'पुतिन की कार में पीएम मोदी की प्राइवेट मीटिंग ने अमेरिका को...', SCO बैठक को लेकर क्या लिख रहा US मीडिया

चीन के तियानजिन शहर में आयोजित एससीओ बैठक की चर्चा अमेरिका में खूब हो रही है. वहां के अखबारों में बैठक की तस्वीरें छाई हुई हैं और लिखा जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ की वजह से भारत चीन के करीब जा रहा है. पीएम मोदी और पुतिन की कार में हुई निजी बैठक की भी काफी कवरेज हुई है.

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एससीओ शिखर सम्मेलन से पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के गर्मजोशी वाली तस्वीरें वायरल हैं (Photo: Reuters) एससीओ शिखर सम्मेलन से पीएम मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के गर्मजोशी वाली तस्वीरें वायरल हैं (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

चीन के उत्तरी शहर तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक खत्म हो चुकी है लेकिन इसकी चर्चा अब भी दुनियाभर में हो रही है. इस सम्मेलन में दुनिया की तीन बड़ी महाशक्तियों भारत, रूस और चीन ने साथ आकर अमेरिकी प्रभुत्व को टक्कर दी है और तीनों राष्ट्राध्यक्षों की तस्वीरें दुनियाभर में छाई हुई हैं. एससीओ सम्मेलन की खबरों से अमेरिकी अखबार भी पटे पड़े हैं. अमेरिकी मीडिया में चल रही खबरों में एक बात कॉमन है और वो ये कि ट्रंप का टैरिफ भारत को चीन की तरफ धकेल रहा है.

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एससीओ की बैठक ट्रंप के टैरिफ की पृष्ठभूमि में हो रही है जिसमें वो भारत और चीन जैसे अहम व्यापारिक साझेदारों को निशाना बना रहे हैं. ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद से नाराज होकर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया है जिसके साथ ही भारत पर अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है. अमेरिका टैरिफ को लेकर चीन पर भी सख्त है, हालांकि, चीन के साथ उसकी व्यापार वार्ता अभी चल रही है.

ट्रंप के निशाने पर आए दुनिया के तीन बड़े देशों ने एससीओ शिखर सम्मेलन में साथ आकर संदेश देने की कोशिश की है कि अब दुनिया बहुध्रुवीय हो रही है जिसमें अमेरिका की दादागिरी नहीं चलेगी.

एससीओ शिखर सम्मेलन को लेकर क्या कह रही अमेरिकी मीडिया?

सीएनएन-

अमेरिकी ब्रॉडकास्टर सीएनएन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कार में लगभग एक घंटे चली बातचीत की काफी चर्चा है. सीएनएन ने लिखा कि सोमवार को एससीओ बैठक में पीएम मोदी ने मेजबान चीन और रूस के साथ अपने संबंधों पर चर्चा की. उन्होंने पुतिन को गले लगाया और फिर दोनों हाथ में हाथ डालकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अभिवादन करने के लिए एक साथ आगे बढ़े. तीनों नेताओं ने चेहरे पर मुस्कान लिए एक-दूसरे से बात की और साथ हंसते दिखाई दिए.

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पीएम मोदी और पुतिन की निजी बातचीत को लेकर सीएनएन ने लिखा, 'रूस की सरकारी मीडिया के अनुसार, मोदी और पुतिन ने औपचारिक वार्ता के लिए जाते समय रूसी राष्ट्रपति की लिमोजिन कार ऑरस में लगभग एक घंटे तक निजी बैठक की. बैठक की शुरुआत में मोदी ने कहा कि भारत और रूस हमेशा सबसे कठिन समय में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं.'

पीएम मोदी और पुतिन की बैठक को लेकर विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया था जिसका हवाला देते हुए सीएनएन ने लिखा कि मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष को सुलझाने के लिए और एक स्थायी शांति समझौता खोजने की जरूरत पर जोर दिया.

सीएनएन ने लिखा कि 'भारत पर ट्रंप ने जो टैरिफ लगाया है उसकी वजह से मोदी के साथ उनके रिश्ते खराब हुए हैं और इसी वजह से भारत संभलकर ही सही लेकिन चीन के साथ अपना सहयोग आगे बढ़ाने की राह पर है. चीन और भारत दोनों ही रूस के साथ रिश्तों को लेकर अमेरिकी टैरिफ और पश्चिमी देशों की निगरानी का सामना कर रहे हैं. 

एनबीसी

अमेरिकी टीवी ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क एनबीसी न्यूज ने भी पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई निजी वार्ता को काफी प्रमुखता से छापा है. अखबार ने अपनी खबर को शीर्षक दिया है- कार की सवारी और हाथ थामना: पुतिन, मोदी और शी ने ट्रंप को साफ-साफ मैसेज दिया है (Car rides and hand-holding: Putin, Modi and Xi send Trump a pointed message)

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एनबीसी ने लिखा, 'व्लादिमीर पुतिन के साथ (पीएम मोदी की) निजी कार की सवारी शायद उतनी स्पेशल न हो जितनी कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सोचकर रखी थी. रूसी नेता, पीएम मोदी और मेजबान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने सोमवार को एक-दूसरे के साथ मिलकर, हाथ मिलाकर, गले मिलकर यह दिखाया मानो वो ये सब अमेरिका में सबका ध्यान खींचने के लिए कर रहे हो. सम्मेलन में तीनों नेताओं ने सहयोग की पुरानी धारणाओं को दोहराया लेकिन उनकी मुलाकात के भाव और समय को नजरअंदाज करना असंभव था.'

एनबीसी आगे लिखता है कि पश्चिमी देश भारत को एक अहम एशियाई साझेदार और चीन की काट के रूप में देखते रहे हैं लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने भारत को परेशान कर दिया है. रूस ने भी यूक्रेन में अमेरिका के शांति समझौते की कोशिशों को नकार दिया है और चीन भी व्यापार, ताइवान और वैश्विक प्रभाव को लेकर अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति में है. घनघोर तनाव के बीच एससीओ की बैठक में सौहार्दपूर्ण माहौल अमेरिका दबाव को एक स्पष्ट संकेत था.

एनबीसी ने लिखा कि रूसी तेल की खरीद को लेकर ट्रंप ने भारत पर टैरिफ दोगुना करके 50% कर दिया है, बावजूद इसके पीएम मोदी ने पुतिन की बख्तरबंद कार में बैठकर निजी वार्ता की जो अमेरिकी दबाव को न मानने का स्पष्ट संकेत है. 

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समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP)

अमेरिकी समाचार एजेंसी एपी ने एससीओ बैठक की विस्तृत कवरेज की है. सोमवार को प्रकाशित एपी की एक रिपोर्ट का शीर्षक है- रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिकी टैरिफ झेल रहे भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ अपने विशेष संबंधों का प्रदर्शन किया.

एजेंसी ने लिखा कि वार्ता की शुरुआत में अपने संबोधन में मोदी ने रूस के साथ साझेदारी को 'विशेष और गौरवशाली' बताया. पुतिन ने मोदी को 'प्रिय मित्र' कहा और भारत के साथ रूस के संबंधों को विशेष, मैत्रीपूर्ण और भरोसेमंद बताया. उन्होंने कहा कि रूस और भारत दशकों से भरोसेमंद दोस्त रहे हैं और भरोसा ही संबंधों को आगे ले जाने की नींव है.

एपी की रिपोर्ट में आगे लिखा गया, 'नेताओं के ग्रुप फोटो के लिए लाइन में लगने से कुछ समय पहले मोदी को एक पुराने दोस्त की तरह उत्साह से पुतिन का हाथ थामे देखा गया. इसी दौरान उनकी जोरदार हंसी भी देखी गई. यह पल बेहद दिलचस्प था क्योंकि पुतिन मुस्कुराए और हंसे, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बैलेंस स्माइल के साथ दिखे. इस दौरान तीनों नेता गर्मजोशी से एक-दूसरे से बात करने दिखे.'

न्यूयॉर्क टाइम्स

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एससीओ को लेकर प्रकाशित अपनी एक विश्लेषण को हेडिंग दी है- ग्लोबल स्टेज पर पुतिन को अब बढ़ती लोकप्रियता मिल रही है.

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अमेरिकी अखबार ने लिखा कि पहले जहां यूक्रेन में युद्ध के लिए चीन चिंता दिखा रहा था और पीएम मोदी कह रहे थे कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है वहीं, अब पुतिन के भाग्य बदल गए हैं...और उनके भाग्य की तरह दुनिया भी बदली है.

अखबार ने लिखा, 'पुतिन ने एससीओ के स्टेज पर खड़े होकर यूक्रेन में युद्ध शुरू करने के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार बताया. उन्होंने चेहरे पर मुस्कान लिए नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों ने ठहाका लगाया... फिर शी जिनपिंग से मुलाकात की.'

जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में ग्लोबल कम्यूनिकेशन की प्रोफेसर मारिया रेपनिकोवा के हवाले से अखबार ने लिखा, 'ऐसा लगा जैसे युद्ध को कुछ मायनों में स्वीकार कर लिया गया है. तीनों नेताओं का साथ आना ऐसा था जैसे हम वापस अपने काम पर लग गए हों और युद्ध का तो कोई अस्तित्व ही न हो.' 

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