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कोरोना: मरीन ड्राइव पर सामना में लेख- सरकार के लिये कठोर बनना आसान, ऐसी नौबत न लाएं

शिवसेना ने मरीन ड्राइव पर टहलने निकली भीड़ का जिक्र करते हुए लिखा है कि रविवार की सुबह मुंबई के सभी अखबारों में जो तस्वीरें प्रकाशित हुईं, वह तस्वीरें मनमोहक तो हैं ही लेकिन उतनी ही मायावी भी हैं.

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मरीन ड्राइव के किनारे मॉर्निंग वाक करने आए लोग (फोटो-पीटीआई)
मरीन ड्राइव के किनारे मॉर्निंग वाक करने आए लोग (फोटो-पीटीआई)

  • 'अनुशासन का निश्चित रूप से पालन करें लोग'
  • 'सरकार को सख्ती के लिये न करें मजबूर'
  • लॉकडाउन की ताला-कुंडी खोलने के बाद क्या

शिवसेना ने कहा है कि लोगों को लॉकडाउन का पालन सख्ती से करना चाहिए और सरकार की ओर से मिली छूट का बेजा इस्तेमाल नहीं उठाना चाहिए. सामना के संपादकीय में कहा गया है कि सभी ने नियमों का पालन करते हुए खुद को सुरक्षित रखा तो परिवार, मित्र, समाज और देश सुरक्षित रहेगा. फिलहाल इसी अनुशासन की आवश्यकता है. अन्यथा ढाई महीनों के लॉकडाउन की ताला-कुंडी खोलने के बाद क्या? यह सवाल कायम रह जाएगा.

अखबार में लिखा गया है कि जिन्होंने नियम तोड़े, उन्होंने अपनी जान गंवाई. सरकार के लिए कठोर बन जाना आसान है. लोग सरकार पर यह नौबत ना लाएं.

तस्वीरें मनमोहक तो हैं, लेकिन डरावनी भी

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शिवसेना ने मरीन ड्राइव पर टहलने निकली भीड़ का जिक्र करते हुए लिखा है, "रविवार की सुबह मुंबई के सभी अखबारों में जो तस्वीरें प्रकाशित हुईं, वह तस्वीरें मनमोहक तो हैं ही लेकिन उतनी ही मायावी भी हैं. मरीन लाइंस के समुद्र तट पर हजारों लोग एक ही समय ‘मॉर्निंग वॉक’ या ‘जॉगिंग’ करते दिखे और वे लोग किसी भी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नहीं दिखे. मुंह पर मास्क लगाकर वे खूब कसरत कर रहे हैं.

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मुंबई की यही तस्वीर रही तो हालात बुरे हो सकते हैं

अखबार कहता है कि भविष्य में मुंबई की यही तस्वीर रही तो हालात बुरे हो सकते हैं. माना कि ढाई महीनों से तालाबंदी के दौरान घरों में रहना लोगों के लिए कठिन हो गया था. लेकिन अब बाहर निकलते समय नियमों का पालन नहीं किया गया तो कोरोना संक्रमण बढ़ेगा."

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि मुंबई जैसे शहर देश की जीवनदायिनी हैं. लेकिन यह जान पर न बन आए और हटाई गई तालाबंदी का ‘बूमरंग’ न होने पाए, इसका ध्यान सबको रखना होगा. काम-धंधे पर जाना ही है. लेकिन यदि सभी ने नियमों का पालन करते हुए खुद को सुरक्षित रखा तो परिवार, मित्र, समाज और देश सुरक्षित रहेगा. अखबार कहता है कि जिन्होंने नियम तोड़े, उन्होंने अपनी जान गंवाई. सरकार के लिए कठोर बन जाना आसान है. लोग सरकार पर यह नौबत ना लाएं.

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बता दें कि मुबंई में देशभर में कोरोना की मार सबसे ज्यादा पड़ी है. अब महाराष्ट्र में रोजाना लगभग 3 हजार मरीज सामने आ रहे हैं. लगभग 100 लोगों की यहां रोजाना मौत हो रही है.

सामना में कहा गया है कि ढाई महीनों तक देश ताला-कुंडी में बंद था. कोरोना संकट के कारण स्वास्थ्य आपातकाल की जो स्थिति बनी, उसके कारण सरकार ने तालाबंदी घोषित की थी. कड़े नियम लागू कर दिए गए थे. हालांकि महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में जनजीवन पर लगे तालों को सोमवार से खोल दिया गया है. मानो ढाई महीने बाद सूर्योदय हुआ है. जनता खुली हवा में सांस ले रही है. बाजारों में थोड़ी हलचल दिखनी शुरू हो गई है. हालांकि, इससे कोरोना का खतरा बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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