कजाकिस्तान में चीन और पाकिस्तान पर जमकर बरसे विदेश मंत्री एस. जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को टारगेट करते हुए कहा है कि उग्रवाद, कट्टरता और हिंसा जैसे तत्वों को बढ़ावा देने वाले देशों को खुद भी इनके खतरों को झेलना पड़ता है. जयशंकर ने कजाकिस्तान में कॉन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (CICA) सम्मेलन में ये बातें कहते हुए चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव(बीआरआई) पर भी निशाना साधा है.

Advertisement
एस जयशंकर फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स एस जयशंकर फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 13 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
  • सीआईसीए बैठक में एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर साधा निशाना
  • चीन-पाकिस्तान के सीपीईसी प्रोजेक्ट की भी आलोचना की

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद सबसे ज्यादा सवाल पाकिस्तान की भूमिका पर ही उठ रहे हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उन चुनिंदा वैश्विक नेताओं में से हैं जो तालिबान सरकार की लगातार वकालत कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध ना लगाने की अपील कर रहे हैं. कजाकिस्तान पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को पाकिस्तान को एक बार फिर आतंकवाद पर कड़े शब्दों में संदेश दिया. जयशंकर ने पाकिस्तान के दोस्त चीन को भी दूसरे देशों में परियोजनाओं के नाम पर अपना प्रोपैगेंडा ना चलाने की सलाह दी.

Advertisement

एस जयशंकर ने पाकिस्तान को टारगेट करते हुए कहा कि उग्रवाद, कट्टरता और हिंसा जैसे तत्वों को बढ़ावा देने वाले देशों को खुद भी इनके खतरों को झेलना पड़ता है. जयशंकर ने कजाकिस्तान में कॉन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (CICA) सम्मेलन में ये बातें कहीं. चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सभी कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स के केंद्र में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. बता दें कि इससे पहले भी भारत ने बीआरआई के अंतर्गत आने वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर(सीपीईसी) पर भी विरोध जताया था क्योंकि इस प्रोजेक्ट का एक प्रमुख हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है.  

'आतंकवाद भी ग्लोबल वॉर्मिंग और कोरोना जितना गंभीर मुद्दा'

जयशंकर ने कहा कि सीआईसीए के सदस्यों का सामान्य लक्ष्य विकास और शांति है और इस लक्ष्य का सबसे बड़ा दुश्मन आतंकवाद है. बता दें कि सीआईसीए एक मल्टीनेशनल फोरम है जो एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को प्रमोट करने के लिए साल 1999 में कजाकिस्तान के नेतृत्व में स्थापित किया गया था. विदेश मंत्री ने कहा, आज के आधुनिक दौर में कोई देश आतंकवाद का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ नहीं कर सकता है. सीमा-पार आतंकवाद भी आतंकवाद का एक रूप है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस खतरे के खिलाफ एकजुट होना चाहिए और इसे उतनी ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए जैसा जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी के मुद्दों को लिया जाता है.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि कट्टरता, उग्रवाद, हिंसा और धर्मांधता जैसे तत्वों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना एक बहुत ही छोटी सोच का नतीजा है क्योंकि ये पलटकर उन्हीं देशों को परेशान जरूर करती हैं जो इन्हें बढ़ावा देते हैं. इस क्षेत्र में स्थिरता की कोई भी कमी कोविड-19 को नियंत्रण में लाने के सामूहिक प्रयासों को कमजोर कर देगी. यही कारण है कि अफगानिस्तान की स्थिति इसलिए भी हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय होनी चाहिए. 

'कनेक्टिविटी का नाम लेकर प्रोपैगेंडा ना चलाएं कुछ देश'

सीआईसीए की बैठक में अपने भाषण के दौरान, जयशंकर ने ये भी कहा कि एशिया 'कनेक्टिविटी की कमी' से जूझ रहा है जो आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि ये जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सबसे बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया जाए. इनमें सबसे जरूरी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान है. ये भी महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी को कोई देश अपने एजेंडा के तौर पर इस्तेमाल ना करे. बता दें कि भारत ने चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई में शामिल होने से मना कर दिया था. भारत का कहना था कि चीन इस प्रोजेक्ट के सहारे विकासशील देशों के लिए कर्ज जाल जैसी स्थिति का निर्माण करता है. 
 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement