1950 के दशक की शुरुआत में न्यूयॉर्क के मैनहट्टन के यहूदी परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ. अमेरिका के किसी साधारण मध्यमवर्गीय बच्चे की तरह सीमित संसाधनों के बीच इस बच्चे की भी परवरिश हुई. माता और पिता दोनों निचले दर्जे के सरकारी मुलाजिम थे. वेतन सिर्फ उतना जितने में जिंदगी का गुजर-बसर कर सके. लेकिन अभावों के बीच पला-बढ़ा यह बच्चा नई ऊंचाइयां छूने वाला था. शातिर दिमाग और बेइंतहा महत्वांकाक्षा वाला जेफ्री बेहद कम उम्र में चकाचौंध भरी जिंदगी की ओर आकर्षित होने लगा, जिसके केंद्र में ग्लैमर और पावर था लेकिन उसकी गर्त में छिपा था नाबालिग लड़कियों का शोषण, तस्करी, अय्याशी और ब्लैकमेलिंग का खेल. यहां बात जेफ्री एपस्टीन की, जिसका बचपन जितना साधारण, जवानी उतनी रहस्यमयी और अंत उतना ही विवादित रहा...
जेफ्री एपस्टीन अमेरिका का वह अय्याश अरबपति था जिसे हमेशा महिलाओं से घिरा रहना पसंद था. बेहद मामूली पृष्ठभूमि से निकलकर आसानी से अमेरिका के एलीट वर्ग में जगह बनाने वाले एपस्टीन की जिंदगी किसी सीक्रेट मिशन हेड जैसी रही. बेहद कम समय में अकूत दौलत कमाने से लेकर ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप जैसी शख्सियतों से नजदीकियां बढ़ाने के लिए उसे ज्यादा पापड़ बेलने नहीं पड़े. वह लगातार सत्ता के करीब पहुंचता चला गया. एपस्टीन को बचपन से देखते आ रहे जानकार ताल ठोककर बताते हैं कि उसका जन्म ग्लैमर और रसूख के लिए ही हुआ था.
आज जब एपस्टीन की मौत के छह साल बाद उसकी क्लासिफाइड फाइलों को सार्वजनिक करने का दबाव बढ़ता जा रहा है. तो जेहन में सवाल उठता है कि बेहद साधारण परिवार में जन्मा जेफ्री नाबालिग लड़कियों के शोषण, उनकी तस्करी और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर अपराधों की गर्त में कैसे पहुंच गया? इसका जवाब भी जेफ्री के बचपन में ही छिपा है.
एपस्टीन मैथ्स में माहिर स्टूडेंट था. उसे दो और दो आठ करने का हुनर बचपन से पता था. उसमें अव्वल दर्जे की महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वास, अवसरवादिता और दूसरों को आसानी से प्रभावित करने की कला थी. स्कूली पढ़ाई के बाद न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के बावजूद वह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया. लेकिन इसके बावजूद उसने शहर के एक एलिट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया था. शायद यही उसकी जिंदगी का पहला स्कैम भी था, जहां वह बिना डिग्री के पढ़ा रहा था.
इसी स्कूल में पढ़ाते हुए उसकी मुलाकात अमेरिकी अरबपति एलेन ग्रीनबर्ग से हुई, जो उस समय एक बड़ी इन्वेस्टमेंट फर्म Bear Stearns के सीईओ थे. ग्रीनबर्ग के जरिए एपस्टीन ने फाइनेंस वर्ल्ड में एंट्री की. यहां उसने दो चीजें सीखीं, पहला अमीर आखिर सोचते कैसे हैं और पैसा कैसे खींचा जाता है?
एपस्टीन ने Bear Stearns छोड़कर 1981 में अपनी खुद की फर्म खड़ी की और दौलतमंदों का फाइनेंशियल एडवाइजर बन गया. लेकिन असल में वह इन दौलतमंदों के साथ शेडी डील्स करता था. वह रसूखदारों का पैसा मैनेज करने की बात करता था लेकिन उसके क्लाइंट कौन-कौन थे. ये हमेशा सीक्रेट ही रहा. उसके फंड्स की कोई कानूनी ट्रैकिंग नहीं थी. 90 का दशक आते-आते वह अनगिनत प्राइवेट जेट, यॉट और लग्जरी मेंशन और रिजॉर्ट्स का मालिक बन गया था और यहीं से शुरू हुआ नाबालिग लड़कियों के शोषण और उनकी ट्रैफिकिंग का खेल.
इस बीच जेफ्री एपस्टीन की जिंदगी में गिलेन मैक्सवेल की एंट्री होती है. दोनों की मुलाकात न्यूयॉर्क की एक लग्जरी पार्टी में हुई. वह ब्रिटिश मीडिया टायकून रॉबर्ट मैक्सवेल की बेटी थी. ऑक्सफोर्ड पासआउट, बेहद स्टाइलिश और हमेशा आत्मविश्वास से लबरेज. जेफ्री और मैक्सवेल की मोडस ऑपरेंडी किसी सोशियोपैथ से कम नहीं थी. वह समय लगाकर बेहद प्लानिंग के साथ ऐसी नाबालिग लड़कियों को टारगेट करते थे, जो संसाधनों के अभाव से जूझ रही होती थीं. उन्हें मदद के नाम पर बहला-फुसलाकर जेफ्री के आलीशान रिजॉर्ट और मैंशन ले जाया जाता और मसाज के नाम पर उनका शोषण किया जाता.
2019 में एक पीड़िता ने कोर्ट के सामने गवाही देते हुए बताया था कि वो (मैक्सवेल) औरत हमें ऐसे भरोसे में लेती थी, जैसे बड़ी बहन हो. लेकिन असल में वह हमें किसी शिकारी के सामने परोसने के लिए तैयार कर रही होती थी.
मियामी हेराल्ड अखबार की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर जूली के. ब्राउन ने जेफ्री एपस्टीन के काले चिट्ठों को उजागर करते हुए 2018 में एक सीरीज की थी. इस इन्वेस्टिगेटिव सीरीज को तीन पार्ट्स में पब्लिश किया गया था. 2008 की सीक्रेट डील का पर्दाफाश करते हुए जूली ने एपस्टीन के मामले को एक बार फिर दुनिया के सामने रखा.
ये जूली की रिपोर्टिंग का ही असर था कि जेफ्री एपस्टीन के खिलाफ जांच दोबारा शुरू हुई. एफबीआई ने इस केस को दोबारा खोला और 2019 में एपस्टीन को अरेस्ट किया गया. एपस्टीन को सालों तक जेल से बचाने के जुगाड़ में लगे एलेक्जेंडर अकोस्टा को ट्रंप कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा. वह उस समय ट्रंप की कैबिनेट में श्रम मंत्री था.
जूली ने बाद में 2021 में इसी सीरीज को एक किताब की शक्ल में पेश किया. इस किताब का नाम है- Perversion of Justice: The Jeffrey Epstein Story. इस किताब में अमेरिका की उस न्याय व्यवस्था की पोल खोली गई है, जो अक्सर रसूखदारों के सामने झुक जाया करती है. यह किताब शोषण का दंश झेल चुकीं उन लड़कियों की आपबीती भी है, जिन्हें वर्षों तक न्याय से वंचित रखा गया, नजरअंदाज किया गया.
जूली अपनी किताब में जेफ्री की जिंदगी, उसके अपराध और उसके हाईप्रोफाइल कनेक्शन को पेश करती हैं. वह लिखती हैं कि जेफ्री एक मेगा मैनिपुलेटर था, जो अपने आकर्षक व्यक्तित्व और इंटेलिजेंस से दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों को अपनी ओर खींच लेता था. वो अक्सर लग्जरी पार्टियों में खुद को इंटलेक्चुअल के तौर पर पेश करता था. न्यूयॉर्क के टाउनहाउस से लेकर पाम बीच मैंशन और लिटिल सेंट जेम्स आइलैंड की अपनी संपत्तियों का इस्तेमाल उसने नेताओं, सेलिब्रिटीज और दौलतमंद कारोबारियों के मस्ती के अड्डों के तौर पर किया.
ब्लैक बुक का सीक्रेट...
इस किताब में दावा किया गया है कि जेफ्री की ये रंगीन पार्टियां एक तरह का ट्रैप हुआ करती थी, जहां वो ताकतवर लोगों को इंप्रेस करता था. अमेरिकी मीडिया में जेफ्री के प्राइवेट आइलैंड लिटिल सेंट जेम्स को पीडोफाइल आइलैंड बताया जाता रहा है, जहां नाबालिग लड़कियों के साथ पार्टियां होती थी. ये आइलैंड उसकी अय्याशी और आपराधिक गतिविधियों का सेंटर प्वॉइन्ट था. वह मैक्सवेल के साथ मिलकर ऐसी नाबालिग लड़कियों को बहलाता-फुसलाता और बाद में ब्लैकमेल करता था, जो जरूरतमंद होती थीं, वंचित परिवारों से होती थीं.
किताब में एक जगह बताया गया है कि जेफ्री की मोडस ऑपरेंडी जरूरतमंद नाबालिग लड़कियों को टारगेट करने की थी, जिन्हें वो पहले मसाज के नाम पर रिक्रूट करता था. इस किताब में कई पीड़ित लड़कियों के हवाले से बताया गया है कि जेफ्री और उसकी क्राइम पार्टनर मैक्सेवल सिस्टेमैटिक तरीके से लड़कियों को टारगेट करते थे.
ब्राउन किताब में लिखती हैं कि जेफ्री का नेटवर्क उसकी सबसे बड़ी ताकत थी. उसकी ब्लैक बुक में बिल क्लिंटन से लेकर प्रिंस एंड्रयू, लेस वेक्सनर और डोनाल्ड ट्रंप जैसी हस्तियां शामिल थीं. वह इन कनेक्शन का इस्तेमाल अपने क्राइम को छिपाने और अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए करता था.
मैक्सवेल के साथ मिलकर उसका ब्लैकमेलिंग का गेम इतना स्याह था कि हिडन कैमरों और रिकॉर्डिंग डिवाइस की मदद से वह ब्लैकमेल भी करता था. शायद यही वजह रही कि कई सालों तक उसके काले चिट्ठे बाहर नहीं आ पाए.
2008 की वो सीक्रेट डील...
लेकिन फिर आया साल 2005 जब फ्लोरिडा में 14 साल की एक नाबालिग लड़की के पिता ने जेफ्री के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जेफ्री पर यौन शोषण का आरोप लगा. इस मामले की जांच शुरू हुई. जेफ्री के न्यूयॉर्क के मैंशन पर एफबीआई की छापेमारी में हजारों सीडी और वीडियो रिकॉर्डिंग मिली. हजारों लड़कियों की तस्वीरें और संदिग्ध दस्तावेज मिले, जिनमें कई नामचीन हस्तियों के नाम थे.
इस दौरान 30 से ज्यादा नाबालिग लड़कियों ने आगे आकर जेफ्री के काले चिट्ठे की पोल खोली. नतीजतन 2008 में जेफ्री को गिरफ्तार किया गया. लेकिन उसने एक सीक्रेट डील कर ली. इस सीक्रेट डील के तहत उसने नाबालिग से वेश्यावृत्ति का अपराध कबूला और उसे सिर्फ 13 महीने की जेल हुई. पर उसे वर्क रिलीज की सुविधा दे दी गई, जिसके तहत उसे दिन में ऑफिस में रहने की छूट दी गई.
क्या ट्रंप का मार-ए-लागो था हंटिंग ग्राउंड?
जेफ्री एपस्टीन और डोनाल्ड ट्रंप 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत से एक दूसरे को जानते थे. उस समय के पार्टी सर्किट में दोनों छाए रहते थे. सोशल इवेंट्स से लेकर गाला डिनर और क्लबों में दोनों को अक्सर गलबहियां करते देखा गया. एपस्टीन दरअसल ट्रंप के मार-ए-लागो क्लब का गेस्ट था. वर्जीनिया गिफ्रे नाम की एक पीड़िता ने दावा किया था कि वह मार-ए-लागो के स्पा में काम करती थीं और एपस्टीन और मैक्सवेल ने मार-ए-लागो से ही उससे संपर्क किया था.
2015 में एक इंटरव्यू के दौरान वर्जीनिया ने मार-ए-लागो को सिर्फ रिजॉर्ट नहीं बल्कि लड़कियों का हंटिंग ग्राउंड बताया था, जहां अक्सर रसूखदार कमसिन लड़कियों को फंसाने की नीयत से आते थे.
जॉन कोनॉली और टिम मैलॉय की किताब Filthy Rich: A Powerful Billionaire, the Sex Scandal that Undid Him and All the Justice that Money can buy में डोनाल्ड ट्रंप और जेफ्री की 15 साल की दोस्ती का जिक्र है. 2002 में न्यूयॉर्क की एक मैगजीन में छपे एक लेख में ट्रंप ने कहा था कि मैं जेफ्री को बरसों से जानता हूं. वह शानदार शख्स हैं, उनके साथ समय बिताना मजेदार है.
हालांकि, इसी किताब में एक जगह ये भी बताया गया है कि ट्रंप ने जेफ्री को मार-ए-लागो से बैन कर दिया था क्योंकि क्लब के एक मेंबर ने शिकायत की थी कि जेफ्री ने उनकी नाबालिग बेटी को अपने घर बुलाने की कोशिश की थी. इसके बाद ट्रंप ने जेफ्री से अपने सभी रिश्ते तोड़ दिए थे.
किताब में दावा किया गया है कि बिल क्लिंटन, ट्रंप और प्रिंस एंड्रयू जैसे प्रभावशाली दोस्तों ने उसके अपराधों को लंबे समय तक छिपाने में मदद की. लेखक ने इस बात की आलोचना की है कि कैसे पैसे और ताकत ने अमेरिकी न्याय व्यवस्था को प्रभावित किया, जिसके कारण जेफ्री को हल्की सजा मिली.
जेफ्री एपस्टीन की जिंदगी जितनी विवादित रही. उसकी मौत पर भी उतना ही बड़ा विवाद है. 10 अगस्त 2019 को एपस्टीन न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर में अपने सेल में मृत पाया गया. उसे गिरफ्तारी के बाद इसी सेल में रखा गया था. जांच में इसे आत्महत्या बताया गया. लेकिन ऐसे कई सवाल थे, जो एपस्टीन की मौत पर उठाए गए थे. मसलन, जिस दिन एपस्टीन मृत पाया गया. उस दिन जेल के दोनों कैमरे खराब थे. गार्ड्स ड्यूटी पर सो रहे थे.
एपस्टीन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सुसाइड बताया गया. लेकिन एपस्टीन की ऑटोप्सी रिपोर्ट देख चुके अमेरिका के जाने-माने फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. माइकल बोडेन ने सवाल उठाए कि जिस तरह से एपस्टीन की गर्दन की हड्डियां टूटी पाई गईं. ऐसा फांसी लगाने से नहीं बल्कि गला घोंटकर मारने पर होता है. एपस्टीन की मौत के तीन साल बाद मैक्सवेल ने जेल से एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मुझे नहीं लगता जेफ्री ने खुदकुशी की. किसी को तो डर था राज खुलने का. राज खुलने से पहले ही उसे मार डाला...
Ritu Tomar