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Budget 2023: वित्त मंत्री के भाषण में शामिल होते हैं ये खास शब्द, जानें- मतलब, आसानी से समझ लेंगे बजट

Union Budget 2023: सरकार की ओर से हर साल 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले Budget देश का वही-खाता होता है. सरकार सालभर कहां से कितना कमायगी और कहां कितना खर्च करेगी ये सभी जानकारियां इसमें शामिल होती हैं.

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बजट भाषण में कठिन शब्दों को समझना आपके लिए है जरूरी
बजट भाषण में कठिन शब्दों को समझना आपके लिए है जरूरी

कल संसद में आम बजट 2023 (Budget-2023) पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) सुबह 11 बजे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश का वित्तीय लेखा-जोखा जनता के सामने रखेंगी. निर्मला सीतारमण के नाम सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड है और देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की स्पीच (Budget Speach) कितनी लंबी होती है. आम जनता की नजरें बजट पर टिकी होती हैं और लोग इसे गंभीरता से सुनते हैं, लेकिन बजट भाषण में कई ऐसे शब्द शामिल होते हैं, जिनका मतलब बहुत से लोगों को मालूम नहीं होता. आइए कुछ ऐसे ही शब्दों के बारे में जानते हैं. 

कई बड़ी घोषणाओं की उम्मीद
नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) का आगामी 2024 आम चुनाव से पहले ये आखिरी पूर्ण बजट है. ऐसे में इसके लोक-लुभावन होने की उम्मीद भी जताई जा रही है. सरकार देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं भी कर सकती है. देश की महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये लगातार पांचवां बजट होगा. जब Finance Minister द्वारा संसद में बजट भाषण दिया जाता है, तो उसमें कई खास शब्द, जैसे वित्त वर्ष (Financial Year), वित्तीय घाटा (Trade Deficit), विनिवेश (Disinvestment) और ब्लू शीट (Blue Sheet) सुनने को मिलते हैं, जो अमूमन ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आते. 

Financial Year
जिस तरह से हमारे लिए नए साल की शुरुआत एक जनवरी से होती है और 31 दिसंबर को साल खत्म हो जाता है. वहीं सरकार वित्त वर्ष के आधार पर अपने काम करती है. वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है और ये अगले साल 31 मार्च तक चलता है. 

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Fiscal-Revenue Deficit
राजकोषीय घाटा यानी Fiscal Deficit का उपयोग भाषण में तब किया जाता है, जब सरकार की कमाई खर्च से कम हुई. वहीं राजस्व घाटा यानी Revenue Deficit का मतलब होता है कि सरकार की कमाई तय लक्ष्य के मुताबिक नहीं होती है. Trade Deficit का अर्थ व्यापार घाटा होता है. 

Disinvestment
विनिवेश (Disinvestment) का जिक्र आपने कई बार सुना होगा. सरकार जब सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी को बेचती है, तो उसके लिए इस शब्द का उपयोग किया जाता है. वहीं वित्त वर्ष में सरकार ने जो कमाया और खर्च किया उसे बजट एस्टिमेट (Budget Estimates) कहा जाता है. 

Blue Sheet
बजट से जुड़े जरूरी दस्तावेजों और उससे जुड़े जरूरी आंकड़ों की एक नीले रंग की सीक्रेट शीट होती है. इसे ही Blue Sheet कहा जाता है. इस गुप्त डॉक्यूमेंट को बजट प्रक्रिया का बैकबोन कहकर भी संबोधित किया जाता है. इसके अलावा डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) वो होता है, जो सरकार आपसे वसूल करती है. 

Zero Budget 
जीरो बजट में पिछले वित्त वर्ष के खर्चे और बाकी बैलेंस को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाता है. अगर किसी योजना के तहत सरकार ने सांसदों को करोड़ों रुपये की राशि आवंटित की है और इसका महज कुछ हिस्सा ही खर्च हुआ है, तो इस स्थिति में बचे हुए पैसे उन्हें दोबारा से आवंटित नहीं किए जाते. जिसे Zero Budget भी कहते हैं. 

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Finance-Appropriation Bill
सरकार फाइनेंस बिल के माध्यम से अपनी कमाई का ब्योरा पेश करती है, जबकि एप्रोप्रिएशन बिल इसकी के सामने रखा जाता है. इसमें सरकार अपने खर्चों की जानकारी सदन में रखती है. एक और जरूरी शब्द होता है रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (Revenue Expenditure). सरकार को विभिन्न परियोजनाओं और कर्मचारियों की सैलरी या कहें जितने भी खर्च की जरूरत होती है, उसे रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहते हैं. 

Direct-Indirect Tax
बजट के दौरान जिस बात का देश की जनता को सबसे ज्यादा इंतजार होता है, वो है टैक्स (Tax) यानी कर. इससे जुड़े शब्दों की बात करें तो आम आदमी से प्रत्यक्ष रुप से लिया जाने वाला कर डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) कहलाता है. वहीं वो टैक्स जो जनता से एस्साइज डयूटी या कस्टम डयूटी के जरिए लिया जाता है, इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) कहा जाता है. देश के करदाताओं की वो कमाई, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता, उसे एक्सेम्पशन यानि छूट (Exomption) कहा जाता है.  

Consolidated Fund
सरकार उधारी या सरकारी कर्जों पर मिले ब्याज ये जो भी कमाती है, उसे कंसोलिडेटेड फंड कहा जाता है और देश में सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्चें इसी फंड के जरिए किए जाते हैं. हालांकि, इस फंड से पैसे निकालने के लिए सरकार को संसद से अप्रूवल लेना पड़ता है. एक और फंड के बारे में सरकार बजट भाषण में चर्चा करती है. इसे कंटिजेंसी फंड (Contingency Fund) कहकर पुकारा जाता है. सरकार आपात स्थिति में जिस फंड से पैसा निकालकर खर्च करती है, उसे कंटिजेंसी फंड कहा जाता है. 

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