इंस्टा और अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक गाना बहुत वायरल है, 'ठुमक ठुमक जांदी है माहिए दे नाल'. पंजाबी भाषा में कश्मीर के डोगरी समुदाय को संबोधित ये लोकगीत नेटिजंस के बीच धूम मचा रहा है. लोग इस गाने पर झूम रहे हैं, नाच रहे हैं और रील्स बना रहे हैं. गाने में वाइब है जो लोगों को अपने उस रूट से कनेक्ट करती है, जो उनके मन में कहीं गहरे बसी हुई है और आज भी ताजा है.
खैर, क्या आपने सोचा है कि पहाड़ के बीच से निकली इस खूबसूरत बोली के गीत में कहा क्या जा रहा है और इसका मतलब क्या है? जितना मीठा और प्यारा ये गीत है उतना ही खूबसूरत इसका मतलब है. ये गीत डोगरी समुदाय की शादियों के दौरान गाया जाने वाला पारंपरिक गीत है. जिसके सेंटर में एक दुल्हन है और वो ससुराल जाने से मना कर रही है. ये मना करना सीरियस वे में नहीं है, वो बस यूं ही मस्ती-मजाक में है और नखरे करते हुए मना कर रही है.
कश्मीर से केरल तक क्यों गूंज रहा है ये पंजाबी गीत
तो जैसे जब किसी को तवज्जो न देनी हो तो English में कह देते हैं न कि My Foot, या हिंदी-पंजाबी में कह देते हैं, तुझसे तो बात करे मेरी जूती... तो यहां इस गाने में भी लड़की में वही इग्नोर करने वाला भाव है. पंजाबी भाषा का ये गीत, पहाड़ी दूल्हे और उसकी फैमिली को संबोधित है, लेकिन इसकी सरलता-सहजता और सार्थकता ये है कि इस पर केरल तक के यूथ रील्स बना रहे हैं. एक वीडियो तो ऐसा वायरल हुआ है, जिसमें कुछ बुजुर्ग महिलाएं इसी गीत पर ग्रुप में डांस कर रही हैं.
क्या है गीत में कहानी?
माजरा ये है कि लड़की शादी के बाद मायके आई हुई है. गीत की बोली बता रही है कि लड़की का मायका कहीं पंजाब में है और ससुराल पहाड़ में कहीं. वे लोग अपनी उस बहू को लेने आए हैं, लेकिन बहू जाने में नखरा कर रही है और जो-जो बातें वो कह रही है उसी से बन गई हैं गीत की सुंदर-सुंदर लाइनें.
इसकी बानगी देखिए और हर एक लाइन का मतलब भी समझते चलिए.
जूती मेरी जांदी है
पहाड़िए दे नाल
ते पौला मेरा जांदा ऐ
उस डोगरे दे नाल
लड़की कह रही है, उस पहाड़ी लड़के के साथ जाएगी मेरी जूती (मैं नहीं जाऊंगी) या उस डोगरे के साथ जाएगी मेरी सैंडिल (मैं तो नहीं जाऊंगी)
'जूती मेरी जांदी है पहाड़िए दे नाल' गाने की टाइटल लाइन ही इसकी पूरी कहानी और भावनाओं को समेटे हुए है. यहां "पहाड़िया" का मतलब पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग हैं, और गाने में यह शब्द दूल्हे के घर वालों को संबोधित करता है. वह मजाक में कहती है कि मेरी जूती ही इस पहाड़िए के साथ जाएगी, मैं नहीं. आगे वह कहती है, "पौला मेरा जांदा उस डोगरे दे नाल". डोगरा, जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की एक समुदाय और वहां के निवासियों को कहा जाता है. यहां "पौला" यानी सैंडल. इस तरह लड़की जो दुल्हन है, वह सबको जाने से मना कर रही है.
अब गीत आगे बढ़ता है, जिसमें दूल्हे के परिवार के लोग एक-एक करके आते हैं और दुल्हन को मनाने के लिए कुछ उपहार भी देते हैं, लेकिन दुल्हन की जाने को तैयार ही नहीं होती है. देखिए अगली लाइन क्या कहती है.

"पहली पहली बार मेनु सोरा लेने आ गया, सौरा लेन आ गया ते बंगा पवा गया". सोरा मतलब है ससुर यानी लड़के का पिता. लड़की कहती है पहली बार तो मुझे ससुर जी लेने आए. वो आए और साथ में कंगन भी ले आए. मैंने कंगन हाथों में पहन लिए, लेकिन फिर भी जाने से मना कर दिया. मैं उनके साथ नहीं जाऊंगी. दुल्हन उन्हें अपने इसी नटखट अंदाज में मना कर देती है.
इसके बाद बारी आती है देवर की, जो दुल्हन को मनाने के लिए लहंगा लेकर आता है. गाने में अगली लाइन है, "दूजी वार मेनु देवर लेने आ गया, देवर लेने आ गया ते लहंगा पवा गया". दुल्हन लहंगा तो रख लेती है, लेकिन फिर भी देवर के साथ जाने से इंकार कर देती है. यह नखरा और मस्ती का खेल तब तक चलता है, जब तक ससुराल के सभी लोग एक-एक करके उसे मनाने की कोशिश करते हैं और वह मजाक में सबको मना करती रहती है.
अब आखिरी में दुल्हन का पति उसे लेने खुद आता है. गीत अपने चरम बिंदु पर है अब. देखिए वह क्या कहती है...
हाय तीजी तीजी बार
मैनु आप लेने आ गया
आप लेने आ गया
दो गल्लां सुना गया
दुल्हन कहती है कि तीसरी बार तो मुझे खुद आप (यानी पति) ही लेने आ गए और फिर मेरे सारे बहाने खत्म हो गए. वो आए तो दो बातें भी सुना दी. आखिर में मैं अपने ससुराल जाने को तैयार हो गई. इस तरह वह खुशी में अपने पति के साथ बहुत ठुमक-ठुमक कर चलते हुए ससुराल की ओर चल पड़ी. गीत यहां पूरा हो जाता है.
ठुमक ठुमक जांदी है माहिए दे नाल
ठुमक ठुमक जांदी है माहिए दे नाल
लड़कियों का शादी के बाद मायका छोड़कर ससुराल जाना सदियों-सदियों से एक दुखभरा समय रहा है. विदाई का वो पल हमेशा दुखदायी रहा है, जब बिटिया की डोली आंगन से उठी है. इस दुख को कभी मार्मिक गीतों में, कभी भजनों में तो कभी इसी तरह के हल्के-फुल्के मस्ती-मजाक वाले गीतों में जगह मिली है. सभ्यता कोई सी भी हो शादी और लड़की की विदाई अधिकतर संस्कृतियों का सच है और यह एक जैसी ही भावना लेकर आती है.
चांदनी फिल्म में भी है ऐसा ही गीत
चांदनी फिल्म में भी इसी से प्रेरित एक गीत पर श्रीदेवी भी अपने चुलबुले अंदाज में नजर आई हैं. वह भी पहले-पहल ससुर-सास और देवर सभी के बुलावे को नटखट अंदाज में इग्नोर करती है फिर आखिरी में पति ऋषि कपूर के साथ ससुराल जाने को खुशी-खुशी तैयार हो जाती है. दुल्हन बनी श्रीदेवी कहती है कि "नंगे पांव दौड़ी चली जाऊंगी, डोली को गोली मारो". ये प्रूफ है कि दुल्हन के लिए ससुराल जाना कोई मजबूरी नहीं, बल्कि एक प्यार भरा निर्णय है, जो वह अपने पति के साथ ही लेना चाहती है.
यह गाना और परंपरा केवल नखरे या मजाक तक सीमित नहीं है. यह दुल्हन के नटखट स्वभाव, उसके आत्मविश्वास और अपने पति के प्रति उसके प्यार को दर्शाता है. वह ससुराल जाना चाहती है, लेकिन वह चाहती है कि उसका पति उसे लेने खुद आए. यह नोकझोंक और प्यार भरा अंदाज इस परंपरा को और भी खास बनाता है.
मशहूर गजल गायक पंकज उधास की एक गजल है 'घुंघरू टूट गए...'. इसमें एक अंतरा आता है,
धरती पर न मेरे पैर लगे,
बिन पिया मुझे सब गैर लगे
जब मिला पिया का गांव
तो ऐसा लचका मेरा पांव
कि घुंघरू टूट गए...
"जूती मेरी जांदी है पहाड़िए दे नाल" जैसे गीत हमारी सांस्कृतिक परंपराओं की गहराई से जुड़े हुए हैं. ये गाने न केवल विशुद्ध मनोरंजन हैं, बल्कि उन मार्मिक कहानियों को मजाक-मस्ती में कह जाने का ऐसा हुनर हैं, जिससे पीढ़ियां सभ्य हैं और संस्कृति सुरक्षित, तो अगली बार जब आपको 'ठुमक-ठुमक' सुनाई दे तो इसकी लिरिक्स में ये भाव जरूर खोजिएगा.