दिल्ली, मथुरा, आगरा... कई बड़े शहरों में कहर ढा रहे यमुना की कहानी, जानें पहाड़ों से आ रही तबाही की पूरी कहानी

यमुना नदी पहाड़ों में जबरदस्त बारिश होने के कारण ऊफान पर है. इसका जलस्तर बढ़ जाने से हिमाचल प्रदेश से लेकर यूपी तक में हालात बिगड़े हुए हैं. हरियाणा में कई लाख एकड़ नष्ट हो गई, तो दिल्ली में आधे दशक का रिकॉर्ड टूट गया. मथुरा में कई मंदिर तो आगरा में ताजमहल तक यमुना नदी का पानी पहुंच गया.

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हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने से दिल्ली-यूपी में बढ़ा यमुना का जलस्तर (फोटो: PTI) हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने से दिल्ली-यूपी में बढ़ा यमुना का जलस्तर (फोटो: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से लगातार भीषण बारिश हो रही है. बादल फटने की भी कई घटनाएं सामने आ रही हैं. आलम यह है कि इस बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. अब ये नदियां मैदानों में आकर तबाही मचा रही हैं. इन्हीं नदियों में एक है यमुना. पिछले दिनों दिल्ली में इस नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया था कि उसने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. अब फिर से इसका जलस्तर बढ़ रहा है. यह नदी दिल्ली की ही नहीं हरियाणा से लेकर यूपी तक में अपना कहर बरपा रही है. जानते हैं यमुना नदी का रूप इतना उग्र कैसे हो गया? इसकी चपेट में किस-किस राज्य के कौन-कौन से जिले आए हैं?

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इतने इलाके को कवर करती है यमुना

यमुना नदी का उदगम उत्तराखंड के उत्तरकाशी के बन्दरपूंछ पर्वत में यमुनोत्री हिमनद से होता है. यहां से निकलकर यह नदी दून की घाटी में प्रवेश करती है. यमुना नदी टिहरी गढ़वाल, हथियारी देहरादून, बलावाला देहरादून, गौतम ऋषि आश्रम देहरादून होते हुए हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब गुरुद्वारा पहुंचती है. इसके बाद यह नदी उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाका) पहुंचती है. फिर हरियाणा के यमुनानगर से दिल्ली में आती है. यहां से बागपत, मथुरा, नोएडा, फिरोजाबाद, आगरा, कालपी, इटावा, हमीरपुर के बाद प्रयागराज (इलाहाबाद) के पास प्रयाग त्रिवेणी संगम में जाकर गंगा नदी के साथ विलय हो जाता है. यह नई उत्तराखंड से प्रयागराज तक 1376 किमी. की दूरी तय करती है.

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उत्तराखंड

उत्तराखंड में सात जिलों में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है. यहां बादल फटने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं. 24 जुलाई को प्रदेश भर में 41.1 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य से 196 फीसदी अधिक है. पिछले कई दिनों से बारिश ऐसे ही रिकॉर्ड तोड़ रही है, इसलिए यमुना समेत कई नदियों अचानक से जलस्तर बढ़ गया है. क्षमता से ज्यादा पानी आ जाने के कारण नदी के किनारे बसे शहर, गांवों में पानी भर रहा है.

हरियाणा

पहाड़ों से उतरने के बाद यमुना ने सबसे ज्यादा कहर हरियाणा में बरपाया. यहां के 10 जिलों सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल, पंचकूला, यमुनानगर, अंबाला, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र और पानीपत में यमुना नदी का पानी घुस गया था. करीब 600 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाढ़ के कारण यहां करीब 3 लाख एकड़ फसल नष्ट हो गई है. हरियाणा में ऐसे हालात हो गए थे कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के अलावा सेना की मदद लेनी पड़ी थी.

दिल्ली

हरियाणा के यमुनानगर में बने हथिनीकुंड बैराज से यमुना का पानी दिल्ली में आता है. पिछले दिनों जब यमुना ने हरियाणा में तबाही मचाना शुरू किया था तो हथिनीकुंड बैराज के गेट खोल दिए गए थे. इस कारण दिल्ली में यमुना का जलस्तर इतना बढ़ गया था कि उसका जल लाल किले-इंडिया गेट तक पहुंच गया था. 12 जुलाई को दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 2.5 मीटर ऊपर पहुंच गया था. उस दिन शाम 6 बजे पुराने रेलवे ब्रिज पर पानी 207.81 मीटर दर किया गया था, जिसने 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. 1978 में यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था, तब आधी राजधानी पानी में डूब गई थी. 

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उत्तर प्रदेश

हथिनीकुंड से पानी छोड़ जाने के कारण दिल्ली के बाद यूपी के कई जिलों में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया था. यहां के गौतमबुद्ध नगर, शामली, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद और इटावा में बाढ़ से हालात हो गए थे.

यमुना के कारण नोएड के सेक्टर 135 के आस-पास के इलाकों-गांवों में पानी भर गया था. लोगों को अपना घर छोड़कर सड़कों पर रहना पड़ा था. वहीं मथुरा में यमुना नदी के कारण सदर, मांट, छाता और महावन तहसील के 100 से ज्यादा गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए था. मथुरा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गई थी. मथुरा और वृंदावन में कई घाट और मंदिरों के साथ परिक्रमा मार्ग तक पानी पहुंच गया था. यहां ताजेवाला और ओखला से पानी छोड़ने पर जलस्तर बढ़ जाता है. 

यमुना में जब पानी बढ़ा तो मजबूरन गोकुल बैराज के सभी 21 गेटों से पानी छोड़ना पड़ा, जिस कारण वहां भी बाढ़ के हालात बन गए. यहां पिछले हफ्ते यमुना नदी का पानी  499.97 फीट के 'मध्यम बाढ़ स्तर' तक पहुंच गया था, जिस कारण इसका पानी ताजमहल की दीवारों तक पहुंच गया था. स्मारक के पीछे बना बगीचा जलमग्न हो गया था. इससे पहले 2010 और 1978 में ऐसे हालात बने थे.

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ये बैराज यमुना के पानी का करते हैं कंट्रोल

डाकपत्थर बैराज: पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 23 मई 1949 को इसकी नींव रखी थी. यह बैराज 516.5 मीटर लंबा है और इसमें कुल 25 गेट बने हुए हैं.

हथिनी कुंड बैराज: हरियाणा के यमुनानगर यह बैराज बना है. 360 मीटर लंबे इस बैराज में 18 गेट हैं. यहां से यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, दिल्ली, शामली, सहारनपुर और बागपत में पानी छोड़ा जाता है.

वजीराबाद बांध: 1959 में यह बांध बना था. इस पर एक पुल बना है, जो कि उत्तरी दिल्ली को उत्तर-पूर्वी दिल्ली से जोड़ता है.

आईटीओ बैराज: 552 मीटर लंबा यह बैराज दिल्ली में यमुना के पानी को नियंत्रित करता है. 

ओखला बैराज: 791 मीटर लंबा यह बैराज 1894 में शुरू किया गया था.

गोकुल बैराज: मथुरा में यमुना नदी पर बना यह अंतिम बैराज  है.

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