
Sadhvi Ashutoshambari Deadline End: दस साल पहले आशुतोष महाराज ने समाधि ली थी. तब से वो एक डीप फ्रीजर के अंदर उसी हालत में लेटे हुए हैं. अब उनकी समाधि के दस साल बाद ठीक एक महीने पहले उनकी एक शिष्या ने भी समाधि ले ली. शिष्या ने दावा किया कि वो एक महीने के अंदर अपने महाराज को समाधि से वापस लेकर लौटेगी. एक महीना अब बीत चुका है. ना आशुतोष महाराज समाधि से वापस लौटे और ना ही उनकी शिष्या. बल्कि अब कहानी कुछ और ही हो गई.
समाधि से नहीं लौटे आशुतोष महाराज
समाधि का सस्पेंस अब और गहरा गया है. साध्वी आशुतोषांबरी ने आज से ठीक महीने भर पहले ये कहते हुए लखनऊ के आनंद आश्रम में समाधि ले ली थी कि वो महीने भर के अंदर अपने गुरु यानी आशुतोष महाराज को भी समाधि से वापस बुला लेंगी और खुद भी समाधि से लौट आएंगी. लेकिन उनके कहे मुताबिक एक महीने का वक़्त गुज़रने के बावजूद ना तो लखनऊ से 922 किलोमीटर दूर जालंधर में डीप फ्रिज़र में लेटे बाबा आशुतोष महाराज समाधि से वापस लौटे हैं और ना ही उन्हें बुलाने के लिए समाधि में गई उनकी शिष्या आशुतोषांबरी के शरीर में कोई हलचल है.
आशुतोषाबंरी की डेडलाइन भी खत्म
यानी हालात अब भी जस के तस हैं. समाधि से वापस आने का आशुतोषाबंरी की महीने भर की डेडलाइन अब पार हो चुकी है और इसी के साथ समाधि का सस्पेंस डबल हो चुका है. तो क्या समाधि में जाकर किसी को समाधि से वापस लाने की ये कोशिश फेल हो गई है? या फिर इस कहानी का सच कुछ और है? वैसे समाधि की इस रहस्यमयी कहानी को समझने के लिए आपके लिए थोड़ा बैकड्रॉप में झांकना जरूरी है.
28 जनवरी 2014 जालंधर, पंजाब
यही वो तारीख थी, जब जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के मुखिया आशुतोष महाराज ने जीते जी समाधि ले ली. समाधि में जाते हुए वो ऐसे लेटे कि फिर कभी नहीं उठे. एक वो दिन था और एक आज का दिन, महाराज के शिष्य आज भी उनके अपने शरीर में वापस लौट आने की उम्मीद लिए उनका इंतज़ार कर रहे हैं. और तो और आशुतोष महाराज के शिष्यों ने उनके शरीर को पिछले दस सालों से उनके दोबारा उठ खड़े होने की उम्मीद में एक डीप फ्रिजर में रख छोड़ा है.

24 जनवरी 2024, आनंद आश्रम, लखनऊ
कहते हैं इतिहास कभी ना कभी अपने आप को दोहराता जरूर है. महाराज की समाधि वाली कहानी में नया ट्विस्ट ये है कि अब ठीक आशुतोष महाराज की तर्ज पर उनकी एक खास शिष्या साध्वी आशुतोषांभरी ने भी समाधि ले ली. बाबा के समाधि में जाने के ठीक दस साल बाद 24 जनवरी 2024 को साध्वी आशुतोषांभरी अपने बिस्तर पर ऐसे लेटी कि अब तक लेटी हैं. फिलहाल उनके पूरे शरीर पर कई तरह के लेप लगे हैं और उनके शिष्य उनका दिन रात ख्याल रख रहे हैं.
समाधि के आस-पास हवन-पूजन की शुरूआत
बल्कि अब तो आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी के इर्द-गिर्द उनके शिष्यों ने उन्हें समाधि से वापस लाने के लिए हवन-पूजन की शुरुआत कर दी है. लेकिन ये हवन-पूजन कब तक चमत्कार दिखाएगा, दिखाएगा भी ये नहीं. ये कोई नहीं जानता. आशुतोषाबंरी की समाधि का सच जानने के लिए आज तक की टीम ने आनंद आश्रम का दौरा किया और अंदर समाधि स्थल तक जाने देने की गुजारिश की, लेकिन इसकी इजाजत नहीं मिली. आश्रम में उनके शिष्यों ने कहा कि चूंकि अंदर हवन चल रहा है, इसलिए अंदर जाना मुमकिन नहीं.
साध्वी के शिष्यों का भरोसा
इधर, आश्रम के बाहर आशुतोषांबरी के चाहने वालों की सांसे हलक में अटकी हैं कि अब आगे क्या होगा. हालांकि पब्लिक चाहे जो भी कहे खुद साध्वी के आश्रम से जुड़ी दूसरी साध्वियों का कहना है कि उनकी गुरु मां आज नहीं तो कल ज़रूर समाधि से वापस आएंगी. बल्कि आश्रम की कुछ साध्वियों का तो यहां तक कहना था कि वो समाधि में लेटी अपनी गुरु मां से आज भी आध्यात्मिक तौर पर जुड़ी हुई हैं. बातें कर रही हैं और समाधि में लेटी-लेटी आशुतोषांबरी कह रही हैं कि वो जल्द लौट कर आएंगी.
साध्वी को क्लिनिकली डेड मानते हैं डॉक्टर
लेकिन इन सबसे अलग साध्वी आशुतोषांबरी की मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टरों ने जो कुछ ऑब्ज़र्व किया है, वो आनंद आश्रम के लोगों को परेशानी में डाल सकता है. आश्रम में बिस्तर लेटी साध्वी की जांच करने वाले डॉक्टर का कहना है कि वो ना तो सांस ले रही हैं, ना ही उनकी पल्स चल रही है. और तो और उनके शरीर का कोई भी ऑर्गन फिलहाल काम नहीं कर रहा. खुद डॉक्टर उन्हें क्लिनिकली डेड तो मानते हैं, लेकिन उन्हें डेड डिक्लीयर करने के सवाल पर कहते हैं कि किसी और डॉक्टर से उनकी मेडिकल जांच करवाई जा सकती है. समाधि में गईं साध्वी की जांच करनेवाले डॉक्टर जेपी सिंह ने साध्वी की सेहत को लेकर शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है.

हाई कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक सोम
हालांकि साध्वी आशुतोषांबरी की समाधि के बीच सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक सोम ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है. अभिषेक का कहना है कि समाधि के नाम पर आनंद आश्रम में जो कुछ चल रहा है, वो अंधविश्वास को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ और नहीं है. क्योंकि उनकी देखा-देखी बाकी लोग भी ऐसी कोशिश कर सकते हैं. अगर तो साध्वी जीवित हैं, तो उन्हें मेडिकल एड दी जानी चाहिए और अगर उनकी मृत्यु हो चुकी है तो उनके शव का अंतिम संस्कार कर देना चाहिेए.
साध्वी के शरीर पर जड़ी बूटियों के लेप
फिलहाल, आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी अपनी बिस्तर पर पिछले 33 दिन से लगातार लेटी हैं. उनका उठना-बैठना, खाना-पीना, सबकुछ बंद है. बल्कि डॉक्टरों की मानें तो अब तो वो ना तो सांस ले रही हैं और ना ही उनकी धड़कन चल रही है. सारे ऑर्गन ठप पड़ गए हैं. और इस हाल में उनके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए पूरे शरीर पर तरह-तरह की जड़ी बूटियों के लेप लगा दिया गया है. उनका एक खास शिष्य लगातार 33 दिनों से ही उनके सिर को अपनी गोद में लेकर बैठा है. हालांकि वो बीच-बीच में वहां से उठता है और अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर फिर से उनका सिर अपनी गोद में लेकर बैठ जाता है.
समाधि पर सवाल
मगर सवाल ये है कि क्या यूं लेटे-लेटे किसी का समाधि में चले जाना मुमकिन है? वो भी ऐसी समाधि जिसमें इंसान के लिए सांस लेना भी जरूरी ना रह जाए? उसे सर्दी गर्मी का भी असर ना हो? ना भूख-प्यास का अहसास हो? और तो और उसके शरीर को डीप फ्रिजर में रख दिया जाए और फिर भी उसे कोई फर्क ना पड़े? क्या ऐसी समाधि भी मुमकिन है? मेडिकल साइंस और तर्क के पैमाने पर इन सारे सवालों के जवाब ना में हैं.
साध्वी के वापस लौट आने का दावा
डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा किसी की मौत की हालत में ही हो सकता है. और एक बार मरने के बाद इंसान कभी दोबारा ज़िंदा नहीं होता. लेकिन दुनिया भर में मौजूद आशुतोष महाराज के लाखों शिष्यों की तरह अब साध्वी आशुतोषांवरी के चाहने वालों का भी मानना है कि उन्होंने जीते-जी अपनी मर्जी से समाधि ली है और अपनी मर्जी से एक रोज़ वापस लौट आएंगी.

समाधि के पांच दिन बाद भी एक्टिव थी ECG मशीन
करीब महीने भर पहले अपने इस आश्रम में जब आशुतोषांबरी समाधि ले रही थीं, तब सरकारी अस्पातल के डॉक्टरों की एक टीम उनके शरीर की जांच करने पहुंची थी. लेकिन तब वहां जो कुछ हुआ था, उसने इस मामले को उलझा दिया. समाधि में लेटी साध्वी आशुतोषांवरी की ना तो सांसें चल रही थी, ना पल्स रेट एक्टिव था और ना ही हार्ट बीट ही चल रही थी, लेकिन हैरानी भरे तरीके से उनके शरीर पर लगी ईसीजी मशीन हरकत कर रही थी. जबकि आम तौर पर किसी इंसान की मौत हो जाने पर ईसीजी मशीन में सीधी लकीर नज़र आती है. साध्वी ने 28 जनवरी को समाधि ली और लखनऊ के बीकेटी अस्पताल डॉक्टरों ने 3 फरवरी को उनकी जांच की, तब भी इस ईसीजी मशीन की हरकत जारी थी, जिसे देख कर खुद उनकी जांच करने पहुंची टीम के पास भी कोई जवाब नहीं था.
आशुतोष महाराज ने भेजा था आंतरिक संदेश
फिलहाल उनके शिष्यों का मानना है कि साध्वी बिस्तर पर समाधि की हालत में ही अपनी आत्मा को जागृत कर अपना काम पूरा कर लेंगी और समाधि में वापस लौट आएंगी. उनके शिष्य बाबा महादेव का कहना है कि आशुतोष महाराज ने अपनी शिष्या आशुतोषांबरी को आंतरिक संदेश भेजा था और कहा था कि वह उन्हें समाधि से वापस ले आएं, क्योंकि जालंधर के आश्रम में उनके शिष्यों ने उन्हें डीप फ्रीजर में कैद करके रखा हुआ है, इसीलिए वो वापस नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में अब आशुतोष महाराज की शिष्या ने उन्हें वापस लाने का बीड़ा उठाया है और इसीलिए वो समाधि में गई हैं.
आशुतोष महाराज को मृत नहीं मानते शिष्य
अब जरा आशुतोष महाराज और उनकी समाधि के बारे में बात कर लेते हैं. जालंधर के अपने आश्रम में आशुतोष महाराज पिछले दस सालों से डीप फ्रिजर में लेटे हैं. उनके अनुयायियों का कहना है कि उन्होंने समाधि ले रखी है. हालांकि डॉक्टर तो उन्हें पिछले 29 जनवरी 2014 को ही मुर्दा करार दे चुके हैं. लेकिन महाराज के भक्त हैं कि ये मानने को तैयार ही नहीं. बल्कि उनका तो ये कहना है कि महाराज खुद अपनी मर्जी से गहरी समाधि में लीन हैं. और ऐसे में उनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी नामुमकिन है.

बेटे ने मांगा था आशुतोष महाराज का शरीर
हालांकि ये भी सच है कि खुद आशुतोष महाराज के बेटे ने कभी अपने पिता को मृत मानते हुए उनकी लाश अपने हवाले करने की मांग की थी, ताकि वो अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सके, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हो सका. आशुतोष महाराज के शरीर को डीप फ्रिजर में रखने वाले उनके अनुयायियों का तर्क है कि चूंकि भारत मे संत अक्सर हिमालय के आस-पास समाधि लेते रहे हैं, इसलिए आशुतोष महाराज के शरीर को भी शून्य से नीचे 15 डिग्री के तापमान पर रखा गया है, ताकि उन्हें भी अपने इर्द-गिर्द हिमालय जैसा वातावरण मिल सके.
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने दी सफाई
इधर, आशुतोषांबरी की समाधि को महीने भर का वक्त पूरा हो जाने के बाद यानी डेडलाइन खत्म होने पर इसे लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. सोशल मीडिया पर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से एक पोस्ट वायरल है, जिसमें उनकी समाधि से संस्थान का और खुद आशुतोष महाराज के आश्रम का कोई लेना-देना ना होने की बात कही गई है. अधिकारिक बयान के नाम से जारी एक पोस्ट में गया है कि साध्वी आशुतोषाबंरी की समाधि असल में स्वार्थ सिद्धि के लिए है और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए है. हालांकि आज तक इस वायरल चिट्ठी की पुष्टि नहीं करता है.
आशुतोषांबरी जिंदा हैं भी या नहीं?
जाहिर है, एक तरफ तो समाधि पूरी होने की तारीख निकल चुकी है, दूसरी तरफ इस समाधि के खिलाफ लोग अदालत का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं और तीसरी तरफ खुद आश्रम में आशुतोषांबरी को समाधि की हालत में लंबे वक्त तक रखने की इजाजत मांगी है. ऐसे में कोर्ट भी अब शायद डॉक्टरों की फाइनल रिपोर्ट का इंतज़ार है, जो ये बता सके कि आशुतोषांबरी जिंदा हैं भी या नहीं? लेकिन फिलहाल उनकी वो बात तो गलत साबित हो चुकी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो महीने भर के अंदर अपने गुरु आशुतोष महाराज को भी समाधि से वापस ले आएंगी और खुद भी समाधि से लौट आएंगी. ऐसे में इस मामले का ऊंट आगे किस करवट बैठता है, ये देखने वाली बात होगी.