अमेरिका का चीन-पाकिस्तान को Tit for Tat, दोनों ने इसी तरह कई बार भारत को किया था परेशान

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और चीन ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा. लेकिन अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने इसे रोक दिया है. भारत के प्रस्तावों के खिलाफ पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर ऐसी हरकत हमेशा से करते आया है.

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अमेरिका ने पाकिस्तान को करारा झटका दिया है (File Photo: Reuters/AP) अमेरिका ने पाकिस्तान को करारा झटका दिया है (File Photo: Reuters/AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

आतंकवाद को पालने-पोसने और पनाह देने वाले पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में करारा झटका लगा है. और इस बार उसके 'सदाबहार दोस्त' चीन की टेढ़ी चाल भी धरी-की-धरी रह गई है. दरअसल, पाकिस्तान बलूचिस्तान की आजादी की मांग कर रहे संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और मजीद ब्रिगेड पर प्रतिबंध लगाने की फिराक में था. चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान ने बीएलए और मजीद ब्रिगेड को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया था. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के तीन स्थायी सदस्यों अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने प्रस्ताव पर होल्ड लगा दिया है यानी फिलहाल के लिए इसे रोक दिया है.

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अमेरिका ने पिछले महीने ही बीएलए और मजीद ब्रिगेड को आतंकी संगठन घोषित किया था. लेकिन संयुक्त राष्ट्र में उसने बीएलए पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया.

संयुक्त राष्ट्र की 1267 व्यवस्था के तहत बीएलए और मजीद ब्रिगेड को प्रतिबंधित करने की चीन और पाकिस्तान की कोशिश पर पानी फेरते हुए अमेरिका ने कहा कि इन समूहों को आतंकी संगठन अलकायदा या फिर इस्लामिक स्टेट वाली समिति में रखने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

हर बार चीन ने दिया पाकिस्तान का साथ, इस बार काम नहीं आई तिकड़म

संयुक्त राष्ट्र में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के कुख्यात आतंकियों को 'वैश्विक आतंकी' घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया. लेकिन बार-बार चीन ने इन प्रस्तावों पर 'टेक्निकल होल्ड' लगाकर उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया.

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सबसे बड़ा और चर्चित मामला आतंकी मौलाना मसूद अजहर का रहा. मसूद अजहर 2001 के संसद हमले और 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले का मास्टरमाइंड था. भारत ने 2016 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 अल-कायदा सैंक्शन समिति में प्रस्ताव रखा कि मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए. इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे बड़े देशों का समर्थन भी मिला. 

लेकिन चीन ने यह कहते हुए 'टेक्निकल होल्ड' लगा दिया कि उसे और जानकारी की जरूरत है. यह होल्ड बार-बार बढ़ाया गया और करीब तीन साल तक मसूद का नाम लिस्ट में नहीं आ सका. आखिरकार, 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बहुत बढ़ा, तब चीन ने अपना विरोध हटाया और मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया.

मसूद के भाई का मामला

मसूद अजहर के भाई और जैश के शीर्ष कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर के मामले में भी चीन ने यही किया. भारत और अमेरिका मिलकर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाए कि अब्दुल रऊफ को भी वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए. लेकिन मई 2023 में चीन ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और 'टेक्निकल होल्ड' लगा दिया. यह साफ संकेत था कि चीन, पाकिस्तान के इस आतंकी संगठन को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका साथ दे रहा है.

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लश्कर-ए-तैयबा के नेताओं के मामले में भी चीन का यही रुख देखने को मिला. साजिद मीर, जो 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और मुख्य हैंडलर था, को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव भारत और उसके सहयोगियों ने रखा. लेकिन चीन ने फिर इस पर रोक लगा दी, जिससे मीर के खिलाफ कार्रवाई में देरी हुई.

लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ और हाफिज सईद का साला अब्दुल रहमान मक्की को भी भारत और अमेरिका की ओर से ब्लैकलिस्ट करने की कोशिश हुई. लेकिन 2022 में चीन ने इस पर भी होल्ड लगा दिया. चीन का कहना था कि प्रस्ताव को लेकर पर्याप्त सबूत नहीं हैं. हालांकि, बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर चीन को पीछे हटना पड़ा और मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया.

पाकिस्तान का साथ देकर चीन ने बढ़ाई भारत की परेशानी

इन घटनाओं से साफ है कि चीन बार-बार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में अपनी ताकत (वीटो पावर) का इस्तेमाल करता रहा है. 

भारत के लिए यह बड़ी चुनौती रही है, क्योंकि जब तक इन आतंकवादियों को वैश्विक स्तर पर चिन्हित नहीं किया जाता, तब तक उनके खिलाफ वित्तीय और कानूनी कार्रवाई करने में दिक्कत आती है. वहीं, पाकिस्तान की सरकारें चीन से दोस्ती का फायदा उठाकर अपने आतंकी नेटवर्क को बचाती रही है.

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पाकिस्तान जो लंबे समय से भारत के साथ करता आया था, आज वहीं उसके साथ भी हुआ है जहां अमेरिका ने उसकी चाल नाकाम कर दी है. हालांकि, बीएलए को भारत आतंकी संगठन नहीं मानता. भारत का मानना है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का घरेलू मामला है और वहां जो अशांति है, वो पाकिस्तान की नीतियों का नतीजा है.

सबसे बड़ा प्रांत, संसाधन भरपूर, फिर भी सबसे गरीब है बलूचिस्तान

प्राकृतिक संसाधन संपन्न बलूचिस्तान  पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. यहां प्राकृतिक गैस, कोयला, सोना के बड़े भंडार है और ग्वादर पोर्ट की वजह से भी काफी कमाई होती है लेकिन यह प्रांत पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है. प्रांत के लोगों का लंबे समय से आरोप रहा है कि उनके राज्य के संसाधनों से होने वाली कमाई का लाभ उन्हें नहीं मिलता.

यहां के बलूच समुदाय में काफी गरीबी और बेरोजगारी है और लोग लंबे समय से पाकिस्तान की सरकार से नाखुश रहे हैं. सरकार से नाखुश लोग विद्रोही बन गए और उन्होंने कई समूह बनाए लिए. फिलहाल बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के तहत विद्रोही पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहे हैं.

बलूचिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट्स

बलूचिस्तान के लोग अपने प्रांत में चीन को मिली खुली छूट से भी बेहद नाराज हैं. चाईना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट ग्वादर पोर्ट इसी प्रांत में है. चीन इस प्रांत के संसाधनों का दोहन कर रहा है और फायदा पाकिस्तान की सरकार और चीन को हो रहा है. बलूचिस्तान के लोग इस शोषण से नाराज हैं और बीएलए आए दिन पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाता रहता है. 

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सरकार ने बलूचिस्तान के लोगों पर पाबंदियां बढ़ा दी है और प्रांत में भारी पुलिसबल की तैनाती है. इससे आम लोगों को भारी परेशानी होती है और उनका कहना है कि पाकिस्तान की सरकार ने बलूचिस्तान को किले में बदल दिया है. 

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