न पटाखे-न पराली... फिर भी क्यों नहीं कम हो रहा दिल्ली का प्रदूषण? मौसम वैज्ञानिक क्या बता रहे कारण

दिल्ली का प्रदूषण 'गंभीर' स्तर पर है. AQI 428, PM2.5 300+ चल रहा है. ये तब जब पटाखे बंद हैं और पराली जलाना 50% कम हुआ है. फिर भी राहत नहीं है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना कि तापमान इनवर्शन, हवा की रफ्तार 4-6 किमी/घंटा और 75% नमी ने पॉल्यूशन फंसा दिया है. मौसम विभाग का अनुमान है कि 15 नवंबर से सुधार हो सकता है.

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यमुना नदी के उस पार का नजारा दिख ही रहा. (Photo: Reuters) यमुना नदी के उस पार का नजारा दिख ही रहा. (Photo: Reuters)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

दिल्ली की हवा आज फिर से जहरीली साबित हुई है. सुबह से ही घनी धुंध ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया है. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया है, जो 2025 का पहला ऐसा दिन है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आज सुबह 10 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 420 के आसपास रहा, जबकि 39 में से 33 स्टेशनों पर यह 400 से ऊपर दर्ज किया गया.

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आनंद विहार, वजीरपुर, रोहिणी और द्वारका जैसे इलाकों में AQI 450 तक पहुंचा. इससे सांस लेना मुश्किल हो गया है. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए. दिवाली के पटाखे तो बंद हो चुके हैं और पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामले 50% से ज्यादा कम हो गए हैं, लेकिन प्रदूषण घटने का नाम नहीं ले रहा.

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि शांत हवाएं और ठंडी रातें प्रदूषण को फंसाकर रख रही हैं. 

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दिल्ली की हवा आज कैसी है?

CPCB के डैशबोर्ड के मुताबिक आज का औसत AQI 428 तक पहुंचा, जो दिसंबर 2024 के बाद सबसे खराब है. PM2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर रहा, जो फेफड़ों के लिए बहुत खतरनाक है. कल रात तापमान 10.4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जो इस सीजन का सबसे ठंडा सुबह था. नमी का स्तर 75-85% रहा, जिससे स्मॉग और गाढ़ा हो गया. 

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दिल्ली सरकार ने GRAP-3 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू कर दिया है. इसके तहत स्कूलों में हाइब्रिड क्लास शुरू हो गईं. निर्माण कार्य पूरी तरह बंद हैं. बाहर से आने वाले ट्रकों पर सख्त पाबंदी है. लेकिन IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, 12 से 14 नवंबर तक AQI 'गंभीर' ही रहेगा.  

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मौसम वैज्ञानिकों की राय: शांत हवाएं और ठंड प्रदूषण को जमा कर रही हैं

भारतीय मौसम विभाग (IMD) और सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के विशेषज्ञों ने साफ लफ्जों में कहा है कि मौसम ही मुख्य दोषी है. IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप शर्मा ने कहा कि नवंबर में हवाओं की रफ्तार बहुत कम हो जाती है.

आज रात शांत हवाओं (केवल 4-6 किलोमीटर प्रति घंटा) और गिरते तापमान ने प्रदूषक कणों को जमीन के पास जमा कर दिया. SAFAR की रिपोर्ट बताती है कि 12 नवंबर को हवा की गति सामान्य से 60% कम रही, जिससे दिल्ली-NCR का प्रदूषण शहर में घूमता रहा. 

डॉ. गुंजन तिवारी (IMD) ने बताया कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति एक 'कटोरी' जैसी है. उत्तर में अरावली पहाड़ियां और दक्षिण में यमुना नदी प्रदूषण को बाहर नहीं जाने देतीं. ठंड के मौसम में यह जाल और मजबूत हो जाता है. अगर हवा की रफ्तार 12-15 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती, तो AQI 30-40% गिर सकता था. लेकिन अगले 3-4 दिनों तक यही हाल रहेगा. 15-16 नवंबर से उत्तर-पश्चिमी हवाओं से कुछ सुधार की उम्मीद है.

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वैज्ञानिक कारण: इनवर्शन लेयर और ट्रैपिंग

प्रदूषण के पीछे विज्ञान की बड़ी भूमिका है. इसे आसान तरीके से समझें...

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तापमान उलटा होना (टेम्परेचर इनवर्शन)

गर्मियों में जमीन गर्म होती है, ऊपर की हवा ठंडी—प्रदूषण ऊपर उड़ जाता है.

लेकिन सर्दियों में उल्टा: जमीन ठंडी (10-12°C), ऊपर गर्म हवा. इससे ठंडी परत नीचे फंस जाती है, जैसे थर्मल ढक्कन. PM2.5 जैसे बारीक कण (आज 300+ µg/m³) इस परत में लटक जाते हैं. फेफड़ों-दिल को नुकसान पहुंचाते हैं. यह इनवर्शन लेयर नवंबर-दिसंबर में 12-15 दिन रहती है, जो 40-50% प्रदूषण बढ़ाती है.

हवा की कम रफ्तार (लो विंड स्पीड)

हवा प्रदूषण साफ करती है, लेकिन आज 4-6 किमी/घंटा की रफ्तार ने सब जमा कर दिया. CPCB रिपोर्ट कहती है, पड़ोसी राज्यों (यूपी, राजस्थान) का धुआं उत्तर-पश्चिमी दिशा से आ रहा है.

उच्च नमी (हाई ह्यूमिडिटी)

75-85% नमी से कण चिपककर स्मॉग बनाते हैं. यह दिखाई देने वाला धुंध सांस को रोकता है. एक अध्ययन के मुताबिक, मौसम 50% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. ये मिलकर दिल्ली को 'प्रदूषण का जाल' बना देते हैं.

पटाखे और पराली के अलावा बाकी वजहें क्या हैं?

पटाखे बंद हैं और पराली जलाने में भारी कमी आई है. CAQM के आंकड़ों से- पंजाब में 15 सितंबर से 6 नवंबर तक 3,284 मामले हुए (पिछले साल के 4,132 से 37% कम), जबकि हरियाणा में सिर्फ 206 (77% गिरावट, मात्र 171 मामले). कुल मिलाकर पंजाब-हरियाणा में 50% कमी. लेकिन अन्य स्रोत सक्रिय हैं...

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  • वाहन और धूल: दिल्ली में रोज 22 लाख गाड़ियां PM10 फैला रही हैं. निर्माण और सड़क धूल 25% योगदान दे रही है.
  • उद्योग और बिजलीघर: NCR के थर्मल प्लांट 18-20% प्रदूषण बढ़ा रहे हैं.
  • पड़ोसी इलाके: यूपी-राजस्थान से आने वाली हवाओं में उनका प्रदूषण मिला है.

क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट कहती है, दिवाली के बाद PM2.5 200% बढ़ा, लेकिन अब मौसम मुख्य वजह है. जनवरी से 9 नवंबर तक औसत AQI 175 रहा, जो पिछले साल से बेहतर है, लेकिन नवंबर ने सब बिगाड़ दिया.

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क्या होगा आगे? उपाय क्या हैं?

  • व्यक्तिगत कदम: N95 मास्क लगाएं, सुबह-शाम बाहर न निकलें. एयर प्यूरीफायर और INDOOR प्लांट्स इस्तेमाल करें.
  • सरकारी कदम: GRAP-4 की ओर बढ़ सकते हैं, जिसमें उड़ानें प्रभावित होंगी. क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) का ट्रायल असफल रहा, लेकिन दोबारा कोशिश हो सकती है.
  • लंबा समाधान: इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ाएं, इंडस्ट्री में CNG और किसानों को पराली मैनेजमेंट मशीनें दें.

IMD के अनुसार 15 नवंबर से हवाएं तेज हो सकती हैं. AQI 300 तक गिर सकता है. तब तक सावधानी रखें. दिल्लीवासी कहते हैं कि साफ हवा हमारा हक है, लेकिन मौसम और मानवीय लापरवाही दोनों ने मिलकर मुश्किल खड़ी कर दी.

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