बहुत मुश्किल समय होता है जब आप अचानक एक सपना बुन रहे हो और टूट जाए... जिसके लिए उम्मीद कर रहे हों, वो ना हो पाए. फिर कई बार हम अपने आपको कोसते हैं, कई बार दूसरों को दोषी ठहराते हैं. कई बार सारी भड़ास निकाल देते हैं.
लेकिन इस बात को थोड़ा पलटकर देखें, बुरे समय में हारो नहीं, अपना काम करते रहो, अपना काम ईमानदारी से करो, तो शायद भगवान भी आपका साथ देता है. ऐसे में डेडिकेशन और ना हारने का जज्बा आपको दुनिया में अलग कर देता है.
महिला वर्ल्ड कप विनर और 'प्लेयर ऑफ द मैच' शेफाली वर्मा की कहानी ठीक ऊपर के दूसरे पैराग्राफ में कही गई बातों पर आधारित है. वो इस वर्ल्ड कप स्क्वॉड का शुरुआती हिस्सा नहीं थीं, रेगुलर ओपनर प्रतीका रावल इंजर्ड हुईं और उनको इस वर्ल्ड कप के सीधे सेमीफाइनल और फाइनल में अफ्रीका के खिलाफ खेलने का मौका मिला.
यानी 21 साल की शेफाली को भगवान ने एक चांस दिया... जब भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में खेल रही थी, तो कहां किसी ने और खुद शेफाली ने सोचा होगा कि उनको टूर्नामेंट में मौका मिलेगा, उन्होंने कहां ही सोचा होगा कि वो भारत के लिए इस वर्ल्ड कप में खेल पाएंगी?
लेकिन यहां शायद शेफाली वर्मा ने शायर अमीर क़ज़लबाश के शेर से से यह बात तो सीखी ही होगी, जो कुछ इस तरह है....
मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
ये वो ही जुनूनी शेफाली हैं, जो एक साल से भी ज्यादा समय के बाद टीम इंडिया की वनडे टीम में आईं. जब भारतीय टीम वर्ल्ड कप खेल रही थी तो वो वर्ल्ड कप में सीनियर महिला टी20 ट्रॉफी के लिए सूरत में थीं, मन ही मन इस बात का मलाल तो होगा ही कि वो इस ऐतिहासिक वर्ल्ड कप और टीम इंडिया का हिस्सा नहीं है.
लेकिन प्रतीका की चोट से टीम इंडिया के समीकरण बदल गए और उनकी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में एंट्री हुई. जहां वो सफल नहीं रहीं और महज 10 रन बना सकी थीं. पर फाइनल में शेफाली ने बता दिया कि उनको शायद भगवान ने ही भेजा था. बल्लेबाजी में तो उन्होंने 87 रन बनाए ही, वहीं 2 विकेट लेकर भी टीम इंडिया की तरफ मैच झुकाया.
अब अंत में वही बात, जब आपकी लगन हो और ईमानदारी से काम करो तो भगवान आपका साथ देता है, खुद शेफाली की बातों में यह चीज छिपी है. उन्होंने मैच के अंत में कहा, 'मैं शुरू से ही कह रही थी कि भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है, और वह फाइनल में दिखा, यह जीत शब्दों में बयां नहीं हो सकती है...'
वैसे महज 21 की उम्र में शेफाली वर्मा वो कर चुकी हैं, जो कई क्रिकेटर्स पूरी जिंदगी में नहीं कर पाते हैं, तीन टी20 वर्ल्ड कप, दो वनडे वर्ल्ड कप और एक अंडर-19 वर्ल्ड कप ट्रॉफी बतौर कप्तान, यानी शेफाली की कहानी किसी रॉकस्टार से कम नहीं है, वहीं उनकी कहानी बताती है कि कोई भी चीज THE END नहीं होती है, बस आपको लड़ते रहना है....
Krishan Kumar