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पश्चिम बंगाल: अजय नदी के तल से मिला पुराना मोर्टार शेल, भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक किया निष्क्रिय

पश्चिम बंगाल के बोलपुर में अजय नदी के तल से मिला पुराना मोर्टार शेल भारतीय सेना की टीम ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया. मुमकिन है कि यह दूसरे विश्व युद्ध का आयुध था. नियंत्रित विस्फोट से जोरदार धमाका हुआ, जिससे इलाके में दहशत फैल गई. विशेषज्ञों ने इसे ऐतिहासिक महत्व की खोज बताया.

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जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने शुरू करवाई जांच (Representative Image)
जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने शुरू करवाई जांच (Representative Image)

भारतीय सेना की एक बम निरोधक टीम ने गुरुवार को बोलपुर में अजय नदी के चर भूमि (नदी तल) से बरामद एक पुराने मोर्टार शेल को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया. इस घटना से इलाके में काफी दहशत और जिज्ञासा फैल गई थी. एक्सपर्ट्स को शक है कि यह सैन्य आयुध दूसरे विश्व युद्ध के दौर का है. 12 सितंबर को बोलपुर थाना के तहत लौदोहा गांव के पास स्थानीय लोगों ने धातु के गोलाकार इस वस्तु को सबसे पहले देखा था.

अज्ञात वस्तु की जानकारी निवासियों ने तुरंत पुलिस को दी. बोलपुर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इलाके की घेराबंदी कर दी थी. 

गुरुवार को पूर्वी बर्दवान के पनागढ़ सेना कैंप से एक विशेषज्ञ टीम मौके पर पहुंची. सेना ने डिवाइस को जमीन में दबाकर एक नियंत्रित विस्फोट में निष्क्रिय कर दिया.

गोलाकार वस्तु और सैन्य हस्तक्षेप...

स्थानीय लोगों द्वारा अजय नदी के नदी तल पर धातु के गोलाकार वस्तु मिलने के बाद पुलिस को जानकारी दी गई. पुलिस के विशेषज्ञों ने संदेह जताया कि यह विंटेज मोर्टार शेल या बिना फटा सैन्य आयुध हो सकता है. इसके बाद जिला प्रशासन और सैन्य अधिकारियों को तुरंत बताया गया. गुरुवार को पनागढ़ सेना कैंप की विशेषज्ञ टीम ने सुरक्षा घेरा बनाकर निष्क्रियीकरण की कार्रवाई की.

तेज विस्फोट और दहशत

चश्मदीदों ने बताया कि बम को डीएक्टिवेट करने के दौरान हुए नियंत्रित विस्फोट से आश्चर्यजनक रूप से तेज आवाज़ आई, जिससे आस-पास का इलाका हिल गया. इस तेज धमाके ने इस बात को रेखांकित किया कि दशकों तक पानी और मिट्टी में दबे रहने के बावजूद यह प्राचीन आयुध कितना खतरनाक बना हुआ था. स्थानीय निवासियों ने पुलिस और सेना द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई पर राहत की बात कही है.

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ऐतिहासिक महत्व और सैन्य अभ्यास

विश्व भारती विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर मलय मुखर्जी ने इस खोज के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि अजय नदी बाढ़ की धाराओं द्वारा लाए गए प्राचीन वस्तुओं को जमा करने के लिए जानी जाती है. उन्होंने कहा, “ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान, इस इलाके का उपयोग अक्सर सैन्य अभ्यास के लिए किया जाता था. यह अत्यधिक संभावित है कि इस तरह का एक मोर्टार या सैन्य हथियार मिट्टी के नीचे दब गया हो. यह निश्चित रूप से ऐतिहासिक प्रमाण है.”

स्थानीय निवासी पुलिस और सेना के तत्काल जवाब से बड़ी आपदा टलने पर राहत महसूस कर रहे हैं. हालांकि, विस्फोट की तीव्रता ने कई लोगों को नदी तल के नीचे छिपे हुए ऐसे और खतरों की संभावना के बारे में चिंतित कर दिया है.

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(रिपोर्ट- तापस सेनगुप्ता)
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