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मुंबई में कूड़ा चुनने वाली ने मैनेजमेंट की पढ़ाई में टॉप किया

तमाम तंगहाली और कठिनाई के बावजूद एक कूड़ा चुनने वाली की 24 वर्षीय बेटी ने अपने मैनेजमेंट की पढ़ाई फर्स्ट क्लास से पूरी की.

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कहते हैं अगर मन में हौसला और लगन हो कोई भी लक्ष्य और उसकी राह मुश्किल नहीं होती और यह साबित कर दिखाया है मुंबई की एक लड़की ने. तमाम तंगहाली और कठिनाई के बावजूद एक कूड़ा चुनने वाली की 24 वर्षीय बेटी ने अपने मैनेजमेंट की पढ़ाई फर्स्ट क्लास से पूरी की.

बॉलीवुड की एक फिल्म 'थ्री इडियट' का एक प्रसिद्द डायलॉग है मेहनत करोगे तो कामयाबी झक्क मार कर तुम्हारे पीछे आएगी. ये डायलॉग मुंबई के कांदिवली इलाके की एक झोपड़े में रहने वाली सविता डोके पर बिलकुल फिट बैठता है.

सविता डोके ने विपरीत परिस्थिति होते हुए भी एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिसे पाने के लिए कई सुविधाओं की जरूरत होती है. मुंबई यूनिवर्सिटी के मास्टर्स ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का जब रिजल्ट आया तो उसमे सविता डोके फर्स्ट डिवीजन पास हुई. जीवन में जो सपना इस 24 वर्षीय छात्रा ने देखा था वो तमाम परेशानियों के बावजूद पूरा कर लिया.

अद्भुत साहस और परिश्रम करके सविता ने अपनी मैनेजमेंट की परीक्षा फर्स्ट क्लास से पास की. स्कूल से लेकर एमबीए का यह सफर आसान नहीं था. सविता के हालात उसके पढ़ाई के लिए हमेशा खिलाफ रहे थे, लेकिन पक्के इरादो वाली यह लड़की कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी.

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सविता डोके ने कहा, 'मेरी हालात अच्‍छे नहीं थे, यहां-वहां स्कॉलरशिप लेकर पढ़ाई की. कंप्‍यूटर और पूरी किताब ना होने के चलते 10 घंटे लाइब्रेरी में रहती, डेढ़ साल तक एक पिज्‍जा आउटलेट में काम किया और पैसे जमा करके खुद फीस दी.'

सविता अपने परिवार के साथ कांदिवली इलाके में, कूड़े के डंपिंग ग्राउंड के पास कच्ची दीवार की एक झोपड़ी में रहती है. जहां पढ़ाई तो दूर, रोजाना जिन्दगी जीने के लिए संघर्ष करना होता है. घर में रौशनी के नाम पर सिर्फ एक बल्ब है जहां चूल्हा जलने पर पूरे घर में धुंआ हो जाता है.

उसकी मां रोजाना मुंबई की सड़कों पर कूड़ा बटोरने जाती है, जिसे बेचकर दिन के 100 रुपये मिलते हैं. वहीं, पिता फुटपाथ पर पुराने कपड़े बेचते हैं, जिससे दिन की 200 रुपये की आमदनी होती है.

इस परिवार में कुल चार सदस्य हैं. लेकिन बेटी के हौसले और लगन ने मां-बाप को जी तोड़ मेहनत करने की हिम्मत दी जिसका फल बेटी के एमबीए से पूरा हुआ.

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