एक दिन, 5 पारियां और युवा से लेकर किंग तक का धमाका. भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में अक्सर रोमांचक पल आए हैं, लेकिन बुधवार, 24 दिसंबर 2025 का दिन किसी महाकुंभ से कम नहीं था. इस दिन एक नहीं...कई बल्लेबाज आग के गोले की तरह चमके. हर शॉट ने मानो मैदान में भूकंप ला दिया... खिलाड़ी और दर्शक दोनों स्तब्ध रह गए. 50-50 ओवरों के खेल में 14 साल के वैभव सूर्यवंशी से लेकर 37-38 के कोहली-रोहित तक के सामने गेंदबाज पानी मांगते नजर आए.
सबसे पहले बात करें उस छोटे सितारे की जिसने सबको हैरान कर दिया. वैभव सूर्यवंशी, मात्र 14 साल और 272 दिन (84 गेंदों में 190 रन, 15 छक्के, 16 चौके) की उम्र में शतक जड़कर इतिहास रच दिया. इस उम्र में लिस्ट A में शतक लगाना किसी चमत्कार से कम नहीं. इतना ही नहीं, वैभव ने महज 59 गेंदों में 150 रन पूरे कर लिए, जो लिस्ट A में अब तक का सबसे तेज 150 है.
इसके बाद आए ईशान किशन (39 गेंदों में 125 रन), जो दो साल की चुप्पी के बाद लौटकर मैदान में उतरे. बल्ले की आवाज (महज 33 गेंदों में शतक) ने सबको याद दिला दिया कि वह अब भी टीम इंडिया के लिए कितने कीमती हैं. किशन की बल्लेबाजी में वही तीव्रता और तेजी थी, जो उन्हें टी20 और वनडे में टॉप पर बनाती है.
इस दिन अनुभवियों ने भी कमाल किया. विराट कोहली (131 रन) और रोहित शर्मा (155 रन) ने अपने-अपने शतक से साबित कर दिया कि जब किंग मैदान में हों, तो विपक्षी गेंदबाजों की सांसें थम जाती हैं. कोहली के कवर ड्राइव और रोहित के पुल शॉट्स ने दर्शकों का मन मोह लिया. इनकी बल्लेबाज़ी में क्लास, संयम और खेल की समझ का अद्भुत मिश्रण नजर आया.
अन्य चमकते सितारे
इस दिन सिर्फ बड़े नाम ही नहीं, बल्कि नए और मध्यवय खिलाड़ी भी चमके.
सकिबुल गनी- बिहार के कप्तान, जिन्होंने मात्र 32 गेंदों में शतक जड़कर रिकॉर्ड बुक (लिस्ट-ए में सबसे तेज शतक बनाने वाले भारतीय) में नाम दर्ज किया.
स्वास्तिक समल, देवदत्त पडिक्कल, आयुष लोहारुका, रिकी भुई, बिप्लब सामंत्रे... इन खिलाड़ियों ने भी अपनी शतकीय पारियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
मैदान की धमाकेदार तस्वीर
बुधवार का दिन मैदान पर किसी त्योहार से कम नहीं था. हर पारी में गेंदबाजों की मेहनत और पसीने के बावजूद बल्ले ने ही खेल की कहानी लिखी. युवा और अनुभवी दोनों ही इस दिन एक साथ चमके. विजय हजारे ट्रॉफी 2025-26 ने इस दिन साबित कर दिया कि भारतीय घरेलू क्रिकेट सिर्फ विकास का मैदान नहीं, बल्कि बल्ले की आग और खेल के धुरंधरों का महाकुंभ भी है. युवा सितारे भविष्य के सितारे बनने के संकेत दे रहे हैं और अनुभवी खिलाड़ी दर्शा रहे हैं कि क्लास कभी भी कम नहीं होती.
इस दिन मैदान पर अलग-अलग पारियों ने यह दिखा दिया कि भारतीय क्रिकेट में टैलेंट की कोई कमी नहीं. चाहे 'बेबी बॉस' कहे जाने वाले वैभव हों या ROKO (रोहित-कोहली)... हर खिलाड़ी ने यह साबित कर दिया कि बल्ला उठाने वाला ही मैदान का राजा है. विजय हजारे ट्रॉफी अब सिर्फ मैच का नाम नहीं, बल्कि धूम-धड़ाका-धुरंधरी का महाकुंभ बन चुकी है.
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