आईपीओ में पैसा लगाने वालों के लिए सेबी नियम में बदलाव करने जा रही है. मार्केट रेग्युलेटरी ने इसमें बदलाव की मंजूरी दे दी है, ताकि आईपीओ में निवेश आसान और स्पष्ट रहे. रेगुलेटर ने प्लेज्ड प्री-इश्यू शेयरों को सही तरीके से लॉक्ड इन मार्क करने के लिए एक टेक्नोलॉजी बेस्ड सिस्टम का ऐलान किया है. इस नियम से आईपीओ जारीकर्ता और इंटमीडियरीज को कंप्लायंस में आसानी होगी.
सेबी बोर्ड ने 17 दिसंबर को हुई बैठक में एब्रिज्ड प्रॉस्पेक्टस की जगह संक्षिप्त ऑफर डॉक्युमेंट समरी के यूज को भी मंजूरी दी है. इसमें सभी तरह की जानकारियां होंगी. इससे निवेशकों को आईपीओ से जुड़ डिसक्लोजर समझने में ज्यादा असाानी होगी. आईपीओ पेश करने वाली कंपनियों को डीआरएचपी फाइल करते वक्त ऑफर डॉक्युमेंट्स की समरी देना बेहद जरूरी होगा.
आईपीओ लेकर आने वाली कंपनी के नॉन प्रमोटर्स की तरफ से प्लेज्ड शेयर ट्रांसफर नहीं किए जा सकेंगे. ऐसे में अब आईपीओ को लेकर गड़बड़ी पर रोक लग सकेगी. इसके पीछे का तर्क समझाते हुए सेबी चेयरपर्सन तुहिन कांता पांडे ने कहा कि बोर्ड ने लीवरेज्ड लेनदेन के संबंध में पारदर्शिता में सुधार करने को लेकर फैसला लिया गया है.
डीआरएचपी समझने में आती है दिक्कत
SEBI ने पाया कि IPO दस्तावेज, खासकर भ्रामक जानकारी वाले प्रॉस्पेक्टस (DRHP), अक्सर बहुत बड़े होते हैं, जिससे निवेशकों के लिए पूरी जानकारी समझ पाना आसान नहीं होता है. ऐसे में परामर्श के दौरान, हितधारकों ने एक अलग सारांश दस्तावेज पेश करने का सुझाव दिया. हालांकि, बोर्ड ने फैसला किया कि यह उद्देश्य संक्षिप्त प्रॉस्पेक्टस के माध्यम से बेहतर ढंग से पूरा होगा, जो कंपनी अधिनियम की धारा 33 के तहत पहले से ही अनिवार्य है और इसलिए इसे हटाया नहीं जा सकता.
अब कंपनी के बारे में QR कोड से फटाफट मिलेगी जानकारी
अब DRHP चरण में ही एक संक्षिप्त प्रॉस्पेक्टस का मसौदा, QR कोड के साथ उपलब्ध कराया जाएगा. इससे निवेशकों को IPO से संबंधित महत्वपूर्ण खुलासे और घोषणाएं आसानी से मिल सकेंगी, जिससे उन्हें लंबे दस्तावेजों को खंगालने की आवश्यकता के बिना आवश्यक विवरणों का आकलन करने में मदद मिलेगी. साथ ही विस्तृत ड्यू डिलिजेंस के लिए पूरी जानकारी मिलेगी.
सेबी ने ये भी स्पष्ट किया
SEBI ने स्पष्ट किया कि परामर्श प्रस्ताव के विपरीत, कोई अलग दस्तावेज नहीं होगा. इसके बजाय, संक्षिप्त प्रॉस्पेक्टस प्रक्रिया के पहले चरण में ही उपलब्ध कराया जाएगा. प्री-इश्यू पूंजी के संबंध में, मौजूदा लॉक-इन इंफ्रास्ट्रक्चर अनचेंज रहेगा, जिसमें प्रमोटरों के शेयरों पर छह महीने का लॉक-इन लागू होगा और नॉन-प्रमोटरों के शेयरों पर भी इसी तरह का छह महीने का लॉक-इन लागू होगा.
(नोट- किसी भी शेयर में निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)