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गर्भवती महिला को शुरू हूआ लेबर पेन तो डर गया ट्रक वाला, रास्ते में ही उताराकर भागा

दिल्ली से बिहार के सुपौल जिला के लिए पैदल चलकर जाने वाली मजदूर की पत्नी ने गुरुवार को गोपालगंज के सदर अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया. महिला और उसके बच्चे दोनों सुरक्षित हैं.

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महिला ने दिया बच्चे को जन्म
महिला ने दिया बच्चे को जन्म
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लेबर पेन हुआ तो ट्रक वाले ने गर्भवती महिला को उतारा
  • यूपी-बिहार बॉर्डर के पास दिया हॉस्पिटल में बच्चे का जन्म

लॉकडाउन की वजह से दिल्ली से एक परिवार बिहार के सुपौल के लिए निकला था. पास में पैसे नहीं थे तो घर से पांच हजार रुपये मंगवाए. सरकार से कोई मदद नहीं मिली. बॉर्डर पर दस किलोमीटर पैदल चलना पड़ा क्योंकि वहां कोई बस या अन्य किसी वाहन की सुविधा नहीं मिली.

वहां बस थी भी तो सोशल डिस्टेंसिंग का कोई महत्व नहीं था. एक बस पर 30 सीटर थी तो उसमें 70 लोग भरे हुए थे. इसलिए उस मजदूर ने बस में चढ़ने से मना कर दिया और परिवार के साथ पैदल चलने का फैसला किया क्योंकि साथ में उसकी गर्भवती पत्नी भी थी. 

दिल्ली से बिहार के सुपौल जिला के लिए पैदल चलकर जाने वाली मजदूर की पत्नी ने गुरुवार को गोपालगंज के सदर अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया. महिला और उसके बच्चे दोनों सुरक्षित हैं. 

दरअसल दिल्ली में सब्जी का कारोबार करने वाले सुपौल जिले के बलहां गांव निवासी संदीप यादव लॉकडाउन के दौरान अपनी गर्भवती पत्नी के साथ दिल्ली में फंसे थे. वह अपने 3 साल के बच्ची और गर्भवती पत्नी के साथ गांव जाना चाह रहे थे. बाद में उन्होंने पैदल ही बिहार जाने का फैसला किया.

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अपनी गर्भवती पत्नी रेखा देवी के साथ वह पैदल ही निकल पड़े. रास्ते में उसे एक ट्रक वाले ने सहारा दिया लेकिन ट्रक में ही संदीप की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने लगी जिसकी वजह से ट्रक वाला डर गया और उसने इस परिवार को सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया.

यूपी-बिहार की सीमा गोपालगंज के बलथरी चेक पोस्ट के पास इस महिला के पति ने डीएम से गुहार लगाई तो डीएम अरशद अजीज ने तत्काल मेडिकल टीम भेजकर महिला को गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया.

महिला ने अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कोरोना वायरस के डर की वजह से कोई भी स्वास्थ्यकर्मी इस पीड़ित परिवार के पास आने से डर रहा था. इस बात की खबर जब डीएम को लगी, तो उन्होंने अस्पताल कर्मियों को फटकार लगाई.

अस्पताल में अभी जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. अब संदीप के परिवार को चिंता यह सता रही है कि वे किस तरह से अपने गांव पहुंचेंगे. फिलहाल इस पीड़ित परिवार ने इस बच्ची का नाम सृष्टि रखने का फैसला किया है.

 

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