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Su-57 पर रूस ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, जानें- कितना अहम है ये फाइटर जेट

रूस से खबर आई है कि वह भारत में Su-57 फाइटर जेट का स्थानीय उत्पादन करना चाहता है. इसके लिए नासिक की HAL फैक्ट्री काम करेगी. अगर ऐसा हुआ तो भारत एशिया में वायु सेना के मामले वर्चस्व हासिल कर लेगा. ये खबर रूसी समाचार एजेंसी TASS की तरफ से आई है.

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Su-57 फाइटर जेट (Photo: Aero India 2025)
Su-57 फाइटर जेट (Photo: Aero India 2025)

रूस की समाचार एजेंसी TASS की तरफ से खबर आई है कि रूस ने भारत में Su-57 का लोकलाइज प्रोडक्शन करने का ऑफर दिया है. अगर ऐसा है तो भारत में ये फाइटर जेट फाइटर जेट बनेगा. उसका एक्सपोर्ट भी होगा. भारतीय वायुसेना की पुराने जेट्स और कम संख्या की वजह से ताकत कम हो रही है. ऐसे में 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 एक बड़ा मौका बन सकता है. 

भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन (हर स्क्वाड्रन में 18 जेट्स) की जरूरत है, लेकिन अभी सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही काम कर रही हैं. यानी करीब 200 जेट्स की कमी है. चीन ने 10 सालों में 435 नए फाइटर जेट्स जोड़े हैं. पाकिस्तान भी चीन के J-35A जैसे स्टील्थ जेट्स खरीदने की योजना बना रहा है. चीन के पास J-20 जैसे 1000 से ज्यादा स्टील्थ जेट्स आने वाले हैं. भारत अगर पीछे रहा तो हवाई युद्ध में कमजोर पड़ जाएगा. 

5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है Su-57

स्टील्थ जेट्स के बिना भारत का एयर डिफेंस कमजोर हो जाता है. अमेरिका के पास F-35, रूस के पास Su-57 और चीन के पास J-20 हैं. भारत को भी पांचवीं पीढ़ी का जेट चाहिए ताकि हवाई वर्चस्व बना रहे. Su-57 (नाटो नाम: फेलॉन) रूस का सबसे उन्नत फाइटर जेट है. यह पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट है, जो रडार से बच जाता है. भारत के लिए इसका एक्सपोर्ट वर्जन Su-57E है.  

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Su-57 की खासियत

रडार में दिखाई नहीं देता. दुश्मन के एयर डिफेंस को चकमा देकर हमला कर सकता है. आफ्टरबर्नर के बिना सुपरसोनिक स्पीड पर उड़ सकता है. इससे ईंधन बचता है और रेंज बढ़ती है (करीब 3500 किमी). किंजल मिसाइल ले जा सकता है, जो आवाज से 10 गुना तेज उड़ती है. 

हिमालय जैसे इलाकों के लिए परफेक्ट. 20,000 मीटर ऊंचाई तक जा सकता है. पायलट को 360 डिग्री व्यू मिलता है. हेलमेट डिस्प्ले से कॉकपिट छोटा और स्मार्ट. बहुत तेज मोड़ ले सकता है, जिससे डॉगफाइट में जीत आसान. Su-57 का मूल्य F-35 से कम है. रखरखाव भी सस्ता. 

भारत के पायलटों को Su-30MKI का अनुभव है, इसलिए Su-57 उड़ाना आसान होगा. 2010 में भारत और रूस ने FGFA प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन 2018 में भारत बाहर हो गया क्योंकि स्टील्थ और टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर असहमति थी. फरवरी में एरो इंडिया शो में रूस ने Su-57E का ऑफर दिया. 

नासिक में HAL बनाएगा

HAL के नासिक प्लांट में 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (TOT) के साथ बनाया जा सकता है. Su-57, S-400 के अतिरिक्त रेजिमेंट्स और S-500 एयर डिफेंस पर बात होगी. रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेज़ोव ने कहा कि भारत को जो चाहिए, हम देंगे. पहले रूस से डिलीवरी, फिर भारत में प्रोडक्शन होगा. Su-30MKI को भी Su-57 टेक से अपग्रेड करने का प्लान है. AL-51 इंजन (जो 2025 के अंत तक तैयार) को शामिल किया जा सकता है. रूस सोर्स कोड देगा, जो फ्रांस के राफेल डील में नहीं मिला. इससे भारत जेट को अपनी जरूरतों के हिसाब से बदल सकेगा.  

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फ्यूचर के फायदे

AMCA (भारत का अपना स्टील्थ जेट) 2035 तक तैयार नहीं होगा. Su-57 अंतरिम समाधान देगा. HAL में प्रोडक्शन से नौकरियां और टेक्नोलॉजी बढ़ेगी. AMCA प्रोजेक्ट को मदद मिलेगी. चीन और पाकिस्तान के स्टील्थ जेट्स का जवाब. हाइपरसोनिक मिसाइल्स से स्ट्राइक पावर बढ़ेगी. अमेरिकी F-35 पर निर्भर न रहना.

यूक्रेन युद्ध से रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध हैं. Su-30MKI स्पेयर्स पहले प्रभावित हुए. पहले FGFA में Su-57 की स्टील्थ कम बताई गई. अब अपग्रेड हो रहा है, लेकिन टेस्टिंग जरूरी है. F-35 का ऑफर है, लेकिन महंगा (6750 करोड़ प्रति जेट) और TOT कम. CAATSA सैंक्शंस का खतरा. 

रूस अभी 12 Su-57 सालाना बनाता है, 2028 तक 20 बनाएगा. डिलीवरी में समय लग सकता है. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि AMCA और तेजस पर ध्यान दें, विदेशी जेट न खरीदें.  पुतिन-मोदी मीटिंग में अगर डील फाइनल हुई तो 2026-27 तक पहला बैच आ सकता है.

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