2024 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बनी सियासी जोड़ी उत्तर प्रदेश में हिट रही है, जिसके चलते ही बीजेपी को बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं हो सका. पीएम मोदी को सहयोगी दलों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी. इसके बाद से ही कांग्रेस और सपा गठबंधन के बिखरने की भविष्यवाणी की जाने लगी थी. कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद के बयान से भी सवाल उठने लगे थे, लेकिन यूपी के 'दो लड़कों की जोड़ी' टूटने के बजाय संसद से सड़क तक मजबूत होती दिख रही है.
संसद के मॉनसून सत्र में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने एक सुर में बिहार में हो रहे वोटर वेरिफिकेशन का विरोध किया. एसआईआर के मुद्दे पर संसद नहीं चलने दी और राहुल गांधी ने चुनाव में वोट चोरी का मुद्दा उठाया तो अखिलेश यादव खुलकर उनके सुर में सुर मिलाते नजर आए.
एसआईआर और चुनाव में वोट चोरी वाले मुद्दे को लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव सड़क पर उतरकर हुंकार भरी. राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच सियासी केमिस्ट्री लोकसभा के सदन से सड़क तक ऐसी दिख रही है, उससे साफ जाहिर है कि 'दो लड़कों की जोड़ी' टूटने वाली नहीं है, बल्कि 2027 के चुनाव में भी बनी रहेगी. सपा-कांग्रेस मिलकर ही चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे.
राहुल और अखिलेश की सियासी केमिस्ट्री
अखिलेश और राहुल गांधी के बीच सियासी केमिस्ट्री चुनाव के दौरान और अब चुनाव के बाद भी दिख रही है. राहुल और अखिलेश संसद में एक साथ बैठते हैं और हर मुद्दे पर एक साथ मोदी सरकार को घेरते नजर आते हैं. यूपी के 'दो लड़कों की जोड़ी' लोकसभा चुनाव के दौरान और अब उसके बाद से एक-दूसरे के लिए सियासी ढाल बन रहे हैं.
यूपी में बहराइच कांड हो या फिर अयोध्या मामला, हर मुद्दे पर कांग्रेस और सपा एक साथ दिखाई देने की भरसक कोशिश करते रहे. सड़क से संसद तक राहुल और अखिलेश एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. दोनों ही नेता हर मुद्दे पर एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
राहुल गांधी ने सात अगस्त को डिनर पार्टी रखी थी, जिसमें अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ शामिल हुए थे. इससे पहले कांग्रेस की डिनर पार्टी में अखिलेश खुद जाने के बजाय रामगोपाल यादव को भेजा करते थे, लेकिन इस बार खुद राहुल के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे की दावत में शामिल हुए. राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और चुनाव में वोट चोरी की 'कथित धांधली' के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग तक मार्च निकाला तो अखिलेश यादव ने भी अहम रोल अदा किया.
संसद मार्ग पर पुलिस ने बैरिकेड लगाकर इंडिया ब्लॉक के नेताओं को चुनाव आयोग जाने से रोकने की कोशिश की तो अखिलेश यादव पुलिस बैरिकेड पर चढ़कर कूद गए. एक तरफ राहुल और अखिलेश साथ खड़े नजर आए तो साथ ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और सपा सांसद डिंपल यादव विपक्षी सांसदों का जोश बढ़ाती नजर आईं. इस तरह सपा और कांग्रेस के दूसरे सांसद भी एक-दूसरे का हाथ पकड़े मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरे. राहुल-अखिलेश की सियासी केमिस्ट्री अब संसद से सड़क तक दिख रही है.
2024 में सफल रही 'दो लड़कों की जोड़ी'
2024 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच सिर्फ गठबंधन नहीं हुआ था, बल्कि दोनों ही पार्टियों के नेता और कार्यकर्ताओं के बीच एक बेहतर तालमेल दिखा था. अखिलेश यादव के समर्थन में राहुल गांधी कन्नौज में वोट मांगने उतरे तो अखिलेश ने भी रायबरेली में राहुल के लिए जनसभा की थी. 2024 में 'दो लड़कों की' सियासी केमिस्ट्री बीजेपी को करारी मात देने में कामयाब रही थी.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 33 सीट ही बीजेपी जीत सकी जबकि सपा 37 और कांग्रेस 6 सांसद बनाने में सफल रही थी. यह 2019 के लोकसभा चुनावों के विपरीत है, जहां बीजेपी 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर आना एक बड़ा झटका था. राहुल गांधी का संविधान बचाने और आरक्षण वाला नैरेटिव तो अखिलेश का पीडीए फॉर्मूले वाला दांव बीजेपी के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया था.
सपा-कांग्रेस की दोस्ती पर उठ रहे थे सवाल
लोकसभा चुनाव के बाद से सपा-कांग्रेस की सियासी केमिस्ट्री गड़बड़ाने लगी थी. हरियाणा, महाराष्ट्र के विधानसभा और यूपी उपचुनाव के परिणामों ने कांग्रेस और सपा के रिश्तों में तल्खियां पैदा कर दी थीं, इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि दोनों के बीच सब ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले सहारनपुर सांसद इमरान मसूद ने अखिलेश यादव की मुस्लिम पॉलिटिक्स पर सवाल खड़े करते हुए सपा-कांग्रेस की दोस्ती पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिए थे.
लोकसभा सदन में सीट आवंटन, संभल हिंसा, अडानी के मुद्दे और इंडिया गठबंधन के नेतृत्व के सवाल पर सपा और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी नजर आ रही थीं. संभल मामले में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का जाने का ऐलान सपा को नागवार गुजरा. सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कांग्रेस डेलिगेशन के संभल जाने को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे. इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने के सवाल पर सपा खुलकर कांग्रेस का विरोध करने लगी थी, जिसके बाद सवाल उठने लगा था कि सपा और कांग्रेस की दोस्ती क्या 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले ही टूट जाएगी.
2027 से पहले 'दो लड़कों की जोड़ी' फिर साथ
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को वोटर लिस्ट में गड़बड़ी पर एक घंटे 11 मिनट तक 22 पेज का प्रेजेंटेशन दिया. राहुल ने स्क्रीन पर कर्नाटक की वोटर लिस्ट दिखाते हुए कहा कि वोटर लिस्ट में संदिग्ध वोटर मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नतीजे देखने के बाद हमारा शक पुख्ता हुआ कि चुनाव में चोरी हुई है. राहुल ने कहा कि हमने यहां वोट चोरी का एक मॉडल पेश किया, लगता है कि इसी मॉडल का प्रयोग देश की कई लोकसभाओं और विधानसभाओं में हुआ.
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी उनके सुर में सुर मिलाते नजर आए. अखिलेश यादव ने साफ कहा कि चुनाव आयोग न्याय करेगा या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिए. उस पर वोट चोरी के आरोप लगे हैं, उस पर सफाई देना स्वयं चुनाव आयोग की विश्वसनीयता एवं चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी है. जनता का विश्वास किसी संवैधानिक संस्था से डिगा तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे.
राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक-दूसरे के सुर में सुर ही नहीं मिला रहे, बल्कि सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में साफ है कि सपा और कांग्रेस की डगमगाती दोस्ती फिर से पटरी पर आ गई है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सियासी संजीवनी मिली है तो सपा को ताकत. अखिलेश यादव कई सियासी प्रयोग कर चुके हैं, लेकिन सियासी सफलता 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके मिली है.
कांग्रेस का दामन पकड़कर अखिलेश यादव अब 2027 में यूपी की सत्ता को अपने नाम करना चाहते हैं. वहीं, कांग्रेस भी अपनी सियासी नैया सपा के सहारे ही पार करना चाहती है. ऐसे में माना जा रहा है कि सपा और कांग्रेस की सियासी केमिस्ट्री आगे भी बनी रहेगी, जिसके संकेत अखिलेश यादव और राहुल गांधी दे रहे हैं, क्योंकि इस दोस्ती में ही दोनों को अपना-अपना फायदा दिख रहा है. इसके चलते ही माना जा रहा है कि 2027 में भी 'दो लड़कों की जोड़ी' नजर आएगी?
कुबूल अहमद