scorecardresearch
 

भारतीय दवा कंपनी पर खतरा, अमेरिका में लग सकता है 6 हजार करोड़ से ज्यादा का जुर्माना

अमेरिका के 44 राज्यों ने 20 जेनरिक दवा कंपनियों के खिलाफ मुकदमा किया है. इनमें सात भारतीय कंपनियां भी हैं. इस मुकदमे के तहत सबसे ज्यादा 87.3 करोड़ डॉलर का जुर्माना भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क पर लगाया जा सकता है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

अमेरिका के 44 राज्यों ने 20 जेनरिक दवा कंपनियों के खिलाफ मुकदमा किया है. इनमें सात भारतीय कंपनियां भी हैं. इनमें से 5 भारतीय कंपनियों को राज्यों के अटॉर्नी जनरल्स की नोटिस मिली है, जबकि बाकी को न्याय विभाग की जांच का सामना करना पड़ेगा. इस मुकदमे के तहत सबसे ज्यादा 87.3 करोड़ डॉलर (करीब 6110 करोड़ रुपये) का जुर्माना भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क पर लगाया जा सकता है.

इन सभी दवा कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने 2013 से 2015 के बीच 112 दवाओं की कीमतें कृत्रिम तरीके से बढ़ाने के लिए गोलबंदी की है. इस मुकदमे में जिन सात भारतीय दवा कंपनियों का नाम है उनमें वॉकहार्ड्ट, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज, अरबिंदो फार्मा, ग्लेनमार्क फार्मा, ल्यूपिन, जाइडस फार्मा और टारो फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं.

किस तरह का मिलेगा दंड

जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन कंपनियों के खि‍लाफ जांच कई साल से चल रही है, लेकिन सोमवार को दाखि‍ल मौजूदा मुकदमे की वजह से उन्हें लाखों डॉलर का जुर्माना देना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'अमेरिका के शरमन एंटी ट्रस्ट एक्ट के मुताबिक, अधिकतम 10 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया जा सकता है. लेकिन इस षडयंत्र से कारोबार कितना प्रभावित हुआ उसको देखते हुए अधिकतम जुर्माने की राशि बढ़ाई जा सकती है.' 

Advertisement

भारतीय दवा कंपनियों पर भी ज्यादा जुर्माना लगाया जा सकता है. ग्लेनमार्क पर सबसे ज्यादा 87.3 करोड़ डॉलर (करीब 6110 करोड़ रुपये), जबकि अरबिंदो फार्मा पर कम से कम 1.3 करोड़ डॉलर (करीब 90 करोड़ रुपये) का जुर्माना लग सकता है.

ग्लेनमार्क ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह इसके खिलाफ अमेरिका के संघीय अदालत की शरण ले सकती है.

भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मा की सहायक कंपनी टारो फार्मास्यूटिकल्स पर भी 2.38 करोड़ डॉलर (करीब 166 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कंपनियां एक से अधिक दवाओं के मामले में फंसी हैं, वे मसले को जल्दी निबटाने पर विचार कर सकती हैं, क्योंकि उनका ज्यादा कुछ दांव पर लगा हुआ है.

मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि तेवा फार्मास्यूटिकल्स यूएसए इंक ने 19 अन्य कंपनियों के साथ मिलकर एक ऐसी स्वीपिंग योजना तैयार की जिससे दवाओं की कीमतें बढ़ा दी गईं. कई मामलों में तो दवाओं की कीमतें 1000 फीसदी से ज्यादा बढ़ गईं. आरोप के मुताबिक तेवा ने करीब 112 जेनरिक दवाओं के दाम बढ़ा दिए और कम से कम 86 दवाओं के दाम अपने प्रतिस्पर्ध‍ियों के साथ मिलकर बढ़ाए.

(www.businesstoday.in से साभार)

Advertisement
Advertisement