संचार साथी आज पूरे दिन चर्चा में बना रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने इस ऐप को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी फोन निर्माता कंपनियों को अपने फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करना जरूरी होगा. ये ऐप डिवाइस सेटअप के वक्त फोन में मौजूद होना चाहिए.
वहीं पुराने फोन्स के लिए कंपनी को OTA अपडेट जारी करना होगा, जिससे लोगों तक ये ऐप पहुंच सके. इस सरकारी ऐप में कई सारी सिटीजन सेवाएं मिलती हैं. हालांकि, इस ऐप को लेकर विपक्ष सरकार पर आक्रामक हो गई.
विपक्ष ने सरकार पर इस ऐप के जरिए लोगों की जासूसी करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे 'पेगासस प्लस प्लस' बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'बड़े भाई हमारे मोबाइल फोन्स को और हमारी प्राइवेट लाइफ को टेकओवर करेंगे.'
विपक्ष के साथ-साथ आम लोग भी सोशल मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या इस ऐप की वजह से उनकी प्राइवेसी खतरे में आ सकती है. इन सब की शुरुआत ऐप को दी जाने वाली परमिशन से हुई है. ये ऐप कई तरह की परमिशन मांगता है, जिसे लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं.
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विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी. उन्होंने बताया कि संचार साथी ऐप पूरी तरह से ऑप्शनल है और इसे किसी दूसरे ऐप की तरह ही एक्टिवेट या डिएक्टिवेट किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई इसे नहीं रखना चाहता है, तो ऐप को रिमूव कर सकता है.
उन्होंने कहा,'आप अपनी मर्जी से इसे एक्टिवेट या डिएक्टिवेट कर सकते हैं... अगर आप इसे नहीं रखना चाहते हैं, तो डिलीट कर सकते हैं. ये ऑप्शनल है.' प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर उठ रहे सवाल को उन्होंने गलतफहमी बताया है.
सिंधिया ने बताया कि संचार साथी ऐप डिवाइस पर जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं कर सकता है. इसे कंज्यूमर्स की सेफ्टी बेहतर करने के लिए तैयार किया गया है. उन्होंने ये भी बताया कि इस ऐप पर सिटीजन्स के रिपोर्ट किए गए 40.96 लाख फर्जी मोबाइल कनेक्शन डिस्कनेक्ट किए गए हैं. इसका Not My Number फीचर इस्तेमाल करके 1.43 करोड़ से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन डिस्कनेक्ट हुए हैं.
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अगर आप इस ऐप को इंस्टॉल करके सिर्फ रजिस्टर करते हैं, तो आपके फोन और SMS ऐप्स का एक्सेस लेता है. अगर आप फोटोज अपलोड करते हैं, तो ये गैलरी का एक्सेस मांगता है. वहीं IMEI कोड स्कैन करने के लिए ये कैमरे की परमिशन मांगता है. कुल मिलाकर ये आपके फोन, कॉल लॉग्स, SMS, स्टोरेज, कैमरा जैसी परमिशन मांगता है.
इस तरह की परमिशन कई ऐप्स मांगते हैं. ये ऐप्स के काम करने के लिए जरूरी होता है. लेकिन किसी ऐप को परमिशन देना 'दो धारी तलवार' पर चलने जैसा होता है. इन परमिशन का इस्तेमाल आपके खिलाफ भी किया जा सकता है. लोगों की चिंता भी यही है. हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि ये ऐप 'मैंडेटरी' नहीं है और आप इसे कभी भी डिलीट कर सकते हैं.
राज्य कम्युनिकेशन मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बताया कि संचार साथी ऐप के मामला में ऐपल को छोड़कर सभी मोबाइन फोन मैन्युफैक्चर्र्स से चर्चा कर ली गई है. उन्होंने बताया कि संचार साथी ऐप किसी भी दूसरे ऐप की तरह ही है, जिसे कंज्यूमर्स एक्टिवेट या डिलीट कर सकते हैं.
उन्होंने बताया कि इस ऐप से मिले डेटा की मदद से वित्तीय फ्रॉड्स को रोका जा सकता है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर एक एक्टिव ग्रुप बनाया गया था और सभी OEM से उनकी चिंता भी पूछी गई थी. ऐपल सिर्फ एक ऐसी कंपनी है, जिसने इसमें हिस्सा नहीं लिया.
रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि ऐपल संचार साथी पर जारी गाइडलाइन्स को लेकर सरकार से चर्चा करना चाहता है. ऐपल इस फैसले को मानने के पक्ष में नहीं है. कंपनी इस बारे में केंद्र सरकार को जानकारी दे सकती है. हालांकि, कंपनी ने आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.
अभिषेक मिश्रा