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उफान मारती नदी और नदी के पार स्कूल...यहां रोज जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाते हैं सैकड़ों छात्र

बेतिया में छात्र-छात्राओं को मनियारी नदी पार कर बिना पुल के स्कूल जाना पड़ रहा है जिससे जान का खतरा बना रहता है. बरसात में हालात और भी खराब हो जाते हैं. शिक्षक निगरानी रखते हैं, पर डर बना रहता है। ग्रामीण पुल की मांग कर थक चुके हैं, प्रशासन अब तक बेपरवाह दिख रहा है.

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जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाते हैं सैकड़ों छात्र
जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाते हैं सैकड़ों छात्र

बिहार में बेतिया में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चंपापुर तक जाकर पढ़ाई करना गांव के बच्चों के लिए आसान नहीं. यहां सौ से ज्यादा छात्र-छात्राएं हर दिन स्कूल जाने के लिए मनियारी नदी पार करते हैं, वह भी बिना किसी पुल के. मनियारी एक पहाड़ी नदी है जो बरसात के मौसम में उफान मारती है. जून से सितंबर तक तो हालात ऐसे हो जाते हैं कि बच्चे नदी पार करने में कांप जाते हैं. ऐसी स्थिति में इन्हें 12 किलोमीटर का चक्कर काटकर वाया गोखुला होकर विद्यालय पहुंचना पड़ता है.

विद्यालय के प्रधान शिक्षक कंचन कुमार बताते हैं,'रोज सुबह स्कूल आने और छुट्टी के समय दो शिक्षक नदी किनारे खड़े रहते हैं ताकि बच्चों को अपनी निगरानी में नदी पार करवा सकें. लेकिन कई बार पानी अचानक बढ़ने पर हमें खुद भी डर लगता है.'

छात्रा नेहा कुमारी और सोफिया खातून कहती हैं,'स्कूल में पढ़ाई तो अच्छी हो रही है, शिक्षक भी पूरे हैं, लेकिन हमें सबसे ज्यादा डर नदी पार करने में लगता है.अगर ज्यादा बारिश हो गई तो स्कूल आना मुश्किल हो जाएगा.'

ग्रामीण भी अब जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बार-बार गुहार लगाकर थक चुके हैं. उनका कहना है कि अगर बैरिया के पास मनियारी नदी पर पुल बन जाता तो सिर्फ बच्चों को ही नहीं, किसानों को भी खेती-बाड़ी में बड़ी राहत मिलती. यहां सवाल यही उठता है कि जब सरकार ने स्कूल की बिल्डिंग बना दी, शिक्षक भी दे दिए, तो फिर बच्चों को वहां सुरक्षित पहुंचाने का इंतजाम अब तक क्यों नहीं हुआ? यह पढ़ाई की ललक में बच्चों की जान को जोखिम में डालने जैसा है.

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