देश के चार बड़े रेलवे स्टेशनों नागपुर, ग्वालियर, अमृतसर और साबरमती के पुनर्विकास (रीडेवलपमेंट) का ठेके पाने की होड़ में नौ कंपनियां शामिल हैं. भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. इन चार स्टेशनों के विकास के लिए अनुमानित लागत लागत करीब 1,300 करोड़ रुपये आंकी गई है.
इसे भी पढ़ें:...तो उत्तर प्रदेश में बसेंगे मिनी जापान और मिनी साउथ कोरिया!
मॉडल के तहत होगा विकास
निगम ने कहा कि इन स्टेशनों का पुनर्विकास सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के तहत करीब 1,300 करोड़ रुपये में किया जाएगा. इनके ठेके पाने के लिये नौ कंपनियों-जेकेबी इंफ्राजस्ट्रक्चर, जीएमआर बिजनेस ऐंड कंसल्टेंसी फर्म एलएलपी, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, मांटी कार्लो लिमिटेड, कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड और क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग ने 29 अलग-अलग आवेदन किए हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, IRSDC ने एक बयान में बताया, '26 जून, 2020 को इन चार रेलवे स्टेशनों के लिए RFQ (पात्रता के लिये अनुरोध) आवेदन खोला गया था और कोरोना संकट के बावजूद हमें 32 डेवलपर तथा फंड से बहुुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली.'
साबरमती स्टेशन के लिए नौ, ग्वालियर के लिए आठ और नागपुर तथा अमृतसर स्टेशनों के लिए छह-छह कंपनियों ने आवेदन किए हैं. ये चार स्टेशन सरकार द्वारा गठित सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति की सैद्धांतिक मंजूरी पाने वाली पहली रेलवे परियोजनाएं हैं.
दिसंबर 2019 से शुरू हुई है प्रक्रिया
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड ने इन चार रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास और उन्हें प्रतिष्ठित शहर केंद्रों में बदलने के लिये दिसंबर 2019 में आरएफक्यू (पात्रता के लिये अनुरोध) आमंत्रित किया था. आईआरएसडीसी ने 26 जून को इन आवेदनों को खोला था. तब उसे 32 डेवलपर्स और फंड से आवेदन मिले थे. इन आवेदनों की जांच परख की गई जिसमें से 29 आवेदनों को अगले स्तर के लिये उपयुक्त पाया गया.
इसे भी पढ़ें: चीनी माल का बहिष्कार करेंगे व्यापारी, दिसंबर 2021 तक चीन को देंगे 1 लाख करोड़ का झटका
करीब 1300 करोड़ रुपये होंगे खर्च
इन चार स्टेशनों के विकास के लिए कुल सांकेतिक लागत करीब 1,300 करोड़ रुपये आंकी गई है. इनमें वाणिज्यिक विकास के लिये कुल निर्मित क्षेत्र 54 लाख वर्गफुट होगा. इनके लिये भूमि उपयोग बदलाव और पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ये रेलवे अधिनियम 1989 के तहत चलने वाली रेलवे परियोजनाएं हैं.