बिहार सरकार ने राज्य में वर्षों से बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा शुरू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने घोषणा की है कि सकरी और रैयाम चीनी मिलों का संचालन अब सहकारिता विभाग के माध्यम से किया जाएगा. इसके लिए एक विस्तृत मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है और कैबिनेट से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद सहकारी समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
सहकारिता मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि दोनों चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने की तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं. इन मिलों के चालू होने से न सिर्फ स्थानीय किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. मंत्री ने बताया कि सहकारिता मॉडल के जरिए मिलों के संचालन से पारदर्शिता और किसानों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
धान खरीद को लेकर मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन मौसम 2025-26 में 36.85 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 6620 समितियों के माध्यम से 1.32 लाख किसानों से 9.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है. इसके बदले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में 1755 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है. धान की खरीद 28 फरवरी 2026 तक जारी रहेगी और किसानों को 48 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है.
भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए राज्य में 7221 गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 में 278 नए गोदामों का निर्माण कार्य प्रगति पर है. इससे करीब 2.49 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता उपलब्ध होगी. इसके साथ ही 2 जनवरी से राज्य की सभी पंचायतों में पैक्स सदस्यता सह जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.
सहकारिता मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 6292 पैक्सों में कॉमन सेवा केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से 5262 सक्रिय हैं. इनके जरिए पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ है. भविष्य में सहकारिता विभाग के माध्यम से मेगा फूड पार्क, प्रोसेसिंग यूनिट, सब्जी और मसाला प्रसंस्करण इकाइयों जैसी कई नई योजनाएं शुरू की जाएंगी. इसके अलावा बिहार राज्य फसल सहायता योजना के तहत अब तक 33.19 लाख किसानों को 2206.84 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. सरकार का मानना है कि इन पहलों से राज्य की कृषि और सहकारिता व्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी.