एंटनी ब्लिंकेन हो सकते हैं अमेरिका के अगले विदेश मंत्री, जानिए भारत को लेकर क्या है राय?

बताया जा रहा है कि नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन एंटनी ब्लिंकेन को विदेश मंत्री नियुक्त कर सकते हैं. ब्लिंकेन के नाम की घोषणा मंगलवार को हो सकती है. 

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एंटनी ब्लिंकेन होंगे अमेरिका के अगले विदेश मंत्री (फाइल फोटो) एंटनी ब्लिंकेन होंगे अमेरिका के अगले विदेश मंत्री (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST
  • अमेरिका के अगले विदेश मंत्री हो सकते हैं ब्लिंकेन
  • ओबामा के दूसरे कार्यकाल में रहे हैं उप विदेश मंत्री
  • व्यवहार कुशल राजनीतिज्ञ माने जाते हैं ब्लिंकेन

एंटनी ब्लिंकेन अमेरिका के अगले विदेश मंत्री हो सकते हैं. वो माइक पोम्पिओ की जगह लेंगे. ब्लिंकेन इससे पहले ओबामा के दूसरे कार्यकाल में उप विदेश मंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं. बाइडन के उप राष्ट्रपति के कार्यकाल में ब्लिंकेन उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर जुड़े थे. इतना ही नहीं, बाइडन के चुनाव प्रचार अभियान में ब्लिंकेन विदेश नीति सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं.

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बताया जा रहा है कि नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन एंटनी ब्लिंकेन को विदेश मंत्री नियुक्त कर सकते हैं. ब्लिंकेन के नाम की घोषणा मंगलवार को हो सकती है. 

ब्लिंकेन ने भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बाइडन के प्रचार अभियान के दौरान कहा था, 'उप राष्ट्रपति (बाइडन) भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं. मैंने यह खुद देखा है. मैंने उनके साथ 2002 में सीनेट की विदेश संबंध समिति में काम किया था. उसके बाद ओबामा-बाइडन प्रशासन और उनके उप राष्ट्रपति रहते हुए काम किया था.'

ब्लिंकेन ने 15 अगस्त को कहा था, 'अगर आप 15 साल पहले जाएं तो तब भी जो बाइडन के पास भविष्य के लिए अमेरिका-भारत संबंधों की एक तस्वीर थी. उन्होंने 2006 में कहा था कि मेरा सपना है कि 2020 में दुनिया में दो सबसे करीबी रिश्तों वाले देश भारत और अमेरिका होंगे.'

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ब्लिंकेन के जानने वाले उन्हें व्यवहार कुशल राजनीतिज्ञ बताते हैं. जो एक विचारशील और तुलनात्मक रूप से सॉफ्ट स्पोकेन लेकिन अनुभवी और फॉरेन पॉलिसी को अच्छी तरह से समझने वाले नेता हैं. 58 वर्षीय ब्लिंकेन का मानना रहा है कि अमेरिका को वैश्विक पटल पर एक्टिव लीडरशिप की भूमिका में आना चाहिए. सहयोगी देशों के साथ बातचीत करनी चाहिए. 

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जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही इस बात को लेकर चर्चा रही है कि आने वाले समय में भारत के साथ अमेरिका के कैसे संबंध होंगे. 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भारत में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए तब अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में इसको लेकर अपना पक्ष भी रखा था. 

तब भारत अमेरिका के निशाने पर था और बाइडेन भी इसको लेकर बेहद नाखुश थे. लेकिन बाद में उन्होंने ये बयान दिया- 'भारत के रुख को लोगों ने गलत समझा. भारत ऐसा देश नहीं है जो परेशानी करेगा वो लीबिया, नॉर्थ कोरिया या इराक नहीं है.'

बाइडेन क्लिंटन काल से ही भारत-अमेरिकी संबंधों के पक्षधर रहे हैं. अब बतौर राष्ट्रपति वो संबंधों को नई गति दे सकते हैं. हालांकि बाइडेन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर भारत की नीतियों से बहुत इत्तेफाक नहीं रखते. वहीं अनुच्छेद 370 पर कमला हैरिस का रुख मोदी सरकार से हटकर है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट के एक कार्यक्रम में बाइडन के विदेश नीति सलाहकार एंटनी ब्लिंकेन ने कश्मीर में भारत सरकार के कुछ फैसलों पर गंभीर चिंता जताई थी. उन्होंने खासकर कश्मीर में लोगों के आने-जाने और बोलने पर पाबंदी लगाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि किसी भी सहयोगी के साथ बातचीत का रास्ता हमेशा बेहतर होता है. जिन विषयों पर मतभेद हैं, उन पर सीधे और स्पष्ट रूप से बात किया जाना चाहिए. 

इसके अलावा पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के करीबी जेक सुलिवान को जो बाइडेन ने राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के पद पर नियुक्‍त करने का मन बनाया है. मंगलवार को बाइडेन अपनी कैबिनेट के बारे में ऐलान कर सकते हैं.

 

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