एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक 30 लाख से अधिक प्रवासी मज़दूर अपने-अपने राज्य लौट चुके हैं. ऐसे में केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वह अपने यहां लौटे मज़दूरों का डेटाबेस तैयार करे, ताकि रोज़गार की व्यवस्था की जा सके. केंद्र की ओर से प्रवासी मज़दूरों के रोज़गार के लिए क्या व्यवस्था की जा रही है, पूरा प्लान समझिए...
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• अभी तक 30 लाख से अधिक मजदूर घर लौटे हैं, ऐसे में केंद्र की ओर से राज्यों से एक डाटा बेस तैयार करने को कहा जाएगा. ताकि, कई योजनाओं के तहत मजदूरों को रोजगार मिल सके.
• कई मंत्रालयों के द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, करीब 9 करोड़ लोगों पर इस लॉकडाउन का असर पड़ा है. ऐसे में राज्यों से विस्तार से डाटा मांगा जाएगा.
• सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, ऑटो और MSME सेक्टर हैं.
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• केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत की अगुवाई में बने GoM ने इसको लेकर राज्यों को चिट्ठी लिखी है. इसमें महेंद्र चंद्र पांडे, प्रताप सारंगी समेत अन्य कई मंत्री शामिल हैं.
• डाटा में मजदूरों के स्किल, उनकी पंसद और वह कहां काम कर रहे थे इसकी जानकारी ली जाएगी. हर मजदूर का डाटा जिला, गांव और तहसील लेवल पर तैयार होगा.
• डाटा मिलने के बाद लेबर मिनिस्ट्री की ओर से केंद्र के सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों से डाटा साझा किया जाएगा.
• सभी मंत्रालयों की ओर से कुछ सुझाव दिए जाएंगे, जिसकी रिपोर्ट पीएमओ को दी जाएगी.
• मजदूरों का इस्तेमाल अभी जारी योजनाओं में किया जाएगा, साथ ही प्राइवेट सेक्टर से मदद ली जाएगी.
• कौशल एप के जरिए सभी मजदूरों की स्किल ट्रेनिंग की जाएगी, साथ ही प्राइवेट कंपनियों से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बनाने को कहा जाएगा.