सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा? केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि हर महीने औसतन एक करोड़ तीन लाख रेमडेसिविर उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन सरकार ने मांग और सप्लाई की जानकारी नहीं दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने आवंटन का तरीका भी नहीं बताया है, केंद्र को डॉक्टरों से ये कहना चाहिए की रेमडेसिविर या फेविफ्लू की बजाय अन्य उपयुक्त दवाएं भी मरीजों को बताएं, मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि आरटीपीसीआर से कोविड के नए रूप की पड़ताल नहीं हो पा रही है, इसमें भी अनुसंधान की जरूरत है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि आप 18-45 साल के दरम्यान उम्र वालों को वैक्सीन लगाने की योजना बताए, क्या केंद्र के पास कोई कोष भी है, जिससे वैक्सीन के दाम समान रखे जा सके? केंद्र सरकार को ये भी बताना होगा कि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट को कितना फंड दिया है.
सुनवाई 10 मई तक के लिए स्थगित
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 10 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है. कोर्ट ने टीकाकरण, ऑक्सीजन सप्लाई, वैक्सीन मूल्य निर्धारण, दवा और वैक्सीन के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग पर नीतिगत बदलावों पर निर्णय लेने के लिए केंद्र से कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह डिटेल आदेश अपनी वेबसाइट पर कल सुबह तक अपडेट करेगा. आइए जानते हैं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा..
ऑक्सीजन का बफर स्टॉक है: अनीता डावरा (अतिरिक्त सचिव)
अनीता डावरा (अतिरिक्त सचिव) ने कोर्ट से कहा कि मौजूदा स्थिति में भी घबराने की जरूरत नहीं है हमारे पास देश में 13,000 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का बफर स्टॉक यानी सरप्लस है. कोई शक नहीं कि एक अभूतपूर्व संकट आया है. अगस्त 2020 में 6000 MT ऑक्सीजन का उत्पादन हुआ था. अब यह 9000 मिलियन टन है. मोदीनगर में नए संयंत्र लगाए गए थे. इस्पात क्षेत्र में भी उत्पादन 1500 से 3600 मीट्रिक टन हो गया है.
दिल्ली से कभी आधिकारिक मैसेज नहीं मिला- अनीता डावरा
जस्टिस भट्ट ने पूछा दिल्ली में 490 मीट्रिक टन की आपूर्ति 590 मीट्रिक टन कैसे हुई? इस पर अनीता डावरा ने कहा कि दिल्ली में मध्य प्रदेश की तरह ऑक्सीजन की निर्माण इकाई नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- 490 एमटी और 700 एमटी का मुद्दा क्या है? जब मांग 700 की थी, तो दिल्ली का आवंटन कम क्यों है? अनीता डावरा ने कहा कि हमें कभी भी आधिकारिक मैसेज नहीं मिला. वे अधिक के लिए हमसे बात कर सकते हैं, हम अधिक आवंटित भी कर सकते हैं.
SC ने पूछा- आपको ऑक्सीज़न कितना मिला है?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि केंद्र ने आपको कितना आवंटन किया था? जिसपर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि 700 मीट्रिक टन की मांग की थी हमें 490 मिलियन टन ही दिए गए और उसमें से पूरी सप्लाई नहीं की गई.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा आपने कितना उठाया? दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीज़न की मांग के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री ने भी केंद्र सरकार से मांग किया था, केंद्र सरकार ने खुद अपने हलफ़नामे में यह बात मानी है कि दिल्ली में 700 MT ऑक्सीज़न की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आपको ऑक्सीज़न कितना मिला है? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अभी तक हमको 490MT मिला है, लेकिन रोज़ हमको ऑक्सीज़न की ज़रूरत है, कुछ दिन पहले 500 MT टन की आवश्यकता थी लेकिन 479 ही हमको मिला.
वकील ने आगे कहा कि मई तक हम 15 हज़ार बेड, बढ़ाने जा रहे हैं, 12 हज़ार ICU बेड होगा जिसके लिए 976 MT ऑक्सीज़न की ज़रूरत होगी, इसके लिए अडिशनल सेक्रेटरी लेवल पर पत्र लिख कर केंद्र से मांग भी की गई है.
162 स्वीकृत PSA प्लांट में से कुछ अब तक क्यों नहीं शुरू हुए?
कोर्ट में पेश हुईं केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सचिव अनीता डावरा ने कहा कि अस्पतालों को कोविड के लिए तैयार होना चाहिए. जिसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, IIT बॉम्बे ने PSA प्लांट से कुछ अलग तकनीक खोजा है. डावरा ने जवाब दिया वे जियोलाइट नामक सामग्री का उपयोग करते हैं और उत्पादन केवल डेढ़ से दो मीट्रिक टन हैम जो पर्याप्त नहीं है लेकिन दूरदराज के क्षेत्रों के लिए उपयोगी है. इस पर जस्टिस रवींद्र भट ने कहा, जब 162 स्वीकृत PSA प्लांट थे तो उनमें से कुछ अब तक क्यों नहीं शुरू हुए?
सुप्रीम कोर्ट ने जब पूछा कि 162 स्वीकृत PSA प्लांट थे तो उनमें से कुछ अब तक क्यों नहीं शुरू हुए? इस पर डावरा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी इसका जवाब देंगे. लेकिन 162 में वे प्लांट शामिल नहीं हैं जो राज्यों ने अपने दम पर शुरू किए हैं.
वैक्सीनेशन के लिए गरीब पैसे कहां से लाएंगे?
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने गाजियाबाद में गुरुद्वारा लंगर के बारे में पढ़ा, लोग चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ हम चैरिटी तक नहीं छोड़ सकते हैं, वैक्सीन का मूल्य निर्धारण का मुद्दा असाधारण रूप से गंभीर है, आज आप कहते हैं कि केंद्र को प्रदान किए गए 50% वैक्सीन का उपयोग फ्रंटलाइन श्रमिकों और 45 से अधिक आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए किया जाएगा, शेष 50% राज्यों द्वारा उपयोग किया जाएगा, 59.46 करोड़ भारतीय 45 साल से कम हैं, उनमें से कई गरीब और हाशिए पर हैं, उन्हें वैक्सीन खरीदने के लिए पैसे कहां से मिलेंगे?
SC ने कहा- हम अपने देश के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जानते हैं कि कितने टीके का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप उत्पादन में वृद्धि करें. अतिरिक्त उत्पादन इकाइयों को जोड़ने के लिए जनहितकारी शक्ति का प्रयोग करने की आवश्यकता है, यह विचार राज्यों और केंद्र की आलोचना करने के लिए नहीं है, हम जानते हैं कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे आपको विरासत में मिले हैं, लेकिन हम अपने राष्ट्र के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं.
दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र में ऑक्सीजन नहीं है: SC
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम नागरिकों को ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए रोते हुए भी सुना है, दिल्ली में हकीकत में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है, गुजरात, महाराष्ट्र में भी ऐसा है..आपको भविष्य में हमें यह बताना होगा कि आज और सुनवाई के अगले दिन में क्या बेहतर हुआ.
सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई नहीं
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन, बेड, दवाओं आदि की पोस्ट करने वालों पर कार्यवाही नहीं होगी, कोई भी सरकार किसी नागरिक द्वारा सोशल मीडिया पर डाली जानकारी पर कार्यवाही नहीं करेगी. कोर्ट ने कहा कि अगर अफवाह फैलाने के नाम पर कार्यवाही की तो अवमानना का मामला चलाएंगे.
दवाइयों पर केंद्र से सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है? दरअसल, केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि हर महीने 1.03 करोड़ रेमडेसिविर उत्पादन की क्षमता है. हालांकि, सुनवाई के दौरान केंद्र ने सप्लाई, मांग का विवरण नहीं दिया है.
अस्पतालों में एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुनवाई के दौरान वकील प्रेरणा प्रियदर्शनी ने कहा कि नोएडा और गुरुग्राम में बिना लोकल ID कार्ड या आधार कार्ड दिखाए बिना अस्पतालों में एडमिशन नहीं मिल रहा है, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को निर्देश जारी करना चहिए ताकि लोगों को बिना लोकल पहचान पत्र के भी अस्पताल में भर्ती मिल सके.
एमिकस क्यूरी मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हमें प्रमुख डॉक्टरों और विशेषज्ञों से बहुत से सुझाव मिले हैं, हमें इससे पूर्वानुमान, योजना और तैयारी के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए, इन मुद्दों को झंडी दिखाने से ग्रामीण क्षेत्रों पर असर पड़ेगा
इस पर जस्टिस चन्द्रचूड ने कहा कि हमने अस्पताल के प्रवेश के लिए नीति के लिए केंद्र का अनुरोध किया है
जस्टिस भट्ट ने कहा कि हम आदेश दे सकते हैं कि आधार या आवास प्रमाण के अभाव में अस्पताल के प्रवेश से इंकार नहीं किया जा सकता है, अगर किसी मरीज़ को कोविड उपचार की जरूरत है तो अस्पताल उसे माना नहीं कर सकते हैं.