरी तरह से स्वीकृत तिथि नहीं है.
Baisakhi: History
30 मार्च, 1699 को सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्होंने सिख समुदाय के सदस्यों से गुरु और भगवान के लिए खुद को बलिदान करने के लिए आगे आने के लिए कहा था. आगे आने वालों को पंज प्यारे कहा जाता था, जिसका अर्थ था गुरु के पांच प्रियजन. बाद में, वैसाखी के दिन महाराजा रणजीत सिंह को सिख साम्राज्य का प्रभार सौंप दिया गया. महाराजा रणजीत सिंह ने तब एक एकीकृत राज्य की स्थापना की. इसी के चलते ये दिन वैसाखी के तौर पर मनाया जाने लगा.
Baisakhi: Significance
यह दिन वसंत ऋतु (Spring Season) के आगमन को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है. इस दिन किसान पूरे साल भरपूर फसल के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं. यह देखते हुए कि बैसाखी नया साल है, कई हिंदू और सिख पवित्र नदियों या झीलों में डुबकी लगाते हैं और अपने नए साल की सकारात्मक शुरूआत करते हुए अतीत को पीछे छोड़ देते हैं. इस दिन फसलों की पूजा भी की जाती है और अन्न के महत्व को चिन्हित किया जाता है.
Baisakhi: Celebrations
इस दिन नगर कीर्तन, गुरुद्वारा जाना, भव्य भोजन तैयार करना और परिवार और दोस्तों के साथ दावत देना आदि किया जाता है. कुछ जगहों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है. जहां सिख समुदाय के लोग झीलों या नदियों में डुबकी लगाते हैं, वहीं कई हिंदू गंगा, कावेरी और झेलम में डुबकी लगाकर बैसाखी मनाते हैं.