नीदरलैंड में गिरी सरकार, मशहूर सांसद गीर्ट विल्डर्स ने वापस लिया समर्थन तो डच PM को देना पड़ा इस्तीफा

नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री डिक स्कोफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यह फैसला उस वक्त आया जब धुर दक्षिणपंथी नेता गीर्ट विल्डर्स ने सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी पर सहमति नहीं मिलने के कारण गठबंधन से नाता तोड़ लिया. अब देश में अक्टूबर या नवंबर में मध्यावधि चुनाव संभावित हैं, जबकि फिलहाल एक कार्यवाहक सरकार शासन संभालेगी.

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गीर्ट विल्डर्स (Credits: AP) गीर्ट विल्डर्स (Credits: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

नीदरलैंड्स की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हो गया. यहां के पीएम डिक स्कोफ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. असल में उनकी सरकार पीवीवी पार्टी के गठबंधन से चल रही थी, जिसके नेता गीर्ट विल्डर्स ने अपना समर्थन वापस ले लिया. गीर्ट विल्डर्स भारत में काफी मशहूर हैं, और अपनी एंटी-मुस्लिम बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं.

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गीर्ट विल्डर्स का कहना है कि सरकार ने सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी को समर्थन नहीं दिया, इसलिए उनके पास गठबंधन छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. उन्होंने यह भी साफ किया कि वे अब PVV के साथ आगामी चुनाव में उतरेंगे और प्रधानमंत्री पद के लिए दावा करेंगे.

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पीएम डिक स्कोफ ने की इमरजेंसी मीटिंग, फिर दिया इस्तीफा

डिक स्कोफ ने इस बीच इमरजेंसी कैबिनेट बैठक के बाद कहा, "मैंने हाल के दिनों में बार-बार सभी दलों से कहा कि सरकार का गिरना गैरजरूरी और गैर-जिम्मेदाराना होगा. हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए फैसले लेने की क्षमता जरूरी है." उन्होंने यह भी कहा कि वे अपना इस्तीफा मंगलवार को राजा विलेम-अलेक्जेंडर को सौंपेंगे.

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पीवीवी सरकार से होगी बाहर, कार्यवाहक सरकार चलती रहेगी

अब हालात ऐसे बन गए हैं कि PVV के मंत्री सरकार से बाहर हो जाएंगे, जबकि अन्य मंत्री कार्यवाहक सरकार के रूप में फिलहाल शासन जारी रखेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, फिलहाल कोई चुनाव अक्टूबर या नवंबर से पहले संभव नहीं है.

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एंटी-इमीग्रेशन पॉलिसी के समर्थक उभर रहे हैं

एक्सपर्ट मानते हैं कि PVV का यह फैसला काफी रणनीतिक है और देश में एंटी-इमीग्रेशन पॉलिसी के समर्थन उभरे हैं. ऐसे में आने वाला चुनाव इमीग्रेशन पॉलिसी पर जनमत संग्रह जैसा बनाने की कोशिश है. मसलन अगर चुनाव इसी मुद्दे पर केंद्रित रहा, तो PVV को भारी समर्थन मिल सकता है.

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