अमेरिका की बैंकरप्सी कोर्ट ने बायजूस के संस्थापक बायजू रवींद्रन के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें 1 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया है. यह कार्रवाई उस मामले से जुड़ी है, जिसमें उन पर आरोप है कि बायजूस अल्फा को मिले 1.2 अरब डॉलर के लोन में से 53.3 करोड़ डॉलर को उन्होंने गलत तरीके से दूसरी जगह भेजा और कोर्ट के आदेशों का पालन भी नहीं किया.
अदालत में दाखिल दस्तावेज़ों के अनुसार, यह रकम ओसीआई लिमिटेड के जरिए घुमाई गई, जबकि ओसीआई के संस्थापक ओलिवर चैपमैन ने शपथ पत्र में दावा किया कि रवींद्रन इस पैसे को एक सिंगापुर स्थित अपनी कंपनी में भेजना चाहते थे.
रवींद्रन ने इन आरोपों को खारिज किया है, लेकिन अदालत ने पाया कि उन्होंने न सिर्फ जरूरी दस्तावेज़ जमा नहीं किए बल्कि कई आदेशों का पालन भी नहीं किया.
लेंडर्स ने 11 अगस्त को डिफॉल्ट का आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया कि रवींद्रन लगातार आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं. अदालत ने फैसला सुनाते हुए लिखा कि यह मामला “असाधारण” है और इसी वजह से इतना कठोर कदम जरूरी है.
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आदेश में 2022 में किए गए 53.3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर और 2023 में हेज फंड कैम्शाफ्ट से जुड़े 54 करोड़ डॉलर, दोनों की वसूली शामिल है.
इसके साथ ही रवींद्रन को फंड का पूरा और सही लेखा-जोखा देने का आदेश भी दिया गया है. उनसे पहले कोर्ट ने उन पर 10,000 डॉलर प्रतिदिन का जुर्माना लगाया था, क्योंकि उन्होंने जरूरी दस्तावेज़ नहीं सौंपे थे. अदालत ने कहा कि इतनी पेनाल्टी लगने के बावजूद उन्होंने अब तक कोई रकम जमा नहीं की.
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब बायजूस पहले से ही वित्तीय अनियमितताओं और प्रबंधन पर सवालों का सामना कर रहा है. अदालत का यह सख्त आदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फंड ट्रांसफर और कानूनी अनुपालन की गंभीरता को दर्शाता है.
यह खबर सबसे पहले बिज़नेस टुडे पर प्रकाशित हुई थी. आपने यहां उस लेख का हिंदी अनुवाद पढ़ा. पूरा लेख पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं – बायजू रवींद्रन को फंड डायवर्जन केस में लगा बड़ा झटका