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Kalpana Chawla: कौन सी पढ़ाई कर एस्‍ट्रोनॉट बनीं थीं कल्‍पना चावला? इस विषय से था उन्‍हें प्‍यार

Kalpana Chawla Death: कल्‍पना चावला ने भारतीयों को, और खासतौर पर महिलाओं को अपनी हदों से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वह वहां तक गईं जहां तक गिने-चुने लोग ही पहुंच पाते हैं. आज भी देश में करोड़ों बेटियां कल्‍पना चावला बनने का सपना देखती हैं. आइये बताते हैं उन्‍होंने कहां से और क्‍या पढ़ाई की थी.

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Kalpana Chawla Death Anniversary
Kalpana Chawla Death Anniversary

How to Become an Astronaut: कल्‍पना चावला एक ऐसा नाम हैं जो किसी परिचय का मोहताज नहीं. आज भी देश में करोड़ों बेटियां कल्‍पना चावला बनने का सपना देखती हैं. उन्‍होंने हर भारतीय को गर्व से सर ऊंचा करने का मौका दिया. वह एक बार नहीं बल्कि दो बार अंतरिक्ष की सैर पर गईं. वह अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी NASA से जुड़ीं और एस्‍ट्रोनॉट बनीं. वह धरती से बाहर जाकर अंतरिक्ष की सैर करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. अपनी दूसरी स्‍पेस जर्नी से लौटते समय 01 फरवरी 2003 को उनका स्‍पेसक्राफ्ट कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया और अन्‍य 6 क्रू मेंबर्स के साथ उनकी मौत हो गई.

उन्‍होंने भारतीयों को, और खासतौर पर महिलाओं को अपनी हदों से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वह वहां तक गईं जहां तक गिने-चुने लोग ही पहुंच पाते हैं. आज भी कल्‍पना चावला बनने का सपना देखने वाले युवाओं को यह जानना जरूरी है कि वह इंजीनियरिंग से बेहद प्‍यार करती थीं. आइये जानते हैं उन्‍होंने एस्‍ट्रोनॉट बनने के लिए क्‍या पढ़ाई की थी.

हरियाणा से हुई शुरूआती पढ़ाई
कल्‍पना चावला का जन्‍म 17 मार्च 1962 को करनाल, हरियाणा में हुआ था. उनके पिता बनारसी लाल चावला उन्‍हें डॉक्‍टर या टीचर बनाना चाहते थे. अपनी शुरुआती शिक्षा उन्‍होंने करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंड्री स्‍कूल से पूरी की. जब वह 8वीं क्‍लास में थीं, तभी उन्‍होंने अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्‍छा जताई. स्‍कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍होंने 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से बैचलर्स की डिग्री ली.

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कैसे तय किया NASA तक का सफर
आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चली गईं. यहां उन्‍होंने 1984 में टेक्‍सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्‍पेस इंजीनियरिंग में मास्‍टर्स की डिग्री प्राप्‍त की. इ‍सके बाद उन्‍होंने कोलोराडो यूनिवर्सिटी बोल्‍डर से 1988 में डॉक्‍टरेट की उपाधि हासिल की. इसके बाद दिसंबर 1994 में उन्‍हें NASA द्वारा चुना गया. मार्च 1995 में वह जॉनसन स्‍पेस सेंटर में एस्‍ट्रोनॉट कैंडिडटेट के तौर पर चुनी गईं.

नवंबर 1996 में, उन्‍हें STS-87 पर मिशन स्‍पेशलिस्‍ट और चीफ रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया. जनवरी 1998 में, उन्हें शटल और स्टेशन फ़्लाइट क्रू उपकरण के लिए क्रू रिप्रजेंटेटिव के रूप में नियुक्त किया गया था, और बाद में एस्ट्रोनॉट ऑफ़िस के क्रू सिस्टम्स और हैबिटेबिलिटी सेक्शन के लिए लीड के रूप में कार्य किया. उन्‍होंने STS-87(1997) और STS-107 (2003) पर अंतरिक्ष में 30 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट बिताए.

 

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