कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान एक तरफ लोग अफरातफरी में खरीददारी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मंडियों में मजदूर नहीं हैं. ऐसी ही खबर आ रही है नासिक से, जहां काम के लिए कोई मजदूर नहीं होने के चलते लासलगांव में प्याज की मंडियां 26 मार्च से ही बंद हैं. बंदी होने के चलते बाजार पहले से ही प्रभावित है.
अगर प्याज का बाजार बंद रहता है, तो इसका सीधा असर प्याज की आपूर्ति पर पड़ेगा.प्याज की आपूर्ति प्रभावित होगी तो इसकी कीमतों में इजाफा होगा.
विनचूर एग्रीकल्चर मार्केट के निदेशक सोमनाथ शिरसाठ ने कहा, "लॉकडाउन के चलते मजदूर काम पर नहीं आ रहे हैं. हम चाहते हैं कि मजदूर काम पर आएं, लेकिन पुलिस उन्हें आने नहीं दे रही है. ड्राइवर उपलब्ध नहीं हैं. जो लोग बाहर थे वे अब वापस नहीं लौट पा रहे हैं. सरकार बाजार को खुले रहने के लिए कह रही है, लेकिन ऐसे परिदृश्य में हमारे पास कोई विकल्प नहीं है."
उन्होंने कहा, "किसान अपनी प्याज की उपज को बाजारों में लाए और 10 से 14 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बेचा. लेकिन शहरों से मांग कम हो गई और शहरों में ले जाने के लिए कोई वाहन भी उपलब्ध नहीं थे."
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प्याज उत्पादक किसानों के लिए कुछ ही दिनों में यह दूसरा झटका है. लासलगांव के एक किसान निवारुति न्याहरकर ने कहा, "पहले हम बेमौसम बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए थे और अब कोरोना के प्रकोप के कारण हमारी उपज बाजारों में पड़ी रहेगी. लाल प्याज कुछ दिनों में खराब होने लगती है. इससे हम पर बहुत बुरी मार पड़ेगी."
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दूसरी ओर सरकार को उम्मीद है कि आपूर्ति जल्द ही सामान्य हो जाएगी. खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा, "मैंने पुलिस महानिदेशक से बात की है. पुलिस यहां काम करने वाले मजदूरों को नहीं रोकेगी. हम कोशिश कर रहे हैं कि वे जल्द काम पर लौट आएं और आपूर्ति फिर से शुरू हो जाएगी." गौरतलब है कि कोरोना से पीड़ित मरीजों की संख्या देश में 800 के पार पहुंच चुकी है, जबकि अकेले महाराष्ट्र में ही सौ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं.