scorecardresearch
 

अन्ना के अनशन के चलते ‘गांधी टोपी’ के दिन बहुरे

भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठे 72 साल के गांधीवादी अन्ना हजारे ने देश की आजादी के 64 साल बाद ‘गांधी टोपी’ को फिर राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बना दिया है.

Advertisement
X
गांधी टोपी पहने अन्‍ना हजारे
गांधी टोपी पहने अन्‍ना हजारे

भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठे 72 साल के गांधीवादी अन्ना हजारे ने देश की आजादी के 64 साल बाद ‘गांधी टोपी’ को फिर राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बना दिया है. इसे उनके जादू के अलावा क्या कहा जा सकता है कि स्थानीय बाजारों में इन टोपियों की धूम मची हुई है.

शहर की कृष्णपुरा छत्री के पास झंडे और प्रचार सामग्री बेचने वाले सौरभ जैन ने को बताया, ‘गांधी टोपियों की बिक्री यहां आमतौर पर चुनावों और मराठी समुदाय में होने वाली शादियों के मौसम में रफ्तार पकड़ती है. फिलहाल यह मौसम नहीं है. बावजूद इसके बाद टोपियों की मांग खासी बढ़ गयी है.’

जैन बताते हैं कि इन दिनों अन्ना समर्थक युवा जमकर ‘गांधी टोपी’ खरीद रहे हैं. वे खासकर उन गांधी टोपियों की मांग कर रहे हैं, जिन पर ‘मैं हूं अन्ना’ और ‘आई एम अन्ना’ जैसे नारे लिखे हों.

स्थानीय बाजारों में ‘गांधी टोपी’ की खेरची कीमत पांच रुपये से 10 रुपये के बीच है. राजनीतिक इतिहास के जानकारों के मुताबिक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौर में ‘गांधी टोपी’ एक तरह से कांग्रेस की ठेठ पहचान से जु़ड़ गयी थी, लेकिन आजादी मिलने के बाद देश के प्रमुख सियासी दल के भीतर इसका चलन लगातार कम होता चला गया.

Advertisement

राजनीतिक इतिहास के जानकारों के अनुसार, सार्वजनिक तौर पर हमेशा ‘गांधी टोपी’ पहने दिखने वाले अन्ना ने इस टोपी को नये सिरे से परिभाषित करते हुए राजनीतिक सीमाओं के पार पहुंचा दिया है. मसलन दिल्ली में मंगलवार को 16 अगस्त को 72 वर्षीय गांधीवादी की गिरफ्तारी के खिलाफ भाजपा के चार घंटे के धरने के दौरान कई पार्टी कार्यकर्ता ‘गांधी टोपी’ पहने दिखायी दिये.

इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा के संभागीय प्रवक्ता आलोक दुबे छूटते ही कहते हैं, ‘गांधी टोपी किसी एक सियासी पार्टी की बपौती नहीं है. यह टोपी सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले तमाम लोगों और ठेठ भारत की छवि की नुमाइंदगी करती है’.

Advertisement
Advertisement