'कोई नहीं मानता मैं लड़की हूं', Youtube देख प्राइवेट पार्ट काटने वाले UPSC छात्र ने बयां किया दर्द

प्रयागराज में यूपीएससी की तैयारी कर रहे एक 22 साल के छात्र ने खुद को लड़की मानते हुए यूट्यूब वीडियो देखकर जेंडर बदलने की खतरनाक कोशिश की. छात्र ने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर सर्जिकल ब्लेड से अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया. गंभीर हालत में उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों के मुताबिक छात्र जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है. फिलहाल उसकी काउंसलिंग और इलाज किया जा रहा है.

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छात्र ने बताया क्यों काटा प्राइवेट पार्ट (Photo: AI-generated) छात्र ने बताया क्यों काटा प्राइवेट पार्ट (Photo: AI-generated)

पंकज श्रीवास्तव

  • प्रयागराज,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:13 AM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बीते शुक्रवार को ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया. दरअसल यूपीएससी की तैयारी करने वाला एक छात्र खुद को अंदर से लड़की महससू करता था लेकिन परिवार का इकलौता बेटा होने के नाते कभी वो अपने मां-बाप को ये बता नहीं पाया. इसके बाद उसने यूट्यूब से जेंडर चेंज (लिंग बदलने वाला) वीडियो देखा और लड़की बनने के चक्कर में अपनी जान आफत में डाल ली.

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दरअसल प्रयागराज में संघलोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करने वाला युवक लड़की बनना चाहता था और इसके लिए उसने खुद एनेस्थेसिया का इंजेक्शन लगाया और सर्जिकल ब्लेड से प्राइवेट पार्ट को काट दिया. जब हालत बिगड़ी तो मकान मालिक को बताया जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.  

छात्र ने बयां किया अपना दर्द

पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वो जब 14 साल का था तभी उसे लगने लगा था कि वो लड़का नहीं बल्कि एक लड़की है. लंबे समय से वह यूट्यूब पर जेंडर-चेंज से जुड़ी वीडियो देखता था जो उसके लिए जानलेवा साबित हुआ.

छात्र ने कटरा इलाके के एक झोलाछाप डॉक्टर से सलाह लेकर उसने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन और सर्जिकल ब्लेड खरीदी. फिर कमरे में अकेले इंजेक्शन लगाकर प्राइवेट पार्ट काट लिया. इंजेक्शन का असर खत्म होते ही वह दर्द से तड़प उठा.

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करीब एक घंटे तक फर्श पर खून बहता रहा, लेकिन शर्म और डर के कारण किसी को आवाज नहीं दी. आखिरकार उसने मकान मालिक को बुलाया. मकान मालिक ने एंबुलेंस बुलवाकर पहले बेली अस्पताल और फिर एसआरएन अस्पताल पहुंचाया.

छात्र ने अस्पताल में कहा, 'मैं लड़का नहीं हूं, लड़की हूं, यह बात कोई नहीं मानता, इसीलिए मैंने यह कदम उठाया. ' डॉक्टरों के अनुसार वह ‘जेंडर डिस्फोरिया’ नामक मानसिक स्थिति से गुजर रहा है. 

डॉक्टरों ने क्या बताया ?

सीनियर सर्जन डॉ. संतोष सिंह ने बताया, 'यदि समय पर अस्पताल नहीं लाया जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी. अब उसकी काउंसलिंग कराई जा रही है. यदि वह आगे भी जेंडर-चेंज चाहता है तो एक साल की थेरेपी और मल्टी-डिसिप्लिनरी मेडिकल टीम की देखरेख में यह प्रक्रिया की जा सकती है.' छात्र की मां बेटे के बिस्तर के पास बैठकर रोते हुए डॉक्टरों से उसे ठीक करने की प्रार्थना करती रही. इस पूरे वाकये ने लोगों को झकझोर दिया है.

क्यों होता है जेंडर डिस्फोरिया 

अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कुछ लोगों को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर जैसी समस्या क्यों होती है. दरअसल इसके पीछे कई कारण होते हैं. जिसमें जन्म और पहचान का अंतर प्रमुख है.

इसके तहत शरीर के हिसाब से उन्हें पुरुष या महिला माना जाता है, लेकिन अंदर से उनकी जेंडर आइडेंटिटी (खुद की पहचान) दूसरी होती है. एक वजह बायोलॉजिकल/हार्मोनल प्रभाव भी है. दरअसल ऐसे मामलों में गर्भ में विकास के दौरान हार्मोन और मस्तिष्क की संरचना में अंतर के कारण यह भाव पैदा हो सकता है. इसका मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव भी प्रमुख कारण है. बचपन में महसूस होने वाला अलगाव, समाज के लिंग-रोल्स का दबाव भी इसे गहरा कर देता है.

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